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हिंदू नववर्ष का उत्साह, अलग-अलग नामों के साथ

by 2974shikhat March 19, 2018
by 2974shikhat March 19, 2018

 

मनुष्य जन्म के साथ ही अपने जीवन में

परिवार धर्म और समाज से जुड़ा होता है । हर इंसान अपने धर्म और अपने विचारों से ,गहराई से जुड़ा होता है । 

 

यह बात बिल्कुल गलत नही कि किसी भी धर्म

जाति और संप्रदाय से ऊपर इंसानियत और मानवता

का धर्म होता है । 

हिन्दू नववर्ष की शुरुआत ने एक बार फिर से

मन को आस्था और विश्वास के साथ जोड़ दिया । 

नववर्ष के साथ जुड़े नवरात्र के दिनों ने ,देवी की आराधना को कभी मंत्रों या शब्दों के जरिए ,तो कभी मौन प्रार्थना के जरिए ही उपासना की तरफ मोड़ दिया । 

 

दिव्य अस्तित्व का सम्मान करना ही पूजा कहलाता है

व्यक्ति अपने भावों के द्वारा इसे भक्ति ,आराधना, सेवा,सत्कार

या स्तुति कहता जाता है । 

हिंदू घरों में कलश स्थापना के साथ मां की आराधना के साथ शुरू हुए हों नवरात्र या जम्मू-कश्मीर में हो नवरेह ,महाराष्ट्र का गुड़ी पड़वा हो ,या आंध्र प्रदेश का उगादी ,नाम भले अलग अलग हों ,सभी नववर्ष के उत्साह को दिखाते हैं । 

जाती हुई शीत ऋतु और आती हुई ग्रीष्म ऋतु के कारण होने वाले तमाम तरह के प्रभावों को ,आराधना और उत्साह के रंगों से रंगते जाते हैं । 

नवरात्र का पर्व कन्या पूजन की बात को दृढ़ता से कहता जाता है ,स्त्री रूप में देवी मां के अलग-अलग रूपों को दिखाकर महिलाओं के सम्मान की बात कहता जाता है । 

Hindu nav varsh

गुडी पड़वा वनस्पतियों के औषधीय उपयोग को

बताता जाता है । 

आम, नीम,बांस और नारियल के माध्यम से

आरोग्य और सुख समृद्धि को जोड़ता जाता है । 

जम्मू-कश्मीर का नवरेह पर्व भी प्रकृति के साथ

परिवार की सुख समृद्धि को जोड़ता है । 

Hindu nav varsh

मौसमी फल हों या फसलें, कलम दावात के साथ

विद्या और ज्ञान की वृद्धि की बात को भी बोलता है । 

मंत्रोच्चार के साथ, आंध्र प्रदेश का हर घर का आंगन गूंज जाता है । 

क्योंकि नये साल का त्योहार यहां पर

उगादी के नाम से मनाया जाता है। 

घरों के दरवाजे तोरण, रंगोली और आम के पत्तों के साथ

सज जाते हैं । 

Hindu nav varsh

सहभोज के आयोजनों के समय अमीर गरीब

और जाति के भेद वाली सामाजिक बुराई नहीं दिखती । 

स्पष्ट रूप से त्यौहारों के साथ साथ प्रकृति भी

सकारात्मक विचारों के जरिए उमंग और उत्साह को लाती है । 

इन दिनों में शुभ कार्यो के आयोजन संपन्न होते हैं । 

प्रकृति के साथ साथ इंसान भी मन और विचारों से

निर्मल होते हैं । 

 

Feeling of positivityHindu nav varshIndian society and culturenavratriPeace and Tranquility
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2974shikhat

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मेरे विचार, और कल्पनाएं… जीवन की छोटी-छोटी बातें या चीजें, जिनमे सामान्यतौर पर कुछ तो लिखने के लिये छुपा रहता है… एक लेखक की नज़र से देखो तब नज़र आता है … उस समय हमारी कलम बोलती है… कोरे कागज पर सरपट दौड़ती है.. कभी प्रकृति, कभी सकारात्मकता, कभी प्रार्थना तो कभी यात्रा… कहीं बातें करते हुये रसोई के सामान, कहीं सुदूर स्थित दर्शनीय स्थान…

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