देश की राजधानी मे रहने वाले लोगों के ऊपर, वीकेंड का खुमार सा चढ़ा होता है।
अगर वीकेंड से सटा हुआ कोई,गैजटेड हाॅली डे आ गया,तब तो बात बन जाती है
छुट्टी की खुशी कई गुना बढ़ जाती है।
निकल पड़ता है,हमारे शहर से सैलाब!! आस पास के शहरों या पहाड़ों की तरफ का रुख करने।
यात्रा हमेशा से ही विचारों और, जीवन को जीवंतता प्रदान करती है।
दिल्ली से यात्रा के उद्देश्य से अगर,राजस्थान की तरफ का रुख करो तो, विकास निश्चित तौर पर दिखता है
दिल्ली एन सी आर की सीमा तक तो,जाम का असर कभी और, कहीं दिख जाता है।
उसके बाद तुलनात्मक रूप से खाली सड़क पर, टोल बैरियर पर जेब ढीली करिये और सर्पिलाकार रास्तों के साथ,सफर का मजा लीजिये।
रास्तों के किनारों पर,खेतों की कभी हरियाली दिखती है।
किसी मौसम मे फसल के कटने के बाद ,खेत मे जलती हुई पराली दिखती है।
कभी सरसों के पीले फूलों से सजी हुई, क्यारी दिखती है।
कहने का मतलब यह है कि ,मौसम के अनुसार खेत की फसलें,दिल्ली जयपुर हाइवे पर खेतों के अस्तित्व की बात को कह जाते हैं।
हर मौसम मे इस रास्ते पर, देशी विदेशी पर्यटकों को लेकर दौड़ती भागती हुई टैक्सी, वोल्वो बसों के अलावा राजस्थान रोडवेज की बसें, अपनी मतवाली चाल मे चलती दिख जाती हैं।
रास्तों के किनारों पर पैदल चलते हुए, पुरूष और महिलायें रंग बिरंगे परिधान मे नज़र आयेंगे।
बहूत आसानी से आप पारंपरिक परिधानों के माध्यम से, हरियाणा और राजस्थान प्रदेश के अंतर को समझ जायेंगे।
नेशनल हाईवे नंबर 8 पर सफर करते हुए,मानेसर पार करते ही,आप खुद को मानसिक रूप से दिल्ली जयपुर की यात्रा के साथ जोड़ लेते हैं।
जगह जगह आउटडोर विज्ञापन के, बड़े बड़े होर्डिंग अपनी तरफ देखने पर, मजबूर कर देते हैं।
20 से 25 मिनट की यात्रा के अंदर ही आपको,उच्च स्तर की सुविधा के होटल,रिसार्ट के अलावा ढाबे मिलते जायेंगे।
कई जगह तो ऐसी मिलेंगी जहाँ, पालतू चिड़ियों और जानवरों को रखा गया है।
जो छोटे बच्चों के साथ,बड़ों के आकर्षण का केंद्र भी बन जाते हैं।
इसी बहाने इन जगहों पर, यात्री रुकते हैं।
यात्री कुछ खा पीकर,छोटी मोटी खरीदारी करने के बाद, अपनी यात्रा को आगे बढ़ाते हैं।
राजमार्ग के रास्तों पर चलते हुए, कहीं कच्चे पहाड़ तो कहीं पक्के पहाड़, मवेशियों के साथ दिखते हैं।
विकास का दूसरा पहलू भी जल्दी ही दिख जाता है,जब कोई पहाड़ विकास की भेंट चढ़ता
हुआ नज़र आता है ।
जयपुर की सीमा मे प्रवेश करते ही आप को, कहीं न कहीं विश्राम करते हुए, सजे सँवरे हाथी और ऊंट नजर आते है।
जो अपने मालिकों के परिवारों का पालन पोषण करने के साथ-साथ, अपनी पेट पूजा के उद्देश्य से भी,पर्यटकों को सैर कराते हुए नज़र आयेंगे।
जयपुर शहर मे आपको, अपनी जेब की क्षमता के अनुरूप रुकने की, तमाम जगहें मिल जायेंगी
प्राइवेट होटल के अलावा, राजस्थान टूरिज्म के होटल भी ,सुविधाजनक होते है।
मेरा ध्यान हमेशा, राजस्थानी परिधानों के चटकीले रंग के लहंगा,चुनरी,गोटे के किनारों की साड़ियाँ,लहरिया,मिरर वर्क की चीजें, आर्टीफीशियल ज्वूलरी,लाख की चूड़ियाँ अपनी तरफ ज़रा सी,लालच वाली निगाहों से आकर्षित करती हैं।
ठीक इसी तरह की भाव भंगिमा से, विदेशी पर्यटक महिलाओं के साथ-साथ, पुरूष भी इन चीजों को निहारते हुए नज़र आयेंगे ।
अगर आप को भी इन सभी चीजों को, देखना और खरीदना है तो, ज़रा सा पैदल घूमने की इच्छाशक्ति के साथ निकल पड़िये, गुलाबी शहर की पुरानी गलियों मे, बापू बाजार की गलियों मे मोलभाव करने की क्षमता के साथ।
खरीददारी करते हुये आप, राजस्थानी प्याज की कचौरी के साथ-साथ, मावे की कचौरी का स्वाद भी ले सकते हैं
राजस्थानी मारवाड़ी खाने के जायके के साथ, आप को हर तरह के खाने का स्वाद जयपुर मे स्थित रेस्टोरेंट, होटल और ढाबे मे मिल जायेगा ।
ऐतिहासिक इमारतों और दर्शनीय स्थल को देखने का शौक रखते हैं तो आमेर का किला,नाहरगढ़ का किला,जयगढ़ का किला,कनक वृंदावन बगीचा,जल महल ,सिटी पैलेस,हवा महल,मोती डूंगरी और लक्ष्मी नारायण जी का मंदिर,गलता जी
इन जगहों के अलावा कई और स्थान हैं जहाँ आप घूमने जा सकते हैं
तीन से चार दिन की समय सीमा के भीतर आप जयपुर शहर और इसके आसपास स्थित जगहों को बारीक नज़रों से देख सकते हैं
आमेर का किला-दिल्ली की तरफ से जयपुर शहर की सीमा मे प्रवेश करते ही सबसे पहले राजस्थानी गौरव इतिहास को बताता हुआ
ऊँची पहाड़ी पर स्थित आमेर का किला दिखता है
आमेर कस्बा मूल रूप से मीणाओं द्वारा बसाया गया था
दुर्ग की विशाल प्राचीरों एवम्, द्वारों की श्रृंखलाओं व पत्थर के बने रास्तों से भरा हुआ दुर्ग आकर्षक लगता है
रास्तों पर चलते हुए, बगल से हाथी की सवारी करते हुये यात्री, किले की चढ़ाई करते नज़र आयेंगे
जयगढ़ और नाहरगढ़ का किला-ये दोनो किले अरावली रेंज पर स्थित है।
जयगढ़ का निर्माण, आमेर पैलेस की रक्षा के लिए, जयसिंह ने करवाया था।
जयगढ़ किले पर आप को एक ,बड़ी आकार की तोप देखने को मिलेगी।
किले की ऊंचाई से आप,जयपुर शहर को देख सकते हैं।
सिटी पैलेस-जयपुर मे स्थित शाही निवास है।
जो पुराने शहर के बीचोंबीच स्थित है
मुगल और राजस्थानी संस्कृति की मिश्रित सी झलक, आपको यहाँ पर देखने को मिलेगी
पैलेस मे स्थित संग्रहालय को देखने के लिए, पर्यटक इस तरफ का रुख करते नज़र आते हैं
देशी विदेशी पर्यटकों के लिये गाइड,आराम से मिल जाते हैं
राजस्थानी संस्कृति की झलक को, म्यूजियम मे देखते हुए विदेशी पर्यटक,निश्चित रूप से आश्चर्य के भाव के साथ नज़र आते हैं।
जल महल-आमेर मार्ग पर ही,रानियों की याद मे बनी महारानी की छतरी है
मान सागर झील के मध्य स्थित जलमहल आकर्षक स्थान है
रास्ते से गुजरते समय रुकने पर मजबूर कर देता है
झील के किनारे छोटी छोटी खाने पीने और अन्य चीजों की दुकानें, सजे सँवरे ऊंट पर सवारी करते हुए बच्चे अपनी तरफ ध्यान खींचते हैं
हवा महल-पुराने शहर मे घूमते समय जयपुर शहर की पहचान हवा महल को आप आमने-सामने निहार सकते हो
जगह जगह विदेशी पर्यटकों के झुंड, कैमरों के फ्लैश की चमक ,हवा महल को अपनी तस्वीरों मे कैद करते दिखते हैं
इस महल को बनाने का एकमात्र उद्देश्य , शाही घरानों की स्त्रियों के नगर दर्शन के लिए था
इनमे बनी हुई छोटी-छोटी खिड़कियों से बाहर तो देखा जा सकता है लेकिन बाहर से भीतर देखना असंभव है
मोती डूंगरी और लक्ष्मी नारायण मंदिर-मोती डूंगरी पहाड़ी पर बना एक किला है
यह जयपुर राजघराने की निजी संपत्ति है
दूर से ही पर्यटक ,इस किले को उत्सुकतावश देखते हैं
इसी के पास स्थित सफेद संगमरमर से बने, लक्ष्मीनारायण जी के मंदिर के परिसर मे बैठकर ईश्वर के प्रति कृतज्ञता करते हुए यात्री भी नज़र आयेंगे
जयपुर शहर पर्यटकों के माध्यम से, अपनी सांस्कृतिक विरासतों और सभ्यता को देश विदेश मे, प्रसारित करता हुआ लगता है।
बस ध्यान देने वाली बात यह है कि, शहर विकास तो करे लेकिन ,अपनी ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित कर के रखे।
सांस्कृतिक मूल्यों,परिधान,खानपान ,भाषा की जड़ों को न हिलने दे।
क्योंकि यही चीजें हैं जो, पूरे विश्व से पर्यटकों को, राजस्थान खींच लाती है।
( सभी चित्र internet से )