लाल किले का सम्मन बुर्ज़ और दारा शिकोह
आगरे में जमुना के किनारे-किनारे पेड़ों की छाया में बड़ी बड़ी हवेलियाँ बनाकर अमीर उमराव लोग रहते हैं Iअभी जहांनाबाद में ऐसा नहीं हो सका हैI यहाँ के ज्यादातर मकान बड़े बड़े पत्थरों को तोड़कर बनाये गए थे I बीच- बीच में कहीं – कहीं चटाइयों को घेरकर घर बनाये गए थे I मिट्टी और चूना से पुते होने के कारण देखने में साफ़ – सुथरे I
सारा दिन शाहजहाँनाबाद को घेरकर फौजी क़वायद होती रहती थी I इन घरों में फौजी नायक रिसालेदार रहते हैं सिर्फ रात भर के लिए I लालकिला आधे चाँद के आकर का बना होने के कारण दोनों तरफ से जमुना को छूता है I किले के बाकी सब तरफ नाला बना हुआ है और उसमें जमुना का पानी भरा रहता है I उसे पार कर के आना मुश्किल होता है I
इस वक़्त ज़्यादातर घरों के दरवाजे और खिड़कियां बंद हैं Iशाम को जब गर्मी कम होगी ठंडी हवा चलेगी तब दरवाजे खोले जायेंगें .किले के ऊपर से दारा को इन घरों को देखना बहुत अच्छा लगता था I इन घरों में अक्सर आग भी लग जाती है .फौजी क़वायद के कारण शायद चिंगारी यहाँ तक पहुंच जाती हो I
पानी के लिए लोगों को भागते फिरते देखा था दारा ने .जमुना का पानी भी बहुत नीचे जाकर मिलता है ‘जब तक पानी आये तब – तक झोपड़ियाँ जलकर राख हो जाती हैं I
वैसे शाहजहाँनाबाद गाँवों का एक समूह है – शहर बनने में बहुत वक़्त लगेगा I अचानक दारा एक तरह की आवाज सुनकर चौकन्ना हो गया I यह कैसी आवाज है ,वह फिर से उस आवाज को सुनने के लिए तैयार हुआ I
थोड़ी देर बाद फिर से आवाज आयी गुम – गुम ,शहज़ादे ने नीचे देखा फिर सोचा लाल क़िले के सम्मन बुर्ज़ से देखेंगे ,वहां से तो सारा शाहजहाँनाबाद दिखता है I
दोपहर की इस गर्मी में ऊँट तक परेशान थे I ऊंटों के सिरों और गले में घांस भिगो कर बांध दी गयी थी I दूर जामा मस्जिद का गुम्बद दिखाई दिया I खुली जगहों पर फ़ौज थी तम्बुओं में I दूर तक देखते -देखते एक जगह शहज़ादे की नज़र ठहर गयी I जमीन से काफी ऊंचाई पर काफी जगह घेरकर एक काला स्तम्भ सा दिखाई दिया I
दारा पहचान गए आगरा से काफी संख्या में हाथी शाहजहाँनाबाद आ गए थे I
यह उन्ही हाँथियों का झुंड है ,जंगपुरा की तरफ सब कूच कर रहे थे .थोड़े से हाथियों को लेकर उन्हें जंग की तालीम दी जा रही थी I
लड़ाई में बन्दूक की आवाज सुनकर हाथी न भागे, और अपनी ही सेना को न रौंद डाले .इसलिए उन हाथियों को बन्दूक की आवाज से परिचित कराया जा रहा था I
दारा ने फिर से जंग पुरा की तरफ देखा ,शाही हाथियों के सामने आग जलायी जा रही थी I
ऊपर से देखते हुए शाहज़ादे ने सोचा ,लड़ाई की शिक्षा तो हाथियों को तब दी जाती है जब लड़ाई पर जाना हो I
दारा के दिमाग में सवाल कौंधा , क्या फिर से एक नया युद्ध ?