अभी कुछ दिन पहले की ही तो बात है,ऐसी गर्मी पड़ रही थी कि मई जून की दोपहर की याद दिला रही थी …अचानक से बदल गया न मौसम हमारे देश का मौसम भी मनमौजी है जाता हुआ पतझड़ भी उमस वाली गर्मी देकर जाता है …उस दिन सुबह से ही लग रहा था कि जम कर बारिश होगी ….
आखिरकार इंतजार की घड़ी समाप्त हुयी और ऐसे जमकर बादल बरसे कि इतने दिनों से बिना नहाये पड़े हुये पशु -पक्षी पेड़ लतायें सब ने बारिश की बूँदों का मजा लिया और सब के स्वभाव मे Positive effect of nature दिखने लगा…..मेरा मन भी बादलों को देखकर खुशी से झूम उठा और बोल पड़ा ….
ओ श्याम वर्ण के बदरा , कहाँ से लाये ये गगरा
जल ही जल तो इसमे भरा
क्यूँ करते हो तुम प्रतिस्पर्धा
बरसात के मौसम मे ही, बरसते नहीं तुम क्यूँ?
ये दिन मे ही रात क्यूँ , ये बेमौसम की बरसात क्यूँ ?
हर समय क्यूँ दिखाते हो अपने को महत्वपूर्ण?
रहते हो समय पर किंकर्त्तव्यविमूढ
चलो मान लिया , किया तुमने काम भला
जाते हुये पतझड़ मे , सावन का एहसास भला
अब तो जाकर आराम करो
वो आ रही है शरद ऋतु , जाकर उसका सत्कार करो
मन की इतनी सारी बातें सुनने के बाद आकाश की तरफ देखा तो थोड़ी सी हँसी भी आ गयी… ऐसा लग रहा था कि स्कूल मे छुट्टी हुयी है और बच्चे अपना- अपना भारी बैग टाँगकर पूरब ,पश्चिम ,उत्तर और दक्षिण से चले आ रहे हैं ….और उनकी चाल मे कोई भी discipline नहीं है …सब के सब मस्ती मे हैं….असल मे बरसने से पहले आकाश मे बादलों का जमावड़ा हो रहा था…
तभी आकाशीय बिजली (Thunder storm) दिखायी दी बड़े गुस्से मे थी तड़कती , भड़कती लहराती चली आ रही थी… सबसे ज्यादा गुस्सा बादलों के ऊपर कर रही थी….कभी एक बादल के पास तो कभी दूसरे के पास जा रही थी और वो बेचारे चुपचाप से yes ma’am ..yes ma’am कहते हुये खड़े थे….उसका गुस्सा बादलों के ऊपर इसलिये था क्योंकि इतना discipline सिखाने के बाद भी कुछ भी नहीं सीखते बस पूरा समय दौड़ा भागी मे ही निकाल देते हैं …..
आकाशीय बिजली (Thunder storm) को देखते ही बादलों की सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी…जल्दी जल्दी सारे व्यवस्थित हो गये और लाइन लगाना शुरू कर दिये ….ये निश्चित हुआ कि सबसे पहले छोटे वाले बादल नन्ही- नन्ही बूँदो से बरसात की शुरुआत करेंगे …उसके बाद बादलों के आकार के हिसाब से ही वर्षा की बूँदे बरसेंगी…..
सब कुछ सुनिश्चित करके बादलों को गुस्से वाली आँखें दिखा कर आकाशीय बिजली (Thunder storm) तड़तड़ाती हुयी धरती पर घूमने चली गयी ….लेकिन आखिरकार वही हुआ जिसका डर था …Thunder Storm के जाते ही बादलों की class मे वैसी ही भगदड़ मच गयी जैसी school मे nursery और primary section के बच्चे teacher के जाते ही मचाते हैं…..
परिणामस्वरूप मूसलाधार बारिश (heavy rain fall)शुरू हो गयी …..सोसायटी के बच्चे रंगबिरंगी छतरियाँ लेकर घूमना शुरू कर दिये ….रास्ते मे चलती हुयी गाड़ीयाँ जगमगाने लगी और बड़ी नजाकत के साथ चलने लगी । कारों की सारी चंचलता खत्म हो गयी , नहीं तो speed breaker पर से तो उड़ कर जाना ये अपनी शान समझती थी ….
सारे कबूतर छज्जों पर छुप कर बैठ गये , लेकिन कुछ तो अभी भी पानी की टंकी पर बैठकर भीगने का मजा ले रहे थे ।
बीच-बीच मे अपने पंखो को फड़फड़ा कर पानी से भारी हुये शरीर को हल्का कर रहे थे । तभी दूसरी तरफ नजर गयी अरे! ये तो supernatural beauty है..ये तो rainbow है क्या अद्भुत नजारा था…..
इतनी देर से बाहर खड़े हो कर ये सब देखते-देखते समय का पता ही नहीं चला । विचारों का क्रम तब टूटा जब भूख का एहसास हुआ । मौसम के हिसाब से खाने का मजा ही कुछ और होता है । कुछ अच्छा बनाते -बनाते door bell बजी मेरी कामवाली खड़ी थी दीदी छाता दे दो न बहुत ज्यादा बरसात हो रही है , मै भीगना नहीं चाहती ।
मैने हँसकर कहा क्यों इतना अच्छा तो मौसम है ,क्यों नहीं भीगना चाहती उसने भी हँसकर जवाब दिया आप लोगो के लिये अच्छा मौसम है । हमारे लिये तो बहुत बड़ी परेशानी है अगर भीग गयी तो बुखार आ सकता है , बुखार आया तो काम पर नहीं आऊंगी….हर कोई एक जैसा नहीं होता दीदी छुट्टी लूंगी तो पैसे काट लेंगे और वहीं से मेरी परेशानी शुरू हो जायेगी….
मै सोच मे पड़ गयी सही तो कह रही है ये इसके काम पर आने के समय से थोड़ा सा समय आगे सरका तो बचैनी होने लगती है…हर किसी की expectation होती है….. काम वाली की अपनी जिंदगी मे कितनी भी परेशानी हो उसे तो बिना बताये छुट्टी लेने का कोई अधिकार नही होता ….
अपने आसपास देखो तो मालूम पड़ता है… भगवान ने हमे जो जीवन दिया है वो कई लोगो से कई मायने मे बेहतर है …..