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गिरगगिट की साधना 

by 2974shikhat July 11, 2017
by 2974shikhat July 11, 2017

​

Spread Positivity जब भी किसी तस्वीर मे या पेड़ों के ऊपर पत्तियों के बीच मे या चट्टानों के ऊपर या कहीं भी शांति के साथ बैठे हुए गिरगिट को देखती हूँ तो हमेशा मुझे उसके चेहरे का “आत्मविश्वास” दिखाई पड़ता है ।

 हमेशा “चैतन्य”सा दिखाई पड़ता है ।ऐसी ही कुछ तस्वीरों को देखते हुए उसमे छिपा हुआ गिरगिट बोल पड़ा और मेरी कलम चल पड़ी और कुछ शब्द लिखते गये ….

        “छल”और “प्रपंच”के दलदल मे धँसी हुई” मानव जाति”

                  मत डालो मेरी मौन साधना मे “खलल”

              जाकर अपने आप को तो लो पहले “बदल”।

        हमे पता है हम “गिरगिटों”के चेहरे की गंभीरता विवश
                करती है तस्वीरों मे समाने के लिए
               लेकिन अभी  बैठ कर “शांत मुद्रा” मे
                       रास्ते को “नाप” रहा हूँ।

                आँखें खोलकर दुनिया को परखने के बाद
                                 “जाँच” रहा हूँ।

             बदलती हुई हवा का रूख बड़ी तेजी से “भाँप” लेता हूँ।
                   दूर से ही आते हुए खतरे को “आँक” लेता हूँ।

               रंग बदल बदल करके जब दुनिया को देखता हूँ।
                 हर इंसान का बदला हुआ सा रूप देखता हूँ ।

               कर रहा हूँ “मौन साधना” मेरे चेहरे की गहराइयों
                              को कम मत “आँकना”।

              प्रकृति ने ही तो दिया है मुझे “जन्म जात” यह गुण है
                   जरूरत के मुताबिक रंग बदल लेता हूँ ।

             अब ये मत सोच लेना की पूरी तरह से खुद को भी
                                  बदल लेता हूँ ।

     

Spread Positivity

               

                         ज़रा सा ध्यान से देखिये मेरी तस्वीर को
                      “मधुर मुस्कान” मेरे चेहरे को “नाप” रही है।
                  दूर बैठे हुए शिकार को आँखों से “भाँप” रही है।

                    कभी आँखें खोलकर कभी बंद करके
          “कीट पतंगों” के अलावा “इंसानों” को भी परखता हूँ ।

                अपने ही नाम को अपने गुणों के साथ इंसानो
           के ऊपर पूरी तरह से “सार्थक” होते हुए देखता हूँ ।
                                
        (  चित्र http:// www.clicksbysiba.wordpress .  Com के सौजन्य से )                 
       

          

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2974shikhat

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0 comment

रंगबिरंगे विचार(विमला की कलम) July 12, 2017 - 5:20 am

बहुत ही सुंदर

Mrs. Vachaal July 12, 2017 - 5:31 am

धन्यवाद 😊

Raj July 12, 2017 - 2:47 pm

Nirali

Mrs. Vachaal July 12, 2017 - 4:44 pm

😊

Rekha Sahay July 14, 2017 - 11:29 am

कविता के माध्यम से उत्तम व्यंग. ऐसे ही लिखते रहिये.

Mrs. Vachaal July 14, 2017 - 11:36 am

मेरा उद्देश्य व्यंग लिखने का नही था सिर्फ गिरगिट की बातें ही लिखना था।एक बार फिर से प्रोत्साहित करने के लिए धन्यवाद 😊

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कहानी का दूसरा पहलू मेरी दुनिया में आपका स्वागत है

मेरे विचार, और कल्पनाएं… जीवन की छोटी-छोटी बातें या चीजें, जिनमे सामान्यतौर पर कुछ तो लिखने के लिये छुपा रहता है… एक लेखक की नज़र से देखो तब नज़र आता है … उस समय हमारी कलम बोलती है… कोरे कागज पर सरपट दौड़ती है.. कभी प्रकृति, कभी सकारात्मकता, कभी प्रार्थना तो कभी यात्रा… कहीं बातें करते हुये रसोई के सामान, कहीं सुदूर स्थित दर्शनीय स्थान…

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