प्रकृति का भी अपना खिलंदड़ अंदाज है …इतने सारे प्राणियों, वनस्पतियों,नदी ,नालों समुद्र सब को अपने साथ लेकर चलती है….
मै तो कभी-कभी सोचती हूँ यदि प्रकृति को मनुष्य रूप मे देखा जाये तो बिल्कुल संयुक्त परिवार सा जीवन दिखता है ..
कुछ लोग Positivity से भरे हुये होते हैं, कुछ लोग Negativity से भरे हुये और कुछ परजीवी ….
जैसे परिवार मे सबके बीच सामंजस्य बिठाना पड़ता है वैसे ही ,प्रकृति को भी सबके साथ सामंजस्य बिठाना पड़ता है ..जहाँ प्रकृति के साथ खिलवाड़ हुआ, वहाँ प्रकृति का बदला हुआ सा अंदाज नज़र आता है…आप सारे जीव जन्तुओं को ध्यान से देखिये …कुछ तो सहनशील, कुछ मस्तमौला, कुछ सही में परजीवी सबका अपना -अपना अंदाज होता है ..
पोखर जानते हैं आप क्या होता है ,पोखर मतलब छोटा सा तालाब (a small pond)…
ग्रामीण अंचलों ,शहरों या कस्बों मे भी जगह जगह, छोटे -छोटे तालाब या जल के अन्य स्रोत नज़र आ जाते हैं।इन्हीं जलस्रोतों को देखकर खुश होते हुए जानवरों को देखा है आपने ?भैंसों को देखिये खुश होकर कूद जाती है इन, तालाबों या पोखरों मे…..नहाने के बाद सारा पानी कीचड़ -कीचड़ कर देती है …लेकिन उनके चेहरों को देखिये कितना सुकून दिखता है …
उनके चेहरो को देखने से ऐसा लगता है कि किसी Multinational Company मे promotion के बाद काफी अच्छा increment मिल गया है…..
दोस्तों और परिवार के साथ खुशी मनायी जा रही है …..
Positivity से भरी दिखाई देती हैं …
उनके पालनहार उनको धक्का देते रहते हैं, कीचड़ वाले पानी से बाहर निकलने के लिये…
कभी-कभी प्रताड़ित भी करते हैं ,काफी देर बाद निकलने के लिये राजी होती हैं…जब बाहर आती हैं तो उनके शरीर पर, बहुत सारे परजीवी चिपके रहते हैं …
ऐसा लगता है कि पिछले जन्म की बड़ी अच्छी दोस्ती रही हो, और इस जन्म मे खून पी कर ही दोस्ती निभाई जा रही हो…
कुछ प्राणी खुद तो बहुत positive रहते हैं लेकिन दूसरे प्राणियों के ऊपर Negativity छोड़ जाते हैं इसतरह के प्राणियों से बचकर निकलना टेढ़ी खीर होता है ….इसी मे से एक प्राणी मच्छर होता है, दुनिया भर के लोग परेशान है इससे “काम का न काज का दुश्मन अनाज का “…दस तरह की बीमारी और फैलाते हैं ….
आप रात मे सोइये आराम से बड़े चैन की नींद आती है….अचानक से कान के पास ऐसा लगेगा ,कि शास्त्रीय संगीत मे महारथ हासिल किया हुआ कोई प्राणी आपके कानों के पास गाना गा रहा हो …इनका गाना हर किसी ने सुना होता है…किसी को ये शास्त्रीय संगीत का ठुमरी दादरा लगता होगा ,तो किसी को गज़ल ….बंद आँखो से ही दंड देने का का ख्याल ,दिल और दिमाग मे हावी होने लगता है…
दंड देने के इरादे से उठे हाथ ! अपने गालों को ही घायल कर के जब वापस लौटते हैं…. तब तक मच्छर अपनी ही धुन मे मस्त, दूसरी दिशा मे अपना राग छेड़ते सुनाई पड़ते हैं…
मुझे आजतक समझ मे नहीं आया कि, जिन्होंने इस संसार को बनाया….. उनका क्या उद्देश्य रहा होगा, इस तरह के जीवों को पृथ्वी पर भेजने का ...
जितने ढीठ और बेशरम ये मच्छर होते हैं, उतने ही ज्यादा प्रफुल्लित प्राणी होते हैं…
मनुष्य जीवन की तुलना अन्य जीवों से करिये, अपने आप को बहुत ऊपर पाओगे…. कम से कम भगवान का शुक्रिया अदा करना तो बनता है …
“ऐ जीवन तू क्या है , क्या है तेरा मोल
कहीं कभी बन जा, तू भी तो अनमोल”
मन मे हमेशा ये सवाल उठता है, कि क्या हमारे जीवन मे आने वाली परेशानियाँ! इन परजीवियों के समान ही होती है, खुद तो सकारात्मक रहती हैं, लेकिन हमारे अंदर नकारात्मकता छोड़ जाती हैं।
अगर विषम परिस्थिति मे सकारात्मक हो जाओ तो, जीवन के प्रति नजरिया बदल जाता है …
नकारात्मक सोच जीवन से हमेशा के लिये गायब हो जाती है …..
जीवन अनमोल और उपयोगी समझ मे आता है ……