कभी सुनाई पड़ती ज़रा कड़क सी आवाज…..
कहीं दिखता रौबीला सा अंदाज….
कभी और कहीं दिखती विशाल सी काया….
कहीं दिखती छोटी,मोटी,दुबली -पतली सी काया….
कहीं दिखती खुद के स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही….
कहीं खुद के स्वास्थ्य के प्रति सजगता होती है ,परिवार के प्रति, महत्वपूर्ण जिम्मेदारी….
कहीं दिखता गुस्सा नाक के ऊपर चढ़ा….
कहीं भीतर ही भीतर उलझता …
तो कहीं भीतर ही भीतर, सुलझता सा व्यक्तित्व दिखा…..
कहीं माथे पर सिलवटें दिखी…
कहीं खुशनुमा अंदाज के साथ,मुख मुद्रा दिखी….
कहीं सिर पर घने बालों का साम्राज्य दिखा….
कहीं वक्त से पहले तो कहीं वक्त के साथ….
बालों का साम्राज्य सिमटता सा दिखा….
खुद को हमेशा मजबूती से व्यक्त करने की कोशिश मे…
परिवार और समाज के सामने दिखता…..
होता है मिज़ाज! नारियल के फल के समान….
ऊपर से रूखा सूखा एवम् कठोर….
लेकिन भीतर से, नारियल की मीठी गिरि के समान…
बूझो तो जाने वाले सवाल के साथ चलो तो….
पहेलियों की अबूझी सी दुनिया मे भी…
दिमाग पर डालना नही पड़ता ज्यादा जोर….
सामने आती है,भिन्न-भिन्न प्रकार की काया….
पिता,पापा या डैडी के उच्चारण के साथ….
पितृसत्तात्मक भारतीय समाज सामने दिखा…..
मजबूत कंधों पर होती है पारिवारिक जिम्मेदारी….
आर्थिक स्तर कैसा भी हो….
कहीं होती साइकिल की सवारी….
कहीं सार्वजनिक परिवहन के साथ पिता दिखता…
कहीं स्कूटर या मोटर साइकिल के साथ दौड़ दिखी…
कहीं चार पहिया वाहनों के साथ, दोस्ताना अंदाज दिखा…
कहीं नीले आकाश मे विमान के साथ उड़ान दिखी….
अधिकांश भारतीय परिवारों मे पिता !
परिवार के बीच मे सुकून के पल तलाशता दिखता….
बात करो ईश्वरीय जगत की…
परम पिता परमेश्वर की…
या सांसारिक जगत की….
पिता हमेशा पथ प्रर्दशक होता है….
अबोध शिशु हो या ,परिपक्व दिमाग वाला युवा समाज….
पिता का व्यवहार हमेशा ही अनुकरणीय होता है….