Life And Its Stories
  • Motivation
  • Mythology
  • Political Satire
  • Spirituality
Life And Its Stories
  • Travel
  • Women’s Rights
  • Daily Life
  • Nature
  • Short Stories
  • Poems
  • Audio Stories
  • Video Stories
  • About Me
  • Contact
  • Motivation
  • Mythology
  • Political Satire
  • Spirituality
Life And Its Stories
  • Travel
  • Women’s Rights
  • Daily Life
  • Nature
Short Stories

मूक इतिहास और शाहजादा

by 2974shikhat June 1, 2022
by 2974shikhat June 1, 2022

हमारे विचार से जीवन के अतीत की यात्रा ही इतिहास कहलाती है। कहते हैं वर्तमान में जीना और अतीत को बिसराना ही, श्रेयस्कर होता है।
लेकिन यदि ऐतिहासिक रूचि है तो, इतिहास का पन्ना पलटना और पढ़ना भी रोमांच प्रदान करता

है।

समाचार पत्र में “शाहजादा दाराशिकोह” से जुड़ी हुई खबर ने ,हमे भी ऐतिहासिक उपन्यास के पास पंहुचा दिया और ,मुगलिया सल्तनत के शाहजादे के अलग ही व्यक्तित्व से परिचय करा दिया।

साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत यह उपन्यास पढ़ते समय धैर्य मांगती है। फ़ारसी के शब्दों की बहुलता है।
कुछ बातें और घटनाये रोचक ढंग से बताई गयी हैं ,जिन्हें अपने शब्दों में छोटे -छोटे भागों में हमने ऐतिहासिक उपन्यास से प्रेरित होकर लिखा है –

The Palace of the Mogul Emperors, Delhi’, 1890. (Photo by The Print Collector via Getty Images)

( भाग – 1 )

“नई राजधानी शाहजहाँनाबाद धीरे -धीरे सिर उठा रही थी। दिल्ली में जमुना के किनारे ,देश – विदेश से पत्थर लाकर इकट्ठा किया जा रहा था।
लालकिला के भीतर दीवान -ए -आम की छत पर विदेशी पत्थर लगे हैं ,जिनपर सोने की नक्काशी का काम हो रहा था।

मुगलकालीन ऐतिहासिक उपन्यास को पढ़ते समय , उस समय के घटनाक्रम से विचार जुड़ से गए।
बादशाह अकबर ने अपनी राजधानी फतेहपुर सीकरी से आगरा की थी ,तो शाहजादा खुर्रम ने आगरा से दिल्ली की तरफ का रुख किया।
जमुना के किनारे शाहजहाँनाबाद को बसाया।

आज भी पुरानी दिल्ली की तरफ का रुख करो तो वक़्त ! किताब के पन्नों के बीच में ठहरा हुआ लगता है।

उस समय के चांदनी चौक में दुनिया के हर कोने से लोग आते थे। जंजीबार ,सीरिया, इंग्लिस्तान ,तुर्किस्तान ,खुरासान ,काबुल ,चीन के लोग और वहां की चीजें दिखती थी। फलों में अनार , बेर ,तरबूज ,अंगूर से बाजार भरा पड़ा रहता था।

हाँथी और साँड़ों को सजा – धजा कर घूमते हुए बहुत सारे लोग दिख जाते थे। उत्सवनुमा माहौल बना रहता था। हवा में कस्तूरी ,जाफरान ,चन्दन और लोबान की महक और आकाश की ऊंचाइयों को छूती हुई रंगबिरंगी पतंगें।

साफ़ सफाई की समस्या ! पुरानी दिल्ली में तब भी दिखती थी ,आज भी दिखती है।
बरसात के मौसम में राजधानी में ,सबसे ज्यादा परेशानी होती थी पैदल चलने वालों को। आम खा – खाकर छिलके और गुठलियाँ ! बिना किसी तक़ल्लुफ़ के सड़क पर इधर -उधर फेंक देना आम था।

पाँव के नीचे छिलका या गुठली पड़ी तब तो ,देखते ही देखते राहगीर मुँह के बल जमीन पर गिर जाता।
अमीरों को तो पैदल चलना नहीं पड़ता वे घोड़े पर ,हाँथी पर या सुखडोले पर बैठे रहते। उन्हें क्या पता की आम के मौसम में ,लोगों को कितनी दिक्कत महसूस होती है।

खासतौर पर जो कहार सुखडोले का बांस अपने कंधे पर रख कर चलते ,उन्हें बहुत सँभाल – सँभाल कर पाँव रखना पड़ता। एक भी कहार
अगर आम की गुठलियों की कृपा से गिरा तो सभी गिर जायेंगे। न जाने क्यों शहर कोतवाल गुठली छिलके फेंकने वालों को पकड़ – पकड़ कर सजा नहीं देते।

क़िले के अंदर का मौका भी मामूली नहीं था ,बुरहानपुर से आम आया था।”

Dara ShikohMughal EmpireOld Delhi
0 comment
0
FacebookTwitterPinterestEmail
2974shikhat

previous post
कथा सब्जियों और पोषण की अंदाज जुदा सा
next post
मूक इतिहास और शाहजादा

You may also like

कथा महाशिवरात्रि की

February 25, 2025

सैरऔर चिर परिचित चेहरे

February 4, 2025

बदलेगा क्या हमारा शहर ?

January 23, 2025

समझो तो पंक्षी न समझो तो प्रकृति

October 26, 2024

पुस्तकालय

August 10, 2024

लोकगाथा के साथ सोन और नर्मदा नदी (भाग...

April 23, 2024

लोक गाथा के साथ सोन और नर्मदा नदी

April 3, 2024

बातें गुलाबी जाड़ा के साथ

December 13, 2023

जय चंद्रयान 3

August 24, 2023

प्रकृति का सौम्य या रौद्र रूप और सावन...

August 5, 2023

About Me

About Me

कहानी का दूसरा पहलू मेरी दुनिया में आपका स्वागत है

मेरे विचार, और कल्पनाएं… जीवन की छोटी-छोटी बातें या चीजें, जिनमे सामान्यतौर पर कुछ तो लिखने के लिये छुपा रहता है… एक लेखक की नज़र से देखो तब नज़र आता है … उस समय हमारी कलम बोलती है… कोरे कागज पर सरपट दौड़ती है.. कभी प्रकृति, कभी सकारात्मकता, कभी प्रार्थना तो कभी यात्रा… कहीं बातें करते हुये रसोई के सामान, कहीं सुदूर स्थित दर्शनीय स्थान…

Popular Posts

  • 1

    The story of my Air conditioners

    September 10, 2016
  • 2

    विचार हैं तो लिखना है

    October 4, 2020
  • 3

    उत्तंग ऋषि की गुरुभक्ति (भाग1)

    November 11, 2020
  • PODCAST-जंगल का साथ बहुत सारी बात

    October 13, 2017
  • 5

    “कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत सारी शुभकामनायें”

    August 12, 2020

Related Posts

  • कथा महाशिवरात्रि की

    February 25, 2025
  • सैरऔर चिर परिचित चेहरे

    February 4, 2025
  • बदलेगा क्या हमारा शहर ?

    January 23, 2025
  • समझो तो पंक्षी न समझो तो प्रकृति

    October 26, 2024
  • पुस्तकालय

    August 10, 2024

Keep in touch

Facebook Twitter Instagram Pinterest Youtube Bloglovin Snapchat

Recent Posts

  • The story of my Air conditioners

  • कथा महाशिवरात्रि की

  • माँ अब नही रहीं

  • सैरऔर चिर परिचित चेहरे

  • बदलेगा क्या हमारा शहर ?

  • समझो तो पंक्षी न समझो तो प्रकृति

  • पुस्तकालय

Categories

  • All (211)
  • Audio Stories (24)
  • Daily Life (135)
  • Motivation (47)
  • Mythology (16)
  • Nature (33)
  • Poems (61)
  • Political Satire (2)
  • Short Stories (184)
  • Spirituality (20)
  • Travel (25)
  • Women's Rights (8)
  • Facebook
  • Twitter
  • Instagram

@2019-2020 - All Right Reserved Life and It's Stories. Designed and Developed by Intelligize Digital India