MotivationPoems शब्दों की रस्साकशी by 2974shikhat November 19, 2019 by 2974shikhat November 19, 2019 Image Source : Google Free दिन का ही तो कोई पहर था….. शायद दूसरा पहर था…. कागज और कलम का साथ था…. साथ मे शब्दों का सैलाब था…. ये शब्द भी चंचलता से भरे थे…. मस्तमौला अंदाज़ मे चले थे…. कभी इधर कभी उधर छिटक रहे थे…. बार बार रास्ता भटक रहे थे…. इरादा कहानी लिखने का था…. पर कविता लिखवाने पर अड़े थे…. कलम ने सहृदयता के साथ उदारता दिखायी…. शब्दों को राह दिखायी….. बोली चलो हमारे साथ…. पहले कागज पर, तो उतरते हैं…. फिर शब्दों को परखते हैं… देखते हैं तब शब्दों का मिजाज… कागज पर उतरने के बाद….. भाव कहानी मे सिमटते हैं….. या फिर कोई कविता लिखते हैं…. मन के साथ मस्तिष्क भी व्यग्र था…. शब्दों का मामला सुलझाने मे व्यस्त था…. हो गया ढेर सारा समय बर्बाद…. बस इसी उधेड़बुन के साथ… आखिरकार शब्दों को अक्ल आयी…. मस्तिष्क से निकलकर… कलम की बतायी हुई राह अपनायी… शायद हर लेखक के साथ होती है… शब्दों को, वाक्यों या छंदों मे बांधते समय यह बात… शब्दों का बदलता रहता है समय समय पर,कागज पर उतरने का अंदाज…. कभी तो कागज पर उतरने के बाद भी मूक से नज़र आते हैं…. कभी कोयल की कूक की तरह… स्वर लहरियों सा गुनगुनाते हैं….. आखिरकार मामला सुलझ गया….. शब्दों के मिजाज के अनुरूप ही…. शब्दों का समूह छंद के रूप मे.. कविता बन कागज पर सलीके से उतर गया….. AdaptationEncouragementinspirationPen and paperpositivityStruggleThoughtswriter 0 comment 0 FacebookTwitterPinterestEmail 2974shikhat previous post आस्था और भावनाओं के साथ मोक्षदायिनी गंगा next post विचारों के तले जीवन के पल You may also like जय चंद्रयान 3 August 24, 2023 तट नदिया का February 17, 2022 चलता चल राही September 30, 2021 बदलता सा मौसम September 15, 2021 शब्दों का तिलिस्म September 6, 2021 माँ September 3, 2021 बेटियां August 30, 2021 जीभ गुनहगार बढ़े हुए वजन की जिम्मेदार August 20, 2021 आवाज प्रकृति की August 16, 2021 बात इतनी सी August 6, 2021 0 comment drskjoshialm June 20, 2020 - 1:09 am सुन्दर सृजन।
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सुन्दर सृजन।