March 2,2017
सर्दी के मौसम और कुहरे ने मुझसे कई कवितायें और गद्य लिखवा दिये … सरक रहा है धीरे-धीरे सर्दी का मौसम भी …. इस कविता को लिखने का ख्याल मुझे , कड़ाके की सर्दियों की एक सुबह आया था …
हरियाली और प्राकृतिक सुन्दरता ने , कुहरे का घूंघट ओढ़ा हुआ था …. सारे पेड़ पौधे घास सब भीगे हुये थे और,बड़ी बेसब्री से सूर्य की किरणों का इंतजार कर रहे थे …
अगर मै इस कविता को अभी पोस्ट नही करती तो मुझे , अगली सर्दी तक का इंतजार करना पड़ता …..
आज जहाँ खड़ी हूँ , वहाँ से खड़े होकर देखने पर लंबा और कठिन सफर लगता है…..
वो देखो आ गयी फिर से एक नयी सुबह ….
हमेशा ही कराती रहती है एक नयी सुलह ….
नमी है बादलों मे ….
कुहरे की चादरों मे ….
हँसती खिलखिलाती सी लतायें हैं ….
ठंडी हवाओं के झोंको ने ही तो सजाये हैं ….
ये आज सूर्य की तपन मे कुछ कमी सी है ….
बादलों ने दिखायी अपनी जलन सी है ….
ठिठक गया था कल चलते-चलते चाँद भी ….
सँभल गयी थी चलते हुये चंद्र किरण भी ….
पत्तियों ने सजाये ये प्यारे-प्यारे मोती हैं….
अब ये मत समझ लेना कि पत्तियाँ भी रोती हैं….
ये सब ओस की बूँदों की ही तो कारस्तानी है….
करती रहती ये अपनी मनमानी है…..
दिख रहा है आलसियों का एक बड़ा जमघट ….
ये परिंदे भी नही हो रहे हैं आज नटखट ….
मखमली सी घासों मे भी गीलापन है …
ओस की बूँदों के कारण ही तो ये नम है …
दिख रहा है चारो तरफ धुआँ धुआँ ….
इस कुहरे ने ही तो मन को छुआ ….
इस मौसम ने भी आज कुछ ठानी है ….
लिखवानी मुझसे आज के दिन की कहानी है ….
कुदरत का ही तो ये करिश्मा है …
हर जीवन का अपना अलग ही फ़लसफा है ….
कोई जीता है सिर्फ दिखावे की चाहत मे ….
कोई जीता है खुद को सँवारने की चाहत मे …
वो सुनो प्रकृति ने कुछ कहा है ….
चलो उठ जाओ सर्दी की प्यारी सी सुबह है …
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वाह !! क्या बात है…बहुत खूबसुरत
धन्यवाद 😊