(चित्र दैनिक जागरण के द्वारा )
सुबह के अखबार को देखते हुए इस चित्र और इसके टाइटिल पर आँखें ठहर गई ।एक चूजे के प्रति गुरिल्ला माँ की ममता को देखकर मेरी ममता ने भी शब्दों के रूप मे कागज को रंगना शुरू कर दिया…. .
अपना देश हो या परदेश….
पशु पक्षी हो या, इंसान का भेष….
हर जगह होती है ,माँ की ममता विशेष….
शिशु अवस्था हमेशा, चंचलता की मारी होती है….
इसीलिए अनोखी और, न्यारी होती है….
ईश्वर को हमेशा, बहुत प्यारी होती है….
देख कर ममता से भरी ,तस्वीर को मन उछल गया…
कोरे कागजों को रंगने के लिए ,बड़ी जोर से मचल गया…
ममता के भाव केवल, अपनी संतान के लिए ही नही उमड़ते…
हर नन्हे बच्चे के लिए ,उमड़ते घुमड़ते…
इस भाव से मनुष्य के अलावा, जानवर भी अपरिचित नही..
दिखती नही ममता की भावना मे ,कहीं से कोई कमी…
छोटे बच्चे के साथ ममता बांटना, दिल को यही बताता है….
इंसान के अलावा जानवरों को भी, यह रिश्ता कस कर बाँधता है…
छू न सके कोई कष्ट तुम्हें, आओ मै तुम्हें अपने साये
के नीचे छुपाती हूँ…
धीरे से रखो कदम जमीन पर, गिरने से पहले मै सँभालती हूँ….
घायल किसी हाल मे न होने दूंगी …
आने वाले हर कष्ट को हर लूंगी…
हर माँ के दिल और भाव भंगिमा से, बस यही आवाज आती है….
माँ का साथ कितना अजीब होता है….
थोड़ा तीखा ,थोड़ा मीठा लेकिन बड़ा हसीन होता है….
क्रोध के समय मे भी, आँखों के कोर से वात्सल्य झाँकता है…
थोड़ी ही देर मे गुस्सा पता नही, किस कोने मे भागता है…
रहती है हर समय दिमाग को, बस एक बात ध्यान….
दूर रहे मेरे बच्चों के पास से ,विघ्न बाधायें तमाम….
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बहुत ही अच्छा लिखा है आपने। सच कहा है माँ की ममता होती ही निराली है।
धन्यवाद 😊