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रास्तों का साथ, और छिपकली की बात

by 2974shikhat April 12, 2018
by 2974shikhat April 12, 2018

Travel

किसी भी वाहन से रास्तों का सफर सुहाना होता है……

बशर्ते आप पैसेंजर सीट पर हों और आपका हाथ स्टेयरिंग व्हील से दूर हो……

अगर मौसम का अंदाज खुशनुमा हो तो बात फिर से “सोने पर सुहागा वाली” हो जाती है…..

ऐसा ही मेरा आज का सफर हमारे दिल्ली शहर के रास्तों का था…..

सफर के दौरान भरसक यही कोशिश रहती है कि, सड़क के दोनों तरफ लगे हुए पेड़ पौधों के

बीच से कुछ अच्छा लिख पाऊं…..

या चलते हुए रास्तों की अबूझी पहेलियों को सुलझा पाऊं…….

या गाड़ियों की भागादौड़ी और उनकी बातों को समझ पाऊं…….

ऐसे ही सफर में कभी कभी जीव-जंतुओं और हमारी गाड़ी का भी साथ हो जाता है…….

कभी मकड़ी,कभी गिरगिट और आज तो छिपकली ने सैर-सपाटे के उद्देश्य से हमारी गाड़ी से अपना सफर तय किया…….

पैसेंजर सीट के बिल्कुल पास,मुझसे डेढ़ फुट से भी कम दूरी पर विंडो का ग्लास खोलते ही गाड़ी के अंदर आ गई ……

Travel

ऐसा लग रहा था मानो पहले से निर्धारित जगह पर आराम से बैठ गयी……

उसकी शारीरिक भाषा कह रही थी कि हमें तो कार से नहीं उतरना……

आपको उतरना है तो कार से उतर जाइये…..

आरामतलबी के अंदाज में 20से25 किलोमीटर की दूरी में आराम से बैठी रही……

चलते हुए रास्तों पर अपने मुंह को बाहर की दिशा में करके प्रसन्नता के भाव के साथ बाहर की शीतल हवा ले रही थी……

ऐसा लग रहा था मानो कह रही हो, मेरे कारण आप ए०सी०तो चलायेंगी नहीं…..

लेकिन कोई बात नही,हम तो वैसे भी प्रकृति से जुड़े हुए हैं……

मैं भी आराम से उसके क्रिया कलापों को देखते हुए, अपनी यात्रा कर रही थी……

और मन ही मन में सोच रही थी कि, जीव जंतुओं को अगर बेवजह परेशान न किया जाए तो वो भी शांति के साथ अपना काम करते जाते हैं……

बेवजह किसी को परेशान नही करते….

छिपकली को देखकर चीखते चिल्लाते और दौड़ते भागते लोंग, समाज में चारो तरफ दिख जायेंगे…..

सृष्टि के सृजन में हर जीव जंतु का, इस धरती पर अपना अपना किरदार होता है…..

ऐसा लगा मानो बोल रही हो……

“मनुष्य जीवन के साथ हम जीव-जंतु भी ईश्वर की देन होते हैं

जीवन को संघर्ष के साथ जीते हैं, बेवजह प्रकृति का क्षरण नही करते”

इतना बोल कर चुपचाप सो गयी…..

मुझे ये पूरा विश्वास था कि वो बेवजह मुझे कोई नुक़सान नही पहुंचायेगी, और न तो मेरी शांति में कोई खलल डालेगी, और शायद उसे भी यह विश्वास था कि, मैं उसे परेशान नही करूंगी…..

करीब 2घंटे का सफर इसी तरह कट गया…..

हमारे गाड़ी से उतरते ही उसका भी सफर पूरा हो गया, अपनी गर्दन को हिलाकर इधर उधर देखा…..

पूरी ऊर्जा के साथ एक बार कूद कर गाड़ी की सीट पर, और दूसरी कूद में सैर सपाटे के इरादे के साथ गाड़ी से बाहर…..

मै उसे जाते हुए उस समय तक देखती रही, जब तक वो मेरी आंखों से ओझल न हो गई……

वापस लौटते समय मेरी नज़र कार की छत पर गई……

ऐसा लगा मानो अभी भी वहां पर आराम फरमा रही हो,और मुझसे कह रही हो……

पूरे सफर के दौरान मैंने आपको परेशान नही किया, हो सके तो यह बात सभ्य समाज तक पहुंचाइयेगा…..

जीव जंतुओं के सहयोगात्मक व्यहवार के इस वाकये की बात सब को बताइयेगा….

Kindness

(सभी चित्र इन्टरनेट से)

Happiness in NatureHelpful natureHumanitylizardPeace and TranquilityspiritualityTravel
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2974shikhat

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0 comment

Manisha Kumari April 12, 2018 - 1:48 pm

I have also gone through the same experience

Mrs. Vachaal April 12, 2018 - 1:51 pm

Hahaha😊..mere liye toh achha experience raha …pdhne keep liye thanks

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कहानी का दूसरा पहलू मेरी दुनिया में आपका स्वागत है

मेरे विचार, और कल्पनाएं… जीवन की छोटी-छोटी बातें या चीजें, जिनमे सामान्यतौर पर कुछ तो लिखने के लिये छुपा रहता है… एक लेखक की नज़र से देखो तब नज़र आता है … उस समय हमारी कलम बोलती है… कोरे कागज पर सरपट दौड़ती है.. कभी प्रकृति, कभी सकारात्मकता, कभी प्रार्थना तो कभी यात्रा… कहीं बातें करते हुये रसोई के सामान, कहीं सुदूर स्थित दर्शनीय स्थान…

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