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Daily LifeShort Stories

बृहन्नला

by 2974shikhat July 24, 2020
by 2974shikhat July 24, 2020
Expression

Image Source : Google Free

Many people are always judging others according to money and appearences .

There are others who are unable to take quick decisions .My post is about such mentally infertile people .

“बृहन्नला” महाभारत मे एक वर्ष के अज्ञातवास के समय ,पराक्रमी अर्जुन के द्वारा अपनाया गया नाम था ।

अर्जुन “बृहन्नला “के नाम से रनिवास मे, स्त्रियों को नृत्य और संगीत की शिक्षा दिया करते थे । उस समय अर्जुन अप्सरा उर्वशी के द्वारा दिये गये श्राप से नपुंसक थे ।

Expression

Image Source : Google Free

इस पोस्ट को लिखने के लिये मै WordPress से ही प्रेरित हुयी ,जब मैने बृहन्नलाओं के ऊपर लिखा एक लेख पढ़ा ।यहाँ पर “बृहन्नला” शब्द का उपयोग मैने शारीरिक अपूर्णता से ग्रसित बृहन्नलाओं के अलावा मानसिक नपुंसकता से ग्रसित इंसानो के लिये भी किया है ।

मानसिक नपुंसकता केवल पुरूषों के ऊपर ही नही, बल्कि महिलाओं के ऊपर भी लागू होती है।अपने आस-पास सामाजिक परिवेश मे, परिवार मे, हर जगह मानसिक नपुंसकता के शिकार लोग देखने को मिलते हैं ।

इस post को लिखने का उद्देश्य, किसी वर्ग या व्यक्ति विशेष को अपमानित करना नही है । सामान्यतया हम सभी के अंदर कहीं न कहीं, मानसिक नपुंसकता छिपी रहती है। मेरा उद्देश्य सिर्फ अपने विचारों को व्यक्त करना है…

देखती हूँ हमेशा नगरों महानगरों मे…..

स्वांग रचायी हुयी “बृहन्नलाओं” को……

चेहरे पर पुता हुआ श्रृंगार….
उसके अंदर से झाँकता हुआ
उनका बनावटी व्यवहार……

सोच मे पड़ जाती हूँ कभी-कभी…
क्या शारीरिक अपूर्णता ही
“बृहन्नला “बनाती है?

दिखते हैं लोग चारो तरफ….
तौलते हैं नजरों से इंसानो को….
आथिर्क विषमता एवम् रंग रूप ही
उनका पैमाना होता है….
अपने अहं के तराजू पर ही हमेशा
इंसानों को तोलना होता है…

चेहरे के ऊपर चेहरा छिपाये हुये
दिखते हैं इंसान समाज मे…
क्या वो नही होते

महाभारत के अर्जुन और शिखण्डी का
” बृहन्नला” रूप था “चक्रधारी” का रचा हुआ…

आजकल की “बृहन्नला” दिखायी देती हैं
समाज मे चारो तरफ…
क्या महिला ? क्या पुरुष ?पूर्ण आधिपत्य से
मुखौटों के पीछे !समाज मे चारो तरफ उपस्थित ….

” बृहन्नलाओं” की तालियों की आवाज के साथ-साथ….
उनकी लहराती हुयी आवाज !
मुग्ध करती है लोगों को….
तृप्त करती है “बृहन्नला”
मानसिकता वाले इंसानो को….

शारीरिक नपुंसकता के भरोसे अपना
पेट पालती हुयी “बृहन्नलाओं” को देखकर….
इंसान उन्हें हँसी का पात्र समझता है….

उनके नृत्य और संगीत के मजे मे, डूबता उबरता रहता है….
अपने विचारों ,अपने संस्कारो को भूल जाता है….
हमेशा दिखावे के बाजार मे डोलता रहता है….
क्या वो नही होते “बृहन्नला “?..

सुनती हूँ लोगों की बातों को बड़े ध्यान से…
विचारों के मझधार मे फँसे हुए…
बिन पेंदी के लोटे जैसे लुढ़कते हुये इंसानो को
क्या वो नही होते “बृहन्नला” ?

देखा था “बृहन्नलाओं “के झुण्ड को….
नरमुण्ड के बीच मे डोलते हुये….
कितनी नजरों को देखा ….
उन्हे ,ऊपर से नीचे तक तोलते हुये…..

लोगों की नजरों मे हमेशा होते हैं…
अजूबे वाले भाव के साथ-साथ परिहास भी….
जीवन होता है जिस किसी के पास भी…
क्या होता नही उसे ,जीवन जीने का अधिकार भी…?

अपने अंदर की कमियों को हर कोई छुपाता है….
लेकिन दूसरे की कमियों को
बड़े उत्साह से दिखाता है…..
क्या वो नही होते “बृहन्नला”?….

नजर गयी “बृहन्नलाओं” की तरफ…..
अपने काम मे मशरूफ थी…
कार के शीशों के सामने खड़ी होकर...

अपनी तालियों की आवाज के स्तर को घटाते बढ़ाते हुये….
अंदर बैठे हुये इंसानो के सामने…..
हाथ फैलाने के लिये मजबूर थीं….

brihannalaConversationExpressionHuman behaviorMahabharatpsychologysocietystone throwerStruggleThoughts
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7 comments

Rekha Sahay April 26, 2017 - 5:50 am

क्या खूब लिखा है आपने. ढेरों जानकारियों से आपकी पोस्ट ओतप्रोत तो है ही. साथ ही ज़बर्दस्त कटाक्ष भी सही और सटीक है —

इंसानो को तोलना होता है

चेहरे के ऊपर चेहरा छिपाये हुये
दिखते हैं इंसान समाज मे
क्या वो नही होते वृहन्नला ?

Mrs. Vachaal April 26, 2017 - 11:46 am

इस पोस्ट को लिखने का विचार मुझे आपकी ही एक पोस्ट को पढने के बाद आया था
मेरा हौसला बढ़ाने के लिये धन्यवाद
अगर कोई भी व्यक्ति व्यवहारिक है तो समाज मे रहते हुये मानसिक नपुंसकता को आराम से देख सकता है
मैने इसे सकारात्मक दृष्टिकोण से लिखने की कोशिश किया है😊

Rekha Sahay April 26, 2017 - 11:53 am

अगर मेरा पोस्ट आपको लिखने के लिये कुछ भी बिचार देता है , तब यह मेरे लिये सम्मान की बात है और यह आपका बड़प्पन दर्शाता है.
आप का पोस्ट बहुत अच्छा और सटीक है. आप प्रसंशा की हकदार है. 😊😊😊

Mrs. Vachaal April 26, 2017 - 12:00 pm

आपकी दूसरी पोस्ट की कवर इमेज ने मुझे बेटियों के ऊपर लिखने के लिये प्रेरित किया था।मुझे ये तो नही पता कि मेरी पोस्ट किस स्तर की है बस जो दिमाग मे आ जाता है वो लिख लेती हूँ ।मुझे लगता है मुझे अभी बहुत कुछ सीखना है😊

CreativeSiba May 21, 2017 - 3:45 pm

ऑथेंटिक टॉपिक
अछी हे

Mrs. Vachaal May 21, 2017 - 4:35 pm

धन्यवाद 😊

Belle October 6, 2021 - 11:10 am

terrific as well as fantastic blog. I actually want to thanks,
for providing us better details.

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About Me

About Me

कहानी का दूसरा पहलू मेरी दुनिया में आपका स्वागत है

मेरे विचार, और कल्पनाएं… जीवन की छोटी-छोटी बातें या चीजें, जिनमे सामान्यतौर पर कुछ तो लिखने के लिये छुपा रहता है… एक लेखक की नज़र से देखो तब नज़र आता है … उस समय हमारी कलम बोलती है… कोरे कागज पर सरपट दौड़ती है.. कभी प्रकृति, कभी सकारात्मकता, कभी प्रार्थना तो कभी यात्रा… कहीं बातें करते हुये रसोई के सामान, कहीं सुदूर स्थित दर्शनीय स्थान…

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