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Short StoriesTravel

शहर प्रयागराज

by 2974shikhat February 9, 2021
by 2974shikhat February 9, 2021

विषय इतिहास भी अच्छे खासे नगरों और कस्बों के नाम परिवर्तन की बात को ,शाशन -सत्ता और शक्ति प्रदर्शन के साथ बतलाता है।

Image Source : pinterest.com

बीतते हुए समय के साथ परिवर्तित नाम ही जुबान पर चढ़ जाता है। वास्तविक नाम से आम जनता का परिचय इतिहास के पन्नों को पलटने के साथ हो पाता है। बात वर्तमान के प्रयागराज की करिये तो लम्बे समय के बाद ,अपने वास्तविक नाम से अपनी खोयी हुई पहचान को वापस पाया है।
प्रयागराज नाम तो पौराणिक ग्रंथों के भीतर ही समाया रहता था।

कहिये तो कुछ अलग सा नही है शहर, मानिये तो बड़ा अलग सा है शहर।

आज बचपन की स्मृतियों मे नज़र आ गया , गंगा जी का किनारा ,रास्तों की भीड़भाड़, आज से दशकों पहले भी जाम से जूझता हुआ।
लेकिन ,अपनेपन के साथ धार्मिकता और आध्यात्म को खुद के भीतर समेटता हुआ।
ज़रा सी हाई पिच मे बातें करते हुए स्थानीय लोंग ,अधिकांशतः स्थानीय धार्मिक लोगों की सुबह सुबह ही गंगा जी के किनारों की दौड़।
रेत बालू के साथ खेलता हुआ बच्चों का समूह। गंगा जी के किनारों पर रेत से शंख और सीपियों को चुनता हुआ बचपन।
मौसम की बात करिये तो सर्दी मे कड़ाके की सर्दी, गर्मी मे बिजली कटौती के साथ सूर्य की किरणों का तीव्र प्रहार। नदी के किनारे बसावट होने के कारण ,गर्म मौसम मे आद्रता का स्तर बढ़ा हुआ होता है।

Image Source : holidayrider.com

गंगा जी के ऊपर बना हुआ अंग्रेजों के ज़माने का लोहे का पुल। पुल के ऊपर से गुजरती हुई ट्रेन ,एक अलग ही तरह की ध्वनि निकालती थी।
लोहे के पुल को कम्पित करते हुए गुजर जाया करती थी।
पुल के ऊपर से नीचे देखने पर नदी मे कहीं रेत के टीले , कहीं गंगा जी की पतली सी धारा ,कहीं चौड़ाई मे बहता हुआ प्रबल प्रवाह।
धूप में ,बरसात में ,सर्द मौसम में ,नदी में तैरती हुई नाव शायद ! मछुआरों की होती होगी या नदी की धारा के साथ सैर करते हुए पर्यटकों की।

घूमने फिरने की जगहों की बात करिये तो धार्मिक,सांस्कृतिक ऐतिहासिक विरासतों को सहेजने वाला शहर है।

लेटे हुए हनुमान जी हों , क़िला हो ,नेहरू परिवार की विरासत को सहेजे हुए आनंद भवन हो , अलोपी मंदिर हो ,मंदिर के साथ लगा हुआ रंग बिरंगी चूड़ियों का बाजार हो ,स्वतंत्रता के पहले की मिठाइयों की जायकेदार दुकानें हो।
सभी कुछ स्मृतियों में सहेजा हुआ सा नज़र आ रहा था।
स्कूल स्तर के अध्यन के लिए अच्छे स्कूल, हायर एजुकेशन के लिए कॉलेज ,इलाहाबाद युनिवर्सिटी में पढ़ाई करना गर्व का विषय ,मोतीलाल नेहरू इनजीनियरिंग कॉलेज , मेडिकल कॉलेज ,इलाहाबाद हाई कोर्ट एक अच्छे स्तर के शहरीय जीवन को जीने के लिए उपयोगी चीजें यहाँ दिखेंगी।

शीत ऋतु में , गंगा जी के किनारे कल्पवासियों का जमावड़ा रहता है।

नियम ,ध्यान ,पूजा पाठ ,सत्संग ,प्रवचन कल्पवासियों की दिनचर्या का अंग होता है। हर वर्ष कल्पवासियों के कारण गंगा जी का किनारा ,भक्ति और आध्यात्म की लौ से जगमगाता सा प्रतीत होता है।
कुम्भ ,अर्धकुम्भ मेले के दौरान कृत्रिम रोशनी की बात करिये तो मेला परिसर ,चमकीले बिजली के लट्टुओं से जगमगाता नज़र आ जायेगा।
इन बिजली के लट्टुओं की चमक जब गंगा जी के जल पर पड़ती है तो , झिलमिल सी चमक आँखों के भीतर समा जाती है।

माँ गंगा में आस्था रखने वाला हिन्दू समुदाय ,जन्म से लेकर मृत्यु तक के संस्कारों को माँ के साथ जोड़ता है।

नवविवाहितों का जोड़ा माँ गंगा से आशीर्वाद लेता हुआ दिखेगा ,पुण्य की चाह में गंगा जी में डुबकी लगाता हुआ जन समुदाय दिखेगा।
नन्हा सा बच्चा अपने मुंडन संस्कार के समय रोता बिलखता दिखेगा ,दूसरी तरफ परिजन उसके बदले हुए रूप को देखकर मुस्कुराते हुए नज़र आयेंगे।

अनुष्ठानों और कर्मकाण्डों के तुरंत बाद दान दक्षिणा पर विवाद भी सुनाई पड़ेगा।

कोई मुक्त हाथों से दान दक्षिणा देता हुआ दिखेगा ,कोई कसी हुई मुट्ठी को धीरे से खोलता हुआ दिखेगा।
गंगा जी की धारा के साथ हिचकोले खाती हुई अधिकांश नाव , त्रिवेणी संगम की तरफ जाती हुई दिखती हैं।

प्रयागराज शहर अनेक सांस्कृतिक विरासतों को सहेजता हुआ,जन समुदाय की धार्मिक भावनाओं को साथ लेकर पर्यटन के एक बड़े केंद्र के रूप में कुम्भ,अर्धकुम्भ मेले के समय नज़र आता है।

रेलयात्रा ,सड़क यात्रा के साथ ,हवाई यात्रा की शुरुआत आम नागरिकों के लिए भी हो चुकी है।दूर दूर तक फैले हुए मेला परिसर की चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था , निश्चित रूप से प्रशासन के लिए चुनौती की बात होती है।
विदेशी पर्यटकों का जमावड़ा , नवरात्रों के समय शहर की सजावट और रामलीला के पात्रों की निकलने वाली झांकी को देखने के लिए , शरद ऋतु के आरम्भ से ही शुरू हो जाता है।
बात अगर “नमामि गंगे परियोजना” की करें तो प्रयागराज सामने आता है।
बात अगर उत्तरप्रदेश में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने की करिये तो वाराणसी ,आगरा ,मथुरा , वृन्दावन गोमती के किनारे बसे हुए लखनऊ प्रयागराज के साथ प्रयागराज भी इसी श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण कड़ी समझ में आता है।
हमारी आस्था भी , माँ गंगा के चरणों में बसे हुए प्रयागराज शहर के विषय में लिखने के लिए प्रेरित कर जाती है।

Incredible IndiaIndian society and cultureKalpvas in AllahabadNamami GangePrayagrajSpritualityTriveni SangamUP Tourism
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कहानी का दूसरा पहलू मेरी दुनिया में आपका स्वागत है

मेरे विचार, और कल्पनाएं… जीवन की छोटी-छोटी बातें या चीजें, जिनमे सामान्यतौर पर कुछ तो लिखने के लिये छुपा रहता है… एक लेखक की नज़र से देखो तब नज़र आता है … उस समय हमारी कलम बोलती है… कोरे कागज पर सरपट दौड़ती है.. कभी प्रकृति, कभी सकारात्मकता, कभी प्रार्थना तो कभी यात्रा… कहीं बातें करते हुये रसोई के सामान, कहीं सुदूर स्थित दर्शनीय स्थान…

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