आज के समय की अस्वस्थकर जीवन शैली,अपने अवगुणों के कारण ही मोटापे को साथ लिए फिरती है
समाज में दूसरा नहीं तो तीसरा व्यक्ति,पूरी तरह नहीं तो आंशिक रूप से ही, मोटापे से पीड़ित है…
मोटी लड़कियों और महिलाओं को देखकर नाक भौं सिकोड़ने वाला पुरुष समाज ! बढ़े हुए वजन के साथ घूमता फिरता दिखता है….
बढ़ा हुआ वजन सामान्य तौर पर खुद की बुरी आदतों का ही परिणाम होता है….
बचपन में याद की हुई कविता की कुछ पंक्तियां, मोटापे को याद करते ही जुबान पर आती हैं…..
“आराम करो आराम करो,आराम जिंदगी की कुंजी
इससे न तपेदिक होती है,आराम सुधा की एक बूंद
तन का दुबलापन खोती है,आराम शब्द में राम छिपा
जो भवबंधन को खोता है,आराम शब्द का ज्ञाता तो
विरला ही योगी होता है”
हास्य के भाव को दिखाती ये पंक्तियां,आज के समय में सिर्फ और सिर्फ जीभ के स्वाद को आराम देने की बात कहते हुए सार्थक लगती हैं……
खाने पीने की दुकानों पर दिखते हैं हर समय मेले……
खाली नही दिखते रेस्टोरेंट्स या सड़क के किनारे लगे ठेले…...
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100% relevant to current lifestyle of this generation