हम भारतीय हैं
उदार और मददगार
यह मेरे विचार नही है ।
सारे विश्व ने इस बात को माना है ।
चिंतको और विचारको का यह फसाना है ।
भारत भूमि ने वेद, पुराण और महाकाव्यों को रचा है ।
अनेक विविधता के बीच मे
हमारा समाज चलता है ।
सभी के जीवन के सफर मे पारिवारिक समारोहों
के अलावा ,समाज और राष्ट्र से जुड़ने के लिए
अनेक प्रकार के त्योहार आते हैं ।
चुपके से मन मे उमंग और उत्साह डालकर
कुछ समय मे ही चले जाते हैं ।
हर कोई अपने अपने घरों की साफ सफाई मे
तल्लीनता के साथ जुट जाता ।
आलस मे डूबा हुआ व्यक्ति भी
ज़रा सा हिलता है ।
उत्साह के साथ लोगों से
मिलता और जुलता है ।
मै भी इसी उमंग और उत्साह का हिस्सा थी ।
अपने घर की साफ सफाई मे तल्लीनता के साथ जुटी थी ।
धूल और मिट्टी झाड़ने के उद्देश्य से किताबों की
आलमारी के पास खड़ी थी ।
किताबों की आलमारी खुलते ही
धूल और मिट्टी की महक
हमारे भीतर समा गयी ।
अचानक से किताबों की आलमारी मे हलचल हो गयी ।
उलाहना वाले अंदाज में हमसे कहने लगीं ।
आजकल आप हमारा ख्याल कम रखती हैं ।
कागज और कलम को अपने संग रखती हैं ।
बस यूँ ही हमारा ख्याल रखने का दम भरती हैं ।
देखिये कितने दिनो से हम धूल और मिट्टी मे पड़े हैं ।
सूखे हुए कपड़े से भी कितने दिनों से नही झड़े हैं ।
वो तो खैर मनाइये तीज और त्योहारों का ।
बस इसी कारण से साफ और सफाई के बहानों का ।
कई घरों मे तो हम ऐसे ही पड़े रहते हैं ।
हर समय धूल और मिट्टी मे सने रहते हैं ।
अब कम से कम आप तो ऐसा गज़ब मत किया करिये ।
हमारी खैरियत समय समय पर पूछ लिया करिये ।
सफाई करते हुए मै उनकी बातों को सुन रही थी ।
सुनते-सुनते उनके दुख और पीड़ा को समझ रही थी ।
तभी कहानियों की किताब
विशाल आकार वाली किताबों के
बीच मे से कूद कर, हमारे पास आ गयी ।
अपनी भौहों को तरेरते हुए गुस्से मे
हमे चार बातें सुना गयी ।
मै तो बिल्कुल भी नही लगाऊंगी आपको मस्का ।
सच बताऊँ तो आपको देखकर लगता है कि
आप को भी लग गया है,टैब या लैपटॉप का चस्का ।
जिसको लग जाती है इलेक्ट्रॉनिक गैजेट की लत ।
उनमे से अधिकांश लोग नही करते पन्नों मे सिमटी हुई किताबों की कद्र ।
सुनकर उनकी बातों को मै विचारमग्न हो गयी ।
क्योंकि, बातों मे उनकी सच्चाई थी ।
अधिकांश घरों से किताबें आजकल दूर हो गयी हैं ।
आलमारियों के अंदर बंद रहने पर मज़बूर हो गयी हैं ।
सबसे अच्छा दोस्त किताबों को मानने वाला सिद्धांत अब
ज्यादा नही चलता ।
पन्नों के बीच मे समायी किताबें
लैपटॉप और मोबाइल की दुनिया के बीच मे अपने
गुम हो चुके अस्तित्व को खोजती हैं ।