Life And Its Stories
  • Motivation
  • Mythology
  • Political Satire
  • Spirituality
Life And Its Stories
  • Travel
  • Women’s Rights
  • Daily Life
  • Nature
  • Short Stories
  • Poems
  • Audio Stories
  • Video Stories
  • About Me
  • Contact
  • Motivation
  • Mythology
  • Political Satire
  • Spirituality
Life And Its Stories
  • Travel
  • Women’s Rights
  • Daily Life
  • Nature
Daily LifeShort Stories

बात परिधानों के बीच डेनिम जींस की

by 2974shikhat March 18, 2019
by 2974shikhat March 18, 2019

मानव स्वभाव की विशेषता है कि वह,जीवन के सफर मे,अपनी आवश्यक्ताओं और सुविधा के मुताबिक ,तरह तरह के अनुसंधान करता जाता है ।विकसित मानसिक क्षमता होने के कारण,अपनी सोच समझ का दायरा बढ़ाता है। अलग-अलग तरह के खान पान के साथ ,तरह तरह के परिधानों को भी अपनाता है ।

इस लेख को लिखने का उद्देश्य मेरा ,किसी विशेष परिधान को न तो नीचा दिखाना है और न ही अन उपयोगी बताना है। सिर्फ अपने विचार को समाज के सामने , वैचारिक स्वतंत्रता के साथ रखना है ।

भारतीय सभ्यता ,संस्कृति और सोच को दायरे मे रखकर अगर बात करें तो…

हर प्रदेश अपनी विशेषता के साथ सामने आता है।

पुरूषों का परिधान और महिलाओं का परिधान ,हर प्रांत का कुछ अलग सा नज़र आता है।

Expression

अलग-अलग प्रकार से बांधे जाने वाली साड़ी, नये तरीके से सिले हुए सलवार कुर्तों के अलावा ,घाघरा -चोली चुनरी के अलावा ,अनेक पारंपरिक परिधानों के साथ महिलायें भारतीय परिधान के दायरे मे आती है ।

पुरूषों के परिधान की अगर बात करो तो, सूट ,पैंट- शर्ट तो ! ब्रिटिश परिधान की बात कह जाता है। लेकिन धोती- कुर्ता,पायजामा कुर्ता, अचकन ,पगड़ी ,साफा ,टोपी ,लुंगी भारतीय परिधान के दायरे मे आते हैं। हमारी सभ्यता और संस्कृति की, विशेषता की बात कह जाते हैं। हमारे देश के साथ साथ अगर, बाहरी देशों की भी बात करें तो ,एक ऐसा परिधान है जिसे अधिकांश लोगों ने दिल से स्वीकारा है।

Expression

अपनी शुरुआत की अवस्था मे ,मजदूरों और नाविकों के परिश्रम के साथ जुड़ा हुआ डेनिम ! आज बहुत लंबा सफर तय कर चुका है।डेनिम कपड़े से बनी हुई जींस! अब सिर्फ मेहनत मजदूरी से ही नही जुड़ी है। फैशन जगत की तरफ नज़रों को फेरिये,तो आसानी से दिखता है कि ,डेनिम से बनी हुई जींस ने, फैशन जगत की ऊंचाईयों को छुआ है।

बीसवीं सदी के मध्य मे ,भारतीय समाज के युवाओं ने भी, डेनिम की दस्तक सुनी। धीरे- धीरे भारतीय समाज मे, पारंपरिक परिधानों के बीच मे इसने,अपना स्थान बनाया। बाहरी देशों के बारे मे अगर बात करें तो, 16वीं शताब्दी मे बाहरी देशों मे प्रचलित हो चली जींस ने, 1850 तक काफी प्रसिद्धि पा ली ।

 जींस बनाने के लिए कच्चा माल फ्रांस के निम्स शहर से आता था।जिसे फ्रांसीसी ‘दे निम’ कहते थे। ऐसा माना जाता है ,इसी कारण से इस कपड़े का नाम ‘डेनिम ‘ पड़ गया। फैशन इतिहासकारों के अनुसार, पहली बार अमेरिका मे जींस पहनी गई, जिसे लेवी स्ट्रास ने तैयार किया था। अमेरिका के लेवी स्ट्रास और जेकब डेविस ने, अपना नया डिजाइन 20मई 1873 को पेटेंट कराया।

इस तारीख को घोषित रूप से, जींस के जन्मदिवस के रूप मे मनाया जाता है।आज जींस एक ऐसे परिधान के रूप मे प्रचलित है । जिसे कार्यालयों मे काम करने वाले, वरिष्ठ पदों पर आसीन लोगों के अलावा ,आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति भी पहने हुए दिखता है। साल भर के बच्चे के अलावा,90 साल का वृद्ध और युवा भी, पहने हुए दिखता है। अंतर सिर्फ ब्रांड का होता है ।

इस परिधान ने शहरों के अलावा, ग्रामीण अंचलों मे भी ,अपने पांव को पसार लिया है।आज के समय मे नगरों, महानगरों मे,पुरुषों के अलावा महिलाओं का भी, पसंदीदा पहनावा है।

अगर महिलाओं के संदर्भ मे, डेनिम को अपनाने की बात को,डेनिम के इतिहास के साथ पढ़ो, तो यह पता चलता है कि, द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अमेरिकी महिलाओं ने डेनिम पहनना शुरू किया था ।

आज महिलाओं के फैशन के ट्रेंड को, अगर ध्यान से देखें तो,एक तरफ जींस महिलाओं को कथित रूप से रूढ़िवादी परिधानों से आजाद करती हुई लगती है । महिलायें जींस पहनकर ,खुद को स्वतंत्र, फैशनेबल,आधुनिक,आत्मविश्वास से भरपूर दिखाती हुई महसूस होती हैं।

अपने क्रमिक बदलाव के साथ जींस! एम्ब्रायडरी,टैटू के साथ नि:संदेह आकर्षक दिखती है।

लेकिन ! फैशन की ऊंचाई को छूती हुई डेनिम जींस ने, देखते ही देखते रफू करने वालों के रोजगार को छीन लिया ।आज आश्चर्य मे डालती है यह बात! नये कपड़ों के बाजार मे, कटे फटे स्वरूप के साथ डेनिम जींस नज़र आती है । जींस के इतिहास का आरंभ तो इसके, मजबूत धागों की बात कहता है।श्रम के साथ जुड़ने की बात कहता है।अपनी मजबूती के कारण ही डेनिम ने, इतने लंबे सफर को पूरा किया ।

Expression

सोचने पर मजबूर करती है यह बात !अपनी मजबूती और टिकाऊपन के कारण लोगों का पसंदीदा परिधान बनी डेनिम ! अपने कटे फटे स्वरूप के कारण ,अपनी मूल पहचान खोती तो नही जा रही। फैशन जगत की ऊंचाईयो को छूता हुआ, जींस का यह स्वरूप,विचलित करता है।

 

AdaptationConversationDaily lifeDenim jeansDress materialEvolutionExpressionFashionHard workHuman behaviorIndian society and cultureLifestyleprogressThoughtsWriting
0 comment
0
FacebookTwitterPinterestEmail
2974shikhat

previous post
टुकड़ा धूप का
next post
बात ग्रीष्म ऋतु की

You may also like

कथा महाशिवरात्रि की

February 25, 2025

माँ अब नही रहीं

February 13, 2025

सैरऔर चिर परिचित चेहरे

February 4, 2025

बदलेगा क्या हमारा शहर ?

January 23, 2025

समझो तो पंक्षी न समझो तो प्रकृति

October 26, 2024

पुस्तकालय

August 10, 2024

लोकगाथा के साथ सोन और नर्मदा नदी (भाग...

April 23, 2024

लोक गाथा के साथ सोन और नर्मदा नदी

April 3, 2024

बातें गुलाबी जाड़ा के साथ

December 13, 2023

जय चंद्रयान 3

August 24, 2023

About Me

About Me

कहानी का दूसरा पहलू मेरी दुनिया में आपका स्वागत है

मेरे विचार, और कल्पनाएं… जीवन की छोटी-छोटी बातें या चीजें, जिनमे सामान्यतौर पर कुछ तो लिखने के लिये छुपा रहता है… एक लेखक की नज़र से देखो तब नज़र आता है … उस समय हमारी कलम बोलती है… कोरे कागज पर सरपट दौड़ती है.. कभी प्रकृति, कभी सकारात्मकता, कभी प्रार्थना तो कभी यात्रा… कहीं बातें करते हुये रसोई के सामान, कहीं सुदूर स्थित दर्शनीय स्थान…

Popular Posts

  • 1

    The story of my Air conditioners

    September 10, 2016
  • 2

    विचार हैं तो लिखना है

    October 4, 2020
  • 3

    उत्तंग ऋषि की गुरुभक्ति (भाग1)

    November 11, 2020
  • PODCAST-जंगल का साथ बहुत सारी बात

    October 13, 2017
  • 5

    “कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत सारी शुभकामनायें”

    August 12, 2020

Related Posts

  • कथा महाशिवरात्रि की

    February 25, 2025
  • माँ अब नही रहीं

    February 13, 2025
  • सैरऔर चिर परिचित चेहरे

    February 4, 2025
  • बदलेगा क्या हमारा शहर ?

    January 23, 2025
  • समझो तो पंक्षी न समझो तो प्रकृति

    October 26, 2024

Keep in touch

Facebook Twitter Instagram Pinterest Youtube Bloglovin Snapchat

Recent Posts

  • The story of my Air conditioners

  • कथा महाशिवरात्रि की

  • माँ अब नही रहीं

  • सैरऔर चिर परिचित चेहरे

  • बदलेगा क्या हमारा शहर ?

  • समझो तो पंक्षी न समझो तो प्रकृति

  • पुस्तकालय

Categories

  • All (211)
  • Audio Stories (24)
  • Daily Life (135)
  • Motivation (47)
  • Mythology (16)
  • Nature (33)
  • Poems (61)
  • Political Satire (2)
  • Short Stories (184)
  • Spirituality (20)
  • Travel (25)
  • Women's Rights (8)
  • Facebook
  • Twitter
  • Instagram

@2019-2020 - All Right Reserved Life and It's Stories. Designed and Developed by Intelligize Digital India