कुछ धुन्धली सी यादें मन मस्तिष्क में हमेशा रहती है….अगर आप उनके बारे मे सोचते हैं तो विचारो की एक श्रृंखला बनती चली जाती है…
सारी चीजें आपस मे जुड़ती चली जाती है ,और बन जाती है जिंदगी की ढेर सारी छोटी-छोटी कहानियाँ lifeanditsstories…..कुछ तो बहुत प्यारी …कुछ दुखदायी …कुछ नटखट..कुछ खिलंदड़…
अगर आपने अपने बचपन के कुछ पल प्रकृति के साथ बिताये हैं तो Positive effect of Nature आपके स्वभाव मे दिखाई देगा …..वो पल भी विषम परिस्थिति मे Negativity से दूर रहने मे आपकी सहायता करेगा और आप Positivity से भरे हुये दिखायी देंगे …..
दादी ने बहुत कड़े शब्दों मे सबको मना कर रखा था कि कोई बसवारी(bamboo thicket )और गढ़ई (a small dry pond) की तरफ नहीं जायेगा ….क्यों की वहाँ पर भूत….प्रेत….पिशाच….और चुड़ैल.. का बसेरा रहता है ….
फिर भी अगर गलती से भी किसी बच्चे की नजर उस तरफ फिर गयी …तब तो उसकी कल्पना मे भी वही सब आना शुरू हो जाता था ….जो उसने अपने बड़े बुजुर्गो से सुना होता था…...
शायद सुरक्षा के लिये ये सब बातें बतायी जाती रही होंगी …..क्योंकि बच्चों की चंचलता उन्हें हर वही काम करने के लिये प्रेरित करती है ….जो उन्हें मना किया जाता है……
लेकिन फिर भी उन बाँसो के झुण्ड को रात मे देखना बड़ा अच्छा लगता था…..
महानगरों से दूर स्थित गाँवो मे आकाश बिल्कुल साफ सुथरा होता है, उसके ऊपर किसी प्रकार का मेकअप या पोतापोती नही होती है…….आकाश की सुन्दरता देखने योग्य होती है ….
आपने कभी साफ सुथरे आकाश को आराम से शान्त मन से रात मे देखा है ….आराम से छत पर लेटकर आकाश की तरफ देखिये कितना सुकून मिलता है …..कुछ तारे इतने चमकीले और चटकीले दिखते है मानो Positivity कूट कूट कर भरी हो …इनको देखते समय हमेशा आप को ध्यान देना पड़ता था कि पलके न झपके….
पलक झपकते ही सबसे चटकीला तारा आँखो से ओझल हो जाता था ,फिर आप खोजते रहो आकाश मे गायब ही हो जाता था ……देखते देखते एक तारा अचानक से दौड़ने लगता था …तब समझ मे आता था अरे! ये तो टूटा हुआ तारा है ...इसने तो पूरा कर लिया अपना जीवन चक्र ,बढ़ चला ये अनंत दूरी तय करने और देखते -देखते आँखों से ओझल हो जाता था …..
क्या रहस्यमयी आकाश गंगा है आपको अपनी ओर खींच लेती है …..आप खुद को उसी मे समाहित कर लेते है …..अगर देर तक ध्यान से देखते रहो तो …..उसमे डूबने से पहले मै अपने आप को, खींच लिया करती थी वापस धरती पर और फिर नजर जाती थी बाँसो के झुरमुट पर.…
बाँसो के झुरमुट पर सारी रात टिमटिम करके रोशनी होती रहती थी । ऐसा लगता था कि आकाश से तारे आज धरती पर घूमने चले आये हैं…रोशन करने चले आये हैं हमारी जमीं को….आपको मालूम है वो क्या होता था …’जुगनू ‘…मुझे बचपन से जुगनू बहुत पसंद है …दौड़ा करती थी मै उनको पकड़ने के लिये ….
कई बार पकड़ा था मैने जुगनू को …
कभी -कभी तो हाँथो को बाँस के झुरमुट के पास ले जाओ तो ,अपने आप ही हथेली पर आ कर बैठ जाया करते थे । …फिर मै मुलायमियत से मूट्ठी बंद कर लेती थी ,और अपनी ऊँगलियो को ढीला छोड़ दिया करती थी कि बेचारे को घुटन न हो …..
वो मेरी ऊँगलियो के बीच में चमकता रहता था, और मै सोचती थी कि मैने आकाश के तारे को पकड़ा हुआ है ……और उस जुगनू से बोला करती थी अभी थोड़ी देर पहले तो तुम आकाश मे टिमटिमा रहे थे, अब आ गये मेरे हथेलियों मे ….जितनी बार वो चमकता था मेरी आँखो की चमक भी बढ़ जाती थी …साथ ही साथ हथेलियो मे हल्की सी गुदगुदी भी होती थी उसकी उपस्थिति से …..थोड़ी देर बाद मै छोड़ आती थी उसे पेड़ों के पास ….
थोड़ी देर तक चुपचाप एक जगह बैठ जाता था..फिर चुपचाप अपने पंखो को फैलाकर ,उड़ जाता था और पत्तियों के बीच में गायब हो जाता था ……प्रकृति कितनी सुंदर है न क्या – क्या बना कर रखा है ….
आजकल लोगो मे इतना दिखावा, नकलीपन और छल शायद इसलिये है ….क्योंकि लोग प्रकृति से दूर रहते हैं….मैने देखा है बच्चों को दिन हो या रात क्रूरता से पेड़ पौधो की पत्तियों को नोचते हुये ….फूलो को तोड़कर जमीन पर ऐसे ही फेंकते हुये उनके माँ बाप के चेहरे पर कोई शिकन तक नही आती ….उनको लगता है कि उनका बच्चा अगर यही करने मे खुश है तो यही सही …
भौतिकता के पीछे भागते हुये मौलिकता पीछे छूटती जा रही है …लेकिन जिस तरह की Negativity आप Nature के साथ दिखायेंगे वही चीज प्रकृति आपके स्वभाव को देगी ….
यही क्रूरता आगे चलकर समाज मे लोगो के बीच में भी देखने को मिलेगी ।
इसीलिये प्रकृति के साथ Positive व्यवहार रखिये और Positivity से
भरा हुआ समाज बनाइये ….