बरसात का मौसम भी बड़ा अजीब सा होता है।हरियाली तो लाता है लेकिन तरह तरह कीबीमारियों को भी अपने साथ ढोता है।मौसम की नमी तरह तरह के कीड़ों को जन्म दे जाती है।इन्हीं के द्वारा तरह-तरह की बीमारियों को फैलाती है।
चारो तरफ देखो कोई डायरिया कोई वायरल से पस्त है।बाकी लोंग बत्तमीज मच्छर से त्रस्त हैं।क्योंकि बची हुई बीमारियों को लेकरवो देखो वो ढीठ मच्छर ही तो खड़ा।यही सब सोचते-सोचते मै सो गई।सोते हुए सपने मे ही ख्यालों के साथ-साथसवालों के बीच मे खो गई।
मच्छरों और काक्ररोच जैसे कीटों को सपने मे सामने देखकर दिमाग मे ठहराव आया।
सोचने लगी मै एक ऐसी दुनिया बनाते हैं।मच्छरों और काक्ररोचों को सबसे पहले वहाँ से बाहर का रास्ता दिखाते हैंl
तभी देखा दूर खड़ा, एक काक्ररोच मुस्कुरा
रहा था।
अपने दोनो एन्टीना को हिला हिला कर
अपने संगी साथियों को बुला रहा था।
काक्ररोच को देखकर, मेरे माथे पर
सलवटें पड़ गई ,मेरी भृकुटी तन गई
उसको सबक सिखाने के उद्देश्य से मै
उसके पीछे लग गई।
घुमा दिया उसने मुझे ,मेरे घर के कोने-कोने मे
जाकर छुप गया किन्हीं दरारों या सामान के ढेरों मे
वहीं से ठहाके लगा रहा था।
पकड़ो तो आपको जानूं
यही कह कर मुझे चिढ़ा रहा था।
बोला ठिकाना खुद ही मेरा, अपने घर मे बनाते हो
पेस्ट कंट्रोल वालों को समय पर क्यूँ नही बुलाते हो।
वैसे आपकी तारीफ करनी बनती है।
रसोई से आपके खाने की खुशबू उड़ती रहती है।
उसी खुशबू के कारण हमारी भी जीभ ललचाती है।
वही खुशबू तो हमे रास्ता भटकाती है।
समझ मे आ रही थी मुझे उसकी महीन आवाज।
मीठी मीठी बातें करके मुझे मस्का लगा रहा था।
बोला अब मुझे माफ भी कर दीजिए।
मेरे साथ इतनी ज्यादती मत कीजिए ।
आपके घर आना मेरा उद्देश्य नही था।
ज़रा सा अपनी गलती भी माना करिये।
जाइये! अपने घर के बाहर की नंबर प्लेट ठीक से लगाइये।
बाहर की रोशनी भी जलाइये।
अब हमारे ऊपर से अपनी बुरी नजर हटाइये।
गलती से रास्ता भटक गया था।
जाना था पड़ोस मे पता नही कैसे यहाँ अटक गया था।
काक्ररोच की तरफ से ध्यान तब हटा
जब मेरे कानों मे मच्छरों का संगीत बजा।
सारे मच्छर बड़े खुश नजर आ रहे थे
ऐसा लग रहा था लेट नाइट पार्टी के उद्देश्य से
चले आ रहे थे
कोई दबे पांव दरवाजे के नीचे से तो कोई पर्दे के
पीछे से सरक रहा था,कोई मेरे सिर को ही अपना
लिविंग रूम समझ रहा था।
मुझसे बोले आप दुनिया को हमसे मुक्त करना चाहती हैं।
आखिर क्यूँ दुनिया के चंद मेहनत से पढ़े लिखे लोगों के
हाथों को तंग करना चाहती है?
यही मौसम तो उनकी कमाई और हमारी ढिठाई का होता है।
आपकी आँखों मे क्यों खटकता है?
खबरदारररर ! अगर इस तरह के ऊटपटांग ख्यालों को
आपने अपने दिमाग मे उपजाया।
आज से ही हमने अपनी सारी फौज को आपके पीछे लगाया।
सोते सोते ही आपको डेंगू और चिकनगुनिया की
याद दिला देंगे।
प्लेटलेट्स काउंट्स के चक्कर मे पैथोलॉजी लैब
के अच्छे खासे चक्कर लगवा देंगे।
चलते हुए एयर कंडीशनर की ठंडक मे भी
मै पसीने पसीने हो गयी।
डेंगू और चिकनगुनिया की दहशत से
तरबतर हो गई
जल्दी से मै सोते से जागी।
आँखें खोलते ही अगल बगल
ऊपर और नीचे झांकी।
इस तरह के विचारों से हमेशा के लिए
तौबा करने की ठानी ।
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wah !sahi he,
😊
Ha ha !! 😊😊👌👌
Thanks😊