आज यात्रा पर चलते हैं,”ईश्वर के देश” जहां देखने को मिलेंगे प्रकृति के तरह-तरह के रूप रंग और भेष….
हमारे देश में कई जगहें ऐसी हैं,जिनको देखने पर ऐसा लगता है मानो, इन जगहों को प्रकृति का भरपूर वरदान मिला हो……
प्राकृतिक सुंदरता ऐसी कि जो आंखों में समा न पाये,चाहे जलस्त्रोत हो, पहाड़ियां हो या हो घांस के हरे भरे मैदान…..
सब कुछ एक ही जगह पर देखने को मिल जाता है……
अद्भुत छटा को बिखेरती हुई आध्यात्मिकता का बोध कराती हुई, ईश्वर का वरदान जैसी जगह है “मुन्नार”केरल का एक प्रमुख पर्वतीय स्थल……
“मुन्नार”की सुंदरता के कारण ही उसे “ईश्वर का देश” कहा गया है….
जीवन की भागादौड़ी कहो या आपाधापी कहो,सुकून की तलाश में घूमते हुए लोगों के अलावा ट्रैकिंग के साथ साथ, रोमांचक खेलों के शौकीन भी आप को यहां पर बहुतायत से घूमते फिरते हुए मिलेंगे……
“मुन्नार”,इड्डकी जिले में आता है,पहाड़ों के घुमावदार इलाकों से घिरा हुआ यह हिल स्टेशन पश्चिमी घाट पर स्थित है…..
मुन्नार का अर्थ होता है,तीन नदियां जो “मुथिरापुझायर”,नल्लठन्नी और कुंडाला के नाम से जानी जाती हैं…….
ये तीनों मुन्नार के बीचों-बीच में मिलती हैं….
सड़क मार्ग के द्वारा यह केरल और तमिलनाडु दो राज्यों से जुड़ा हुआ है……
“मुन्नार”में वनों की वनस्पति तथा हरे घांस के मैदानों में “नीलकुरंजी”नामक फूल पाया जाता है,जो बारह वर्षों में केवल एक बार खिलता है…..
इसके कारण पूरी पहाड़ी नीले रंग के परिधान को पहनी हुई सी लगती है…..
यहां पर दक्षिण भारत की सबसे ऊंची चोटी अनामुदी भी है ……
जिसकी ऊंचाई लगभग 2695 मीटर है…..
ट्रैकिंग के शौकीनों की पसंदीदा जगह…..
यहां से भरे भरे मुन्नार का नजारा कैमरे में कैद कर सकते हैं…..
एरावीकुलम नेशनल पार्क का निर्माण मुख्य रूप से नीलगिरी जंगली बकरों की रक्षा के लिए किया गया था…..
पहले इसे अभयारण्य घोषित किया गया बाद में राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया गया….
अनामुदी चोटी इसी नेशनल पार्क में स्थित है……
मट्टुपेट्टी डैम समुद्र तल से 1700मीटर की ऊंचाई पर स्थित है….
इस बांध में स्थानीय पहाड़ी नदी का जल भंडारण किया जाता है…..
इस झील और बांध पर पर्यटक पिकनिक मनाने आते हैं……
यहां से चाय बागानों का मनमोहक दृश्य दिखाती पड़ता है….
मट्टुपेट्टी अपने उच्च विशिष्ट गुणों के डेयरी फार्म के लिए भी जाना जाता है…..
टी कम्यूजियम, यह संग्रहालय टाटा टी के द्वारा संचालित है……
यहां मुन्नार में चाय उत्पादन की शुरुआत से जुड़ी निशानियां रखी गई हैं…..
यहां कई ऐतिहासिक तस्वीरें भी लगी हुई हैं…..
यहां पर टीप्रोसेसिंग इकाई में चाय बनाने की प्रक्रिया को करीब से देखा जा सकता है…..
यहीं पर आउटलेट से अपनी पसंद की चाय और मसाले खरीद सकते हैं……
घूमने फिरने के बीच में ही अगर यहां के खानें की बात करें तो यहां के खान-पान का अंदाज निराला है……
यहां आप हर जगह खाने में तरह-तरह के मसालों की खुशबू को महसूस कर सकते हैं…..
पारंपरिक तरीके से खाने को केले के पत्तों पर ही परोसा जाता है…..
आपको करीब 25तरह की अलग-अलग खाने की चीजों के साथ परोसी हुई थाली खाने के लिए मिलेगी….
जिसका स्वाद बेमिसाल होता है….
नईचोरु केरल की स्पेशल वेज बिरयानी है जो स्वादिष्ट मसालों और मेवों के साथ बनाई जाती है…..
नारियल का भरपूर उपयोग उसके दूध के रूप में या गूदे के रूप में खाने में किया जाता है….
मीठे के शौकीनों के लिए अलग अलग प्रकार के पायसम का स्वाद लेना तो बनता है…..
अलग अलग तरह के मसालों के अलावा चाय,जड़ी बूटियां सुंगधित तेल की खरीदारी ज्यादातर पर्यटक करते हैं……
मुन्नार उस केरल से बिल्कुल अलग है जिस केरल की छवि हमारी आंखों के सामने आती है….. जिसमें समुद्र है,बैकवाटर्स है और खूबसूरत बीच है……
मुन्नार केरल की वो जगह है जहां विविधता दिखती है……
मसालों के साथ साथ चाय बागान भी दिखते हैं….
मुन्नार काल्पनिक लोक की परिकल्पना के अनुसार परी लोक जैसा दिखता है…..
चाय बागानों से सजी हुई घाटियां, मस्ती के अंदाज में तफरीह करते हुए बादल, झरने झील के अलावा पहाड़ों पर तैरती हुई सड़क स्वर्ग सी अनुभूति कराते हैं……
मुन्नार को देखने पर ऐसा लगता है कि सच में खुले दिल से अपनी कूची से रंगों को बिखेरा हो……
ऐसी अलौकिक प्राकृतिक सौंदर्य से भरी हुई जगह तस्वीरों के माध्यम से ही पर्यटकों को अपनी तरफ खींचती हैं………….
(सभी चित्र इन्टरनेट से)