क्या होना चाहिये ब्रेकफास्ट ,लंच और डिनर में खाना ?
भारत में सामान्यतौर पर हर परिवार में होता है न यह फ़साना। हर उम्र के लोगों की कैलोरी की जरूरत अलग अलग। शाकाहारी खानपान और मांसाहारी खानपान वाले बाद-विवाद में उलझते दिखते। मांसभक्षी और घांसफूंस भक्षी कहकर, एक दूसरे पर तंज कसते।
सबसे ज्याद बाद- विवाद शरीर को प्रोटीन की आपूर्ति पर होता। शाकाहारियों की तरफ से दालें ,सोयाबीन और पनीर अकड़ कर खड़े हुए नजर आते, दूसरी तरफ विरोधी मांसाहारी समुदाय ! मांस ,मछली के साथ में अंडा भी तेज तर्रार मुद्रा में, अपनी बातें रखते हुए समझ में आते।
घर की महिलाओं के लिए दुविधा , क्या पकायें ? जिससे परिवार के हर सदस्य को मिले सही पोषण। खाने का परिवार के हर सदस्य के ऊपर पड़ता, अलग-अलग प्रभाव। किसी के शरीर ने अतिरिक्त कैलोरी को भी जला लिया ,किसी का मेटाबोलिज्म रेट धीमा , परिणाम दबे क़दमों से चुपचाप मोटापे का प्रवेश। तब दिखती हाँफते हुए द्रुत गति से सुबह और शाम की सैर।
कितने बहाने ,कितनी माथापच्ची , किस समय क्या खाना ? किस समय क्या पकाना ?खाने की मात्रा का भी बहुत महत्व। अपवाद में अगर ज़रा सा बेफिक्र सा अंदाज जीने का हो तो , उबला खाना और हवा पानी भी अच्छा स्वास्थ्य बना देता है।
ये तो हुई हल्के फुल्के अंदाज में कही हुई बात ,लेकिन सच मानिये घर की महिलाओं के लिए, यह बहुत बड़ा विषय होता है। ताजा ब्रेकफास्ट बनाने की दुनिया पर सबसे बड़ी घुसपैठ ब्रेड ने कर डाली है। ब्रेड को खाने के तरीके भिन्न-भिन्न। रेडी टू ईट वाले खाने पीने के सामान अनजाने में ही, प्रिज़र्वेटिव को शरीर में प्रवेश करा जाते हैं।
रसोई में प्रवेश करते ही आलमारी में रखे हुए पोहा ,सूजी ,दलिया,सत्तू ,बेसन ,चावल का आंटा,मूंग की दाल ,उड़द की दाल ने भागदौड़ दिखाई। बोलने लगे ज़रा सा क्वालिटी टाइम रसोई में भी गुजारिये। कुछ स्वादिष्ट और ताजा सा पकाइये।
स्वास्थ को बेहतर रखने वाला ब्रेकफास्ट ,लंच और डिनर पकाने में ज़रा सा समय लगेगा। ताजा और पोषक खाने का प्रभाव बढ़ती हुई उम्र के साथ शरीर पर दिखेगा।