November 21, 2016
8 नवंबर 2016 को हुई नोटबंदी के बाद, सामान्य जनमानस अनेक तरह की परेशानियों से जूझा….
जेब मे रुपये होने के बाद भी आर्थिक असुरक्षा के झूले पर झूलते हुए दिखा…..
उस समय की स्थिति को हमने अपनी रचना मे उतारा…
शब्दों के ताने-बाने से जनमानस की मानसिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति को दर्पण मे उतारा…..
चारो तरफ गूंज रही थी आवाज ….हाय ! हाय!ये क्या हो गया Demonetization ….?
उस समय हमारे देश मे चारो तरफ हाहाकार मचा हुआ था….
हर कोई हैरान परेशान सा घूम रहा था….
बैंको के बाहर लाइन लगा कर खड़ा था….
Demonetization की समस्या से जूझ रहा था…
गृहणी होने के कारण मुझे भी चिंता सता रही थी…अपने साथ-साथ अन्य गृहणियों की भी सुध, मै किये जा रही थी ….
घर मे रोटी दाल और सब्जी की व्यवस्था याद आ रही थी…..
कई दिन से यही सब News paper और TV के साथ-साथ दिमाग मे भी चल रहा था…..
देश के विकास के खातिर हर इंसान लंबी लाइन का दर्द सह रहा था….
एक बात दिमाग मे आती है ,चलो अच्छा है हो सकता है ,इस परेशानी के बाद अच्छा समय भागते हुये आये , और हम सभी की मँहगाई की समस्या का अंत हो जाये …
वैसे भी किसी समस्या के बारे मे ज्यादा सोचने से Negativity आती है …इसीलिये जल्दी से जल्दी Negative thought से दूर रहने की कोशिश करनी चाहिए और Positivity को जिंदगी मे जगह देना चाहिए …
यही सब सोचते हुये सोने के लिये गयी Demonetization…Demonetization ही दिमाग मे चल रहा था … सोचते -सोचते कब नींद के गहरे आगोश मे खो गयी पता ही नहीं चला …
सोते -सोते सपने मे बैंक की लंबी कतार मे खड़ी थी …अगल-बगल खड़े हुये लोगो की परेशानी को महसूस कर रही थी ….काफी समय खुद को समझने के लिये भी मिल रहा था …नेताओं और समाज सुधारको की, जबरदस्ती दी जाने वाली सहानुभूति को भी झेल रही थी उनके द्वारा दिये गये packed glass का पानी पी रही थी ….
हर किसी की नजर अपने से आगे खड़े हुये व्यक्ति की भावभंगिमा और पाँव पर थी, कि कतार कितनी आगे सरकती है….
कहीं अचानक कोई व्यक्ति आपके आगे तो नहीं आ गया…इस बात पर सबकी नजर गड़ी हुयी थी … बीच-बीच मे अचानक उठने वाला शोर उत्सुकता पैदा कर रहा था कि क्या हुआ? उसके लिये आपको ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है …
हर सवाल का जवाब धीरे-धीरे सरकता हुआ आप तक पहुंच जायेगा …जहाँ पर कोई बात हुयी वो अपने पीछे या आगे वाले को बतायेगा और वो खबर कतार के अंत मे या शुरुआत तक पहुँच जायेगी …
तभी अचानक से मेरी नजर हमारी कतार के समनान्तर चलने वाली एक और कतार पर पड़ी ….
सारे देवी देवता अपनी -अपनी दान पेटी लेकर खड़े थे, लेकिन मौका मिलते ही बगल वाली कतार मे घुसने का प्रयास कर रहे थे और ,लोगो की तनी हुयी भृकुटी को झेल रहे थे …..
सबसे आगे बाँके बिहारी जी को खड़ा किया गया था, छोटा बच्चा होने के कारण… अपनी गुल्लको का बोझ बहुत मुश्किल से संभाल पा रहे थे…
हो गया उनका भी विवाद line मे खड़े लोगो से…. मुझे भी अपने बच्चों की गुल्लक याद आ गयी …
मैने उनसे पूछा आपको Delhi मे आकर पैसा deposit करने की क्या जरूरत ! आपके लिये तो वृन्दावन ही सही है…उन्होंने मुस्कराते हुये जवाब दिया आया था यहाँ अपने एक भक्त के पास, सोचा काम भी निपटाता चलूं ….
वृन्दावन मे भी कतार लंबी है , लोग किसी भी हालत मे उन्हे आगे नही आने दे रहे थे…
आखिरकार भीड़ का धक्का खाने के बाद बेचारे उलटे पांव वापस लौट लिये और ,वृन्दावन जा कर अपने स्थान पर विराज गये …
सोचकर संतोष कर लिये कि अभी 30 Dec आने मे समय है …
लेकिन बेचारे बांके बिहारी जी भी, जिंदादिल दिल्ली वालों के व्यवहार से, थोड़ा खिन्न लग रहे थे …..
उनके पीछे ही शिव भगवान खड़े थे , सर्दी तो उनको लगती नही है …
आदत के मुताबिक केवल मृगछाला पहने हुये थे … आजकल तो महिलाओ के साथ-साथ पुरूष भी नुक्ताचीनी करने मे आगे रहते हैं …
सीधी सी बात को नमक मिर्च लगाकर प्रस्तुत करते हैं ..
बोलने लगे आगे बढ़ -बढ़ कर ‘अब इनको देखिये आ गये मृगछाला पहन कर के, इतना भी सलीका नही कि सभ्य लोगो के बीच मे तो पूरे कपड़े पहन कर आना चाहिये ….पार्वती जी ने भी लगता है इनको अक्ल नही दी, हम पुरूषों के पास तो सामाजिक लोकाचार के मामले मे तो, वैसे भी कम अक्ल होती है ….
बेचारे शिव भगवान कुछ नही बोल रहे थे सिर्फ मंद-मंद मुस्करा रहे थे … इतना बड़ा गठरा सँभाल रहे थे… अपने सारे पूज्य स्थानो की दान पेटी का cash इकट्ठा करके लाये थे …
लेकिन किसी ने उनको भी line मे नही लगने दिया चार सुना और दिया …..
सबसे ज्यादा तो व्यापारी वर्ग नाराज था…
कम से कम सपने मे तो बता सकते थे कि 1000,500 के नोट बंद होने वाले है …
उनलोगो को इतना भी समझ मे नही आ रहा था कि अगर शिव भगवान को पता होता तो,उनको line मे खड़े होने की क्यों जरूरत पड़ती ?सबकी धक्का मुक्की खा कर चार बातें सुनकर, हिमालय पर जाकर विराज लिये ….
पीछे मुड़कर देखा बहुत लंबी लाइन थी …..
सारे देवी देवताओं के चेहरे पर मायूसी दिख रही थी….. हमारा Delhi का जागरूक croud किसी भी हाल मे भगवान की भी बाते सुनने को तैयार नही था …
मैने मन ही मन मे बोला. …..
जो भी दिया ,भगवन् तेरा..
जो भी लिया, भगवन् तेरा..
देखो आ ही गया ,अब सबेरा..
वो देखो छिप गया ,अब तिमिर गहरा..
हम सब तेरी ही ,डाल के तो हैं फूल..
कैसे गया रे!मनुष्य, तू भूल..
बड़ा आश्चर्य हो रहा था लोगो का व्यवहार देखकर ! ये आज हमारे Delhi वालो को क्या हो गया है ?
और सारे देवी देवता इसी bank की line मे क्यों खड़े हैं ?तभी जोर-जोर से आवाज सुनाई पड़ी दूध कहाँ रखा है? Breakfast अभी नही बना क्या?आज बच्चों के school भी जाना है …
कितनी देर तक सोने का इरादा है ….सूर्य भगवान भी निकल गये ….मम्मा मम्मा क्या हो गया आपको ? मेरी गुथ बनाइये न, उठिये उठिये….
मुझे लगा ये तो पहचानी हुयी सी आवाज है bank की line मे कहाँ से मेरी बेटी आ गयी …..तब लगा अरे! मै सपना देख रही थी ….आँखे खोली तो सामने बेटियों को देखा ….उठने के बाद दो मिनट तक इधर -उधर देखा वो, सारे भगवान जी की line कहाँ गयी ….
अभी तो बेचारे दो लोगो ने ही हमारी line मे घुसने का प्रयास किया था …बाकियों के साथ लोगो का व्यवहार कैसा रहा होगा …सबसे ज्यादा परेशान तो ,सबसे समृद्ध भगवान तिरूपति थे ….बेचारे घबराहट मे 15-20 glass पानी तो मेरे सामने ही पी गये थे …बैलगाड़ियों मे भरकर cash लेकर आये थे …
फिर दिमाग ने कहा, खैर मुझे क्या ?समस्या जिसकी होती है उसी को जूझना पड़ता है …किसने कहा था इतना सारा पैसा दान पेटी मे रखने के लिये …लेकिन ये भी सोचने लगी भगवान इस तरह की घटना सपने मे ही दिखाना, वास्तविकता मे नहीं….
हमारी आस्था अपने ऊपर बनाये रखना …और मै रोज के अपने काम को करने मे जुट गयी …खुद का आत्मविश्वास बढ़ गया ….अपना blog लिखने के लिये अच्छा विषय मिल गया ….
मेहनत का कमाओ और खाओ, जो भी थोड़ा बहुत बचाओ ,उसको सही ढंग से उपयोग मे लाओ ,तभी दिमाग मे सुकून के साथ positivity आती है ….
नोटबंदी जैसी विषम परिस्थिति मे भी आगे बढ़ने का हौसला जीवन के सफर मे दे जाती है…