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Short Stories

मुग़ल सल्तनत में कविता ,रुबाई ,दोहा और चौपाई ( भाग – ४)

by 2974shikhat June 16, 2022
by 2974shikhat June 16, 2022

तुलसी और रहीम

दोपहर के समय आमतौर पर तुलसीघाट खाली ही रहता है। गन्ने उतारकर नाव वापस जा रही थी। मणिकर्णिका घाट की तरफ से जलती हुई लकड़ियाँ बहती चली आ रही थीं।

“आइये”।

जल्दी -जल्दी सीढ़ियाँ उतरने के कारण , रहीमदास जी की साँस चढ़ने लगी और आँखों के आगे अँधेरा छाने लगा।
संत जी का सेवक उनके हाथ पकड़कर उतार रहा था।

उतरते -उतरते कहने लगा ,यह गुफा संत जी के कहने पर बनी है।
मै अब संत जी की सेवा करता हूँ ,उनकी तो अब अवस्था हो गयी है। मेरा नाम बेनीमाधव है।

कितनी उम्र हो गयी है कविवर की ?
नब्बे पार कर चुके हैं ,अब तो मै ही उनकी देखभाल करता हूँ।

मेरी भी उम्र एक सौ तेरह साल हो रही है ,अच्छा खासा चल फिर लेता हूँ।
हरि जाने कितना दिन जिऊँगा।
छि: ऐसा क्यों कह रहे हैं ? आप लोगों के रहने से ही तो मानवता शेष है।

नीचे अच्छी खासी ,साफ़ – सुथरी सी जगह थी।
सिर पर काशी बगल में गंगा। एक बड़ी सी खिड़की गंगाजी के ऊपर खुलती थी ,जिससे उस पार की जमीन दिख रही थी।

हरिभक्त रहीम ठिठककर खड़े हो गये ” अरे यह क्या तुलसी क्या हाल हो गया है तुम्हारा ?
तुलसीदास ज़रा सा हिलडुलकर बैठ गये -फिर बोले ,बहुत दिनों बाद दर्शन दिये रहीम ! कितने दिन बाद आये हो ! तुम्हारा कुछ अता पता ही नहीं था।

हाँ बहुत दिन।
लाहौर के एक गाँव कैफीपुरा में मिर्ज़ा मीर के अखाड़े में दस साल रहा। उसके बाद इस कोने से उस कोने तक, हिंदुस्तान का चक्कर काटता रहा। पर तुम्हारे शरीर का यह हाल क्यों है ?

काशी में चूहा बीमारी आयी थी – इसी से बाँया हाथ बेकार हो गया है। अब बायें हाथ को उठा नहीं पाता हूँ।

आजकल क्या लिख रहे हो ?
“विनयपत्रिका”। यही आखिरी किताब है ,जिसे खत्म किये बिना मरते नहीं बन रहा है रहीम !
मरने जीने पर हमारा वश नहीं है तुलसी। किस विषय पर लिख रहे हो।

संत कवि तुलसीदास के भीतर विश्वास की चमक झलक उठी।
शांत भाव से बोले – चिट्ठी श्री रामचंद्र जी को लिख रहा हूँ –
क्या लिखा है सुनूँ ज़रा –
सुनोगे ? तब फिर सुनो – हे पितः दीन का यह विनीत आवेदन है – तुम खुद ही यह चिट्ठी पढ़कर देखना।
पहले तुम इस पर अपनी मोहर लगाना ,उसके बाद सभासदों से सलाह करना।

रहीमदास जी का सिर सहमति में हिला ,फिर बोले –
अच्छा ठीक है।
तुमने तो अपनी सारी जिंदगी काशी में ही बिता दी तुलसी !

Ganga ghatHumanityIndian society and cultureKashiMughal EmpireSant Kavi TulsidasSant RahimdasStory telling
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2974shikhat

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4 comments

вот эти June 20, 2022 - 11:31 am

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2974shikhat July 30, 2024 - 12:52 pm

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कहानी का दूसरा पहलू मेरी दुनिया में आपका स्वागत है

मेरे विचार, और कल्पनाएं… जीवन की छोटी-छोटी बातें या चीजें, जिनमे सामान्यतौर पर कुछ तो लिखने के लिये छुपा रहता है… एक लेखक की नज़र से देखो तब नज़र आता है … उस समय हमारी कलम बोलती है… कोरे कागज पर सरपट दौड़ती है.. कभी प्रकृति, कभी सकारात्मकता, कभी प्रार्थना तो कभी यात्रा… कहीं बातें करते हुये रसोई के सामान, कहीं सुदूर स्थित दर्शनीय स्थान…

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