This heritage walk had a positive message for me and the other visitors.
The majestic walls seem to say that nothing is permanent .
सुना था बचपन से मैने लाल किले का नाम ….
सामान्य ज्ञान के प्रश्नोत्तर मे भी कभी-कभी उलझ जाया करती थी, आगरा के लाल किले और दिल्ली के लाल किले मे अंतर नहीं कर पाती थी …..
बाद मे पता चला दिल्ली वाला नया है । इतने साल हो गये दिल्ली मे रहते हुये ,लेकिन कभी जाना न हो पाया । अपनी दैनिक जिम्मेदारियों के कारण, या बाहर निकलने का आलस, ये दोनो ही मिलकर रोक देते थे मुझे ,ऐसी जगह जाने से । Heritage walk मे जाने का मौका मिला सोचा चलो हम भी चलते हैं , देखे क्या बला है ये दिल्ली का लाल किला ।
पुरानी दिल्ली की तरफ का सफर अपनी गाड़ी से करना,ज़रा नासमझी वाला निर्णय लगता है । जगह-जगह पर जाम की चिल्लम पों से अगर दूर रहना है तो, हमारी मेट्रो से अच्छा कोई साधन नही है आवागमन के लिये । चाँदनी चौक मेट्रो स्टेशन से लाल किले तक का सफर रिक्शे का, उसके बाद ticket लेने के साथ-साथ security की सारी formalities पूरी करने के बाद, लाल किले के अंदर ।
ऊँची – ऊँची लाल रंग की दीवारें दूर तक फैली हुयी ऐसा लगा पास मे बुला रही हो कुछ कहना चाह रही हो …….
आओ मेरे पास आओ
मेरी बातों को तो गुनो
जरा ध्यान लगाकर सुनो …
मेरे ही सहारे जरा
इस किले की कहानी तो सुनो …
कुछ किस्से कहानी
अपनी रचनाओं में भी बुनो…
मै हूँ लाल किले की दीवार
मै हूँ शक्ति का प्रतीक …
मैने क्या क्या देखा है?
मैने तख्तो ताज़ पर लोगो को
चढ़ते हुये देखा है …
मैने तख्तो ताज़ के लिये ही
लोगो को लड़ते हुये देखा है …
मैने तख्तो ताज़ के लिये ही
लोगो को दफन होते हुये देखा है …
तख्तो ताज़ की शान के लिये ही
लोगो को दीवारों मे चुनते हुये देखा है …
देख रही हैं आप परिंदों को
उड़ान भरते हुये …
आदत हो गयी है इन्हें शताब्दियों से
चलते फिरते लोगों को यहाँ वहाँ देखने की …
इन्होंने भी अपना आशियाना
यहीं बना लिया है …
पता है इन्हें किलों मे होने वाले
अघोषित युद्धों का …
निर्दोषों को छलावे से
मारे जाने का …
शांत खड़ी हूँ शताब्दियों से
चुपचाप से देखती रहती हूँ…
जो सुनना चाहता है
उसे यहाँ की कहानी सुनाती हूँ…
किले की दीवार की मजबूती को देखकर लोग
दंग रह जाते हैं …
आपने देखा मुझे ध्यान से
सोचा आपसे ही कह दूँ …
अपने अंदर के उबलते हुये जज्बात को
आपके सामने ही उड़ेल दूँ …
शाहजहाँ और मुमताज की बातें तो हमारे देश में
हर कोई जानता है …
लेकिन जो हुआ था छल प्रपंच यहाँ
वो किसी को न भाता है …
वो देखा सिंहासन आपने
दूधिया संगमरमर का बना हुआ …
उठ गयी थी तलवारें ,बरछी ,तीर और कटार
मारे गये थे इसी सिंहासन के लिये लोग बेशुमार ...
सोचती हूँ इतिहास से ही
ले लो कुछ तो सबक …
ये सत्ता, मोह, माया, छल और प्रपंच
हो सका है इसका अब तक न कोई अंत …
किले महल और तख्तो ताज़ !
दिखते हैं अहं की लड़ाई का ही प्रतीक
कहते हैं कुछ लो मुझसे भी सीख …
दीवार की बातें सुनने के बाद जल्दी ही मेरा ध्यान, प्राकृतिक सुन्दरता की तरफ चला गया । क्योंकी ऐसी जगहों पर हरियाली भी अच्छे से दिखायी देती है। आकाश की तरफ देखो तो परिंदे ही परिंदे दिख रहे थे। कोई अपने पेट को भरने मे लगा हुआ था, तो कोई तिनके इकट्ठे कर के घोसला बनाने मे । ये सब देखते-देखते मै इसमे खो सी गयी थी कि ,अचानक से मेरे पैर के पास एक नन्ही सी गिलहरी आ कर खड़ी हो गयी ।
मैने आगे बढ़ने की कोशिश की, वो मेरे सामने आकर मुझे डराने की कोशिश करने लगी । ऐसा लगा मुझसे बोल रही हो अच्छा मेरे इलाके मे ऐसे कैसे घूम रही हैं आप ?आपको पता नही है , हमारे दादा ,परदादा ,नाना ,नानी सब यहीं पर रहते थे आप कहाँ से आ गयी ?मेरे जोर से हँसते ही वो वहाँ से भाग गई I मुझे ऐसा लगा आश्चर्य मे पड़ गई हो कि, मै तो इन्हे डरा रही थी और ये हँस रही हैं । बड़ी दूर से पेड़ पर चढ़कर मुझे गुस्से से घूर रही थी । मै भी अपने रास्ते पर आगे बढ़ गयी।
सलीमगढ़ के किले के नाम पर टूटी फूटी दीवारें और कुछ अवशेष ही दिखायी दे रहे थे । मै सोचने लगी रात मे इस तरह के स्थान, कितने भयावह हो जाते होंगे ।
शांत मन से ऐसे किलों और जगहों पर बैठो तो, सही मे ये बोलते हुये से ही लगते हैं । ऐसा लगता है मानो कह रहे हो छल करने वाले हर जगह हर समय मिलेंगे, विजयी बनना है तो , अपने आत्मविश्वास को अपनी ताकत और अपना सच्चा दोस्त बनाइये ।
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Beautifully said!
Aap witness hai ki squirrel ne mujhe drane ki koshish ki thi mujhe woh wali pic chahiye agar aap ko koi problem n ho toh eagle ki bhi☺
क्या लिखा है आपने, जबरदस्त!
Thanx😊