यात्रा हौजखास विलेज की
शहर दिल्ली जगहें तमाम
दिन का हो कोई भी पहर
ये शहर भी करता हमेशा अपनी
कभी दिखाता मकबरों के रूप मे
ये जगहे ऐतिहासिक होने के अलावा
ऐसी ही रहस्य रोमांच के साथ-साथ प्राकृतिक सुंदरता से भरी हुई जगह है,हौज खास विलेज
प्राचीन जर्जर इमारत और मस्जिद और मकबरे को जोड़ता हुआ दो मंजिला गलियारा दिखाई पड़ता है ।जिसमे छोटे-छोटे कक्ष बने हुए दिखते हैं जो मदरसे के उपयोग मे आया करते होंगे।
हौज खास जैसा कि नाम से ही पता चलता है..हौज मतलब तालाब या Tank..खास मतलब
इस जर्जर इमारत के छज्जे, छतरियाँ,गुम्बद और सीढ़ियों को देखकर उस समय की कलात्मकता दिखाई पड़ती है ।
अचानक से मेरा ध्यान चिड़ियों की चहचहाहट की तरफ चला गया।मैने पहली बार तोतों के समूह और गिलहरियों की आपस मे लड़ाई देखी।कोई किसी से कम नही।
शाम का धुन्धलका छाने लगा ।गार्डस की व्हीसिल की आवाज आने लगी ,परिसर को खाली कराने का समय हो चला था।वैसे तो इस परिसर मे घूमने का समय 10:30से 7:30का होता है।लेकिन शायद सुरक्षा की दृष्टि से अँधेरा होने से पहले परिसर खाली कराना इन गार्डस की
एक बार फिर से हमारे कानों को व्हीसिल की आवाज सुनायी पड़ी हमने अपने पैर मदरसे के परिसर से बाहर निकलने के लिए मोड़ लिये और सुकून से कहीं पर बैठकर चाय या कॉफी की
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