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NatureShort Stories

What the humble dove teaches us

by 2974shikhat September 27, 2016
by 2974shikhat September 27, 2016

​

Nature के पास रहकर हम positivity से भरे होते हैं…. मेरी ये पोस्ट धुंधली यादों से जुडी हुई है … व्यक्ति के स्वभाव की Honesty, kindness , Positive effect of nature  ही होता है ….

Image Source : Google Free

                                 

कोठीनुमा घर था वो हमेशा तरह तरह की लताओं और पेड़ों से घिरा हुआ ,चहचहाता हुआ ,Positivity से भरा हुआ …..ऐसा लगता था प्रकृति ने अलग अलग रंगों से रंगा हो उस घर को….. बहुत दूर तक घर की बाहरी दीवारों को, अपने लाल गुलाबी फूलों से मधु मालती  की बेलों ने सबसे ज्यादा ढंका हुआ था….

प्रकृति मे विद्यमान चीजें law of dominance को बड़े अच्छे से दिखाती है …कई तरह की लताओं के होने के बाद भी सबसे ज्यादा मधुमालती के फूल दिखते थे….. मतलब सारी लताओं के बीच में मधुमालती ने अपना आधिपत्य जमाया हुआ था …

तेज हवा चलने पर वो सारी लतायें ऐसे हिलती थी…. मानो प्रकृति ने झूला डाल दिया हो अपने दिये हुए जीवन को झूलने के लिए ..बड़े ध्यान से देखने का मन करता था उन लताओं को …

तेज हवा चलने पर बेचारी छोटी-छोटी चिड़िया ऐसे उलट पुलट जाती थी…. जैसे roller coaster पर झूल रही हों.. गिलहरियाँ बहुत चंचल स्वभाव की होती है… लताओं के उलटने पलटने से पहले ही अपने शरीर को, उस हिसाब से फटाफट तैयार कर लेती थी मानो facebook पर  profile pic के लिये selfie लेना हो..

Image Source : Google Free

गौरैया तो उन लताओं मे समूह मे ऐसे घुसती और निकलती थी मानो, काला सा धुँआ आँखो के सामने से उड़कर बिखर गया हो आकाश में… और वापस आ कर समा गया हो उन लताओं की हरी पत्तियों के बीच में …

बेचारी फाख्ता  (Dove)देखने मे कितनी प्यारी लगती है …. स्वभाव से बहुत भोली-भाली चुपचाप सामने के बगीचे मे घूमती रहती थी …अपने आसपास होने वाली गतिविधियों से अनजान, अपने मे मस्त रहने वाली ..अपने आसपास घूमते हुए स्वार्थी लोगो से इतनी अनजान  की ,उन्ही की आँखों मे झाँक कर उनको सबसे बड़ा हितैषी मान बैठे …

Image Source : Google Free

                           

बनाया था उसने घोसला बिल्कुल मुख्य दरवाजे के सामने से जाने वाली बेल पर..मै सोच रही थी आजकल ये यहीं पर क्यूँ घूमती रहती है ..समझ नहीं पा रही थी उसकी बेचैनी काफी परेशान रहती थी वो …3-4 दिन से मै उसको ध्यान से देख रही थी ..

सावन का महीना था बरसात तेजी से हो रही थी, बिजली भी बीच-बीच मे कट जाया करती थी….
हमेशा जब मुझे अपने आप को विचारो के झूले मे झुलाना होता है, या अपना मनोबल बढ़ाना होता है तो मै निकल पड़ती हूँ बंद दीवारों के बाहर, आकाश और पेड़ पौधो के बीच में ..फाख्ता की बेचैनी मुझे परेशान कर रही थी …

Image Source : Google Free

                                         

ऊपर से उतरकर मै नीचे आयी तब देखा, बेचारी दो दिन से अपना घोसला बना रही थी, और बिल्ली उसे उजाड़ दे रही थी ..तब मुझे उसकी बेचैनी समझ मे आयी …..

काश भगवान हमें इन पशु पक्षीयों से बात करने की विधा भी दे देते ….इतना सब कुछ तो दिया है मनुष्य  को ,हम ही नही समझ पाते देने  वाले के उदार हृदय को …

मन किया उससे बोलूँ थोड़ा और ऊपर नहीं बना सकती थी तुम अपने घोसले  को ….बस झूला झूलती रहा करो एक नंबर की बुद्धू चिड़िया हो तुम…. सब तुम्हारे भोलेपन का भायदा उठाते हैं..आओ मै बना देती हूँ तुम्हारा घोसला ,मेरी आँखो मे बड़े विश्वास के साथ देखा था उसने….

मेरे उसके साथ खड़े होते ही उसके अंदर आत्मविश्वास की वृद्घि हो गयी.. ..मैने मुड़कर देखा तो तिनके इकट्ठे करने उड़ चुकी थी …..बना लिया था उसने मुख्य दरवाजे से थोड़ा ऊपर अपना आशियाना इतना नीचे भी  न था कि मै आराम से उसके घर को झाँक कर  देख पाती उसके बच्चो को और उसको……

काफी व्यस्त हो गयी थी वो अपने बच्चों के लालन पालन मे, दीन दुनिया से बेखबर बेखौफ……मुझे सबसे ज्यादा चिंता बिल्ली से थी क्योंकि, उसका आतंक कभी भी फैल सकता था…. लेकिन तसल्ली इस बात की थी कि, घोसला इस बार ऊँचाई पर था ….

  •                   मै भी खाली समय में उसके बच्चो का कलरव सुन आया करती थी…. दिखायी तो वो बच्चे पड़ते नहीं थे …मुख्य दरवाजे के पास से आना जाना बिल्कुल बंद कर दिया था कुछ दिनो के  लिये ……सोच रही थी आराम से चिंता मुक्त हो कर पाल ले अपने बच्चों को, सबसे ज्यादा चिंता तो मुझे बिल्ली की Negativity से थी…..

रोज उनके घोसले तक आना, उनकी आवाज सुनना, मेरी व्यस्त दिनचर्या का हिस्सा बन गया था….एक दिन उठी तो चारो तरफ शांति थी घोसला खाली था…. लगता है उड़ गये थे सब अपनी मंजिल की ओर …..थोड़ी देर तक मै चुपचाप वहाँ बैठी रही….. दो तीन बार लंबी-लंबी साँसे लिया और बढ़ चली रसोई की तरफ…. कुछ अच्छा सा खाना बनाने और खाने के लिये…. आखिर खुद को भी तो इस सुखद और सुंदर क्षण के लिये प्रोत्साहित करना था …

 मनुष्य जीवन बड़ा अनमोल है खुद के लिये तो हर इंसान जीता है…
 कभी व्यस्तता के क्षणों मे से छोटे -छोटे पल दूसरे जीवों को देकर देखिये..
  मन Positivity से भर जाता है, उन जीवो की आँखों के विश्वास के कारण…
 आपकी आँखो की सारी Negativity आंसुओं के रूप में बह जायेगी …

EmpathyKindnesspositive effect of nature
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2974shikhat

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