MotivationPoems कलम के साथ जीभ का बाद-विवाद by 2974shikhat October 29, 2019 by 2974shikhat October 29, 2019 Image Source Google Free गैर इरादतन लिखने के लिए बैठे तो दिमाग सो सा गया ऐसा लगा विचारों के समंदर में खो सा गया विचारों की उठा-पटक के साथ शब्द भी उल्टे पुल्टे जा रहे थे…. दिमाग में से निकलकर हाथ की पकड़ में नहीं आ रहे थे…. कागज़ कलम को थामते ही कुछ ही पलों में शब्दों ने अपना रास्ता ही बदल लिया….. जीभ शांत होकर ये सब देख रही थी….. जल्दी ही उसने अपनी वाकपटुता दिखाया….. मुख के भीतर बैठे बैठे ही शब्दों को चार बातें सुनाया….. अब कैसे सैलाब जैसे कागज पर उतरे जा रहे हो….. अभी तक तो विचारों के समंदर में कभी डूब तो कभी उतरा रहे थे….. शब्दों ने अपने सिर को ऊपर नहीं उठाया….. कलम की सहायता से गद्य पद्य या किसी अन्य विधा की रुपरेखा संग बंध रहे थे….. बोले अभी हमें हमारे काम से मत भटकाना…… विचारों के समंदर से बस अभी अभी तो निकले हैं…. इरादा विचारों को नये नये रंगों से रंगने का है….. कविता कहानी या कुछ भी उपयोगी लिखने का है….. तहेदिल से शुक्रिया ऊपरवाले का करना है….. विचारों को कागज पर उतरने के लिए सकारात्मक शब्द देते जाना… गिरते पड़ते,आगे बढ़ते,संभलते समाज के लिए कुछ हौसले की बात करते जाना…… शब्दों को उतारना जब भी कलम के माध्यम से कागज पर अहम् के भरम को ज़रा सा परे करते जाना….. जीभ दांतों के तले बैठकर ही दांतों तले उंगली दबा रही थी…… शब्दों की बातों को सुनकर खुद भी विचारमग्न हुई जा रही थी…… ज़रा सा रुंधे हुए गले से शब्दों से बोली….. हमारा इरादा तो बस ज़रा सा मसखरी का था…… अब तुम अपना काम करो…… कागजों को तरह-तरह की रचना से भरो….. हम भी काम कुछ उपयोगी करते हैं….. Image Source : Google Free प्रेरक और सकारात्मक विचारों के जरिए ही भटके हुए समाज को सही और नयी दिशा देते हैं……. एक बार फिर से कुछ सकारात्मक लिखते हैं…… consciousnessDutyEncouragementExpressionFeeling of positivityFriendly talkHard workinspirationPen and paperStruggleThoughtsWill powerWriting 0 comment 0 FacebookTwitterPinterestEmail 2974shikhat previous post पारंपरिक मिठाइयों का संघर्ष! विकास, विचार और स्वास्थ के साथ next post छठ पर्व भगवान भास्कर और लोककल्याणकारी भावना You may also like जय चंद्रयान 3 August 24, 2023 तट नदिया का February 17, 2022 चलता चल राही September 30, 2021 बदलता सा मौसम September 15, 2021 शब्दों का तिलिस्म September 6, 2021 माँ September 3, 2021 बेटियां August 30, 2021 जीभ गुनहगार बढ़े हुए वजन की जिम्मेदार August 20, 2021 आवाज प्रकृति की August 16, 2021 बात इतनी सी August 6, 2021 0 comment Madhusudan April 19, 2018 - 5:01 am khubsurat kavita. Mrs. Vachaal April 19, 2018 - 11:50 am पढ़ कर सराहने के लिए शुक्रिया 😊 Manisha Kumari April 22, 2018 - 1:48 pm दिमाग और जीभ का अच्छा सामंजस्य हो तो, लेखक के साथ साथ कुशल वक्ता भी बन सकते हैं।
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khubsurat kavita.
पढ़ कर सराहने के लिए शुक्रिया 😊
दिमाग और जीभ का अच्छा सामंजस्य हो तो, लेखक के साथ साथ कुशल वक्ता भी बन सकते हैं।