बातें साल २०२० की
आज सोचा साल २०२० के बारे में भी कुछ लिखूं
अनुभवों और स्मृतियों को डायरी के पन्नों पर,शब्दों के ताने बाने से अपने अंदाज में ही सहेज दूँ I
साल २०२० भी सारे विश्व के लिए, परेशानियों का सबब बन कर निकला Iघरों की दीवारों के भीतर भी और बाहर भी, स्वास्थ्य के प्रति भय और सजगता दोनों ही बातों को, लोगों ने बेहतर ढंग से समझा Iशायद इसी कारण से अधिकांश लोगों ने, जीवन के प्रति अपने नज़रिये को सुधारा I
मन के भीतर छिपा हुआ कौतूहल व्रत ,त्यौहार परिवार के सदस्यों, शुभचिंतकों के जन्मदिवस को, आते हुए नए साल की आहट के पहले ही, एक सर्कल के भीतर सहेज देता है Iसाल २०२० के आने का इंतज़ार कुछ खुशियों और कुछ दुखभरी यादों के साथ हमने भी किया I
भारतियों की मानसिकता और जीवन को जीने का उनका दृश्टिकोण, हमेशा से यही कहता है बुरे दिन बीते तो अच्छे दिन आएंगे Iलेकिन किसी को यह नहीं पता था की, जैविक आपदा का कहर नए साल के साथ ही चल पड़ेगा I
जनवरी माह में लोगों के भीतर उत्साह चरम पर था Iबाजारों में चहल पहल दिख रही थी I बड़े आराम से नए साल के उत्साह के साथ, जिंदगी गुजर बसर हो रही थी I हवाईयात्रा सामान्य, रेलयात्रा सामान्य ,सड़कयात्रा सामान्य सबकुछ तो आराम से चल रहा था I
खिचड़ी ,लोहड़ी ,वसंत पंचमी उत्साह के साथ मनाता हुआ भारतीय समुदाय दिखा Iफाल्गुन मास के आते ही समाचार पत्र, सूखी होली खेलने की दुहाई देते हुए दिखे Iहर वर्ष की तरह सोच में पड़ जाती हूँ, सबसे ज्यादा प्रदूषण दीपावली करा देती है, पानी का दुरूपयोग होली करा देती है I नयी पीढ़ी इन्ही बातों की आड़ में त्यौहार का दिन, मोबाइल और लैपटॉप के बीच में बिता देती है I
बचपन से खायी और बनायी हुई पारम्परिक मिठाइयां, चैन से नहीं बैठने देती Iहमारी भी रसोई से पारम्परिक मिठाइयों की खुशबू उठी थी I जब मावा की गुझिया इलायची और सूखे मेवे के साथ तश्तरी में सजी थी I त्यौहार के समय ,परिवार के सदस्यों और परिचितों से मिलना जुलना बिना किसी भय के हो रहा था I
बात अगर लॉक डाउन के समय की करिये तो,लोगों में आपसी तारतम्य दिखा I कहीं ताली ,कहीं थाली , कहीं शंख के साथ अपने अपने घरों की छतों और बालकनियों में, लोगों का समूह दिखा I
हर घर में रसोई गुलज़ार थी I तरह तरह के खाने पीने की चीजों की भरमार थी I एकबारगी तो ऐसा लगा कहीं खाद्य पदार्थों की जमाखोरी न शुरू हो जाये I लेकिन प्रशासन सजग था I
कुछ महीने तो नया सीखने और घरों के भीतर सिमटकर रहने में गुजर गया I लेकिन बीच बीच में अध्ययन में लगा हुआ बालक वर्ग, स्कूल और कॉलेज जाने के लिए मचल गया I अब अहमियत शिक्षण संस्थानों के परिसरों की समझ में आ रही थी I
दिल्ली वासियों के लिए सावन और भादों का महीना, हलकी फुलकी बरसात में भी सडकों पर भीषण ट्रैफिक जाम को दिखा देता है I मिठाई की दुकान पर घेवर को दिखा कर, तीज के आने के बात बतला देता है I लेकिन साल २०२० में घेवर का स्वाद तो दूर की बात लगी I
कान्हा जी के जन्मोत्सव में मंदिरों में लगने वाली लम्बी लम्बी कतारें , भूतकाल की बात थी I
दीपोत्सव पर बाजार में थोड़ी सी हलचल नज़र आयी I पांच दिन का उत्सव समाप्त होते ही ,संचार माध्यमों ने कोरोना पीड़ितों की संख्या में बढ़ोतरी की बात बतलायी I
खैर अब तो यह साल बीतने वाला है ,नया साल फिर से पंचांग के भीतर समाया है I
previous post