सावन महीना हम भारतीयों के लिये, काफी “उर्वरक”होता है….
चाहे मानसिक उर्वरता हो, या प्रकृति की उर्वरता, हर जगह” नव सृजन ….पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव और सावन मास का साथ ,सृष्टि के आरंभ से रहा है…उनके “विध्वंस रूप”या तांडव को न ध्यान मे रखते हुए, हमेशा “सकारात्मकता” के बारे मे सोचना ही उत्तम है…किसी भी विषय के बारे मे “नकारत्मकता” उर्वरा को समाप्त करती है…इंसान की कार्यक्षमता को प्रभावित करती है…
अगर नकारत्मक विचार,आपके दिल और दिमाग पर हावी हो रहा है….जिसके कारण आपका व्यक्तित्व प्रभावित हो रहा है, तो रुकिये, ठहरिये और सोचिये, क्या ये उचित है ?
कभी कभी जिन्दगी मे ऐसी समस्याएँ आती हैं, जो आपके अपने अस्तित्व को हिला देती है, आपको विवेक शून्य कर देती है ….
समझ मे नही आता ये क्या हो रहा है! अपनी क्षणिक समस्याओं को लेकर क्या आप उचित कर रहे है ?अगर अंतरात्मा से ये आवाज आती है ,नहीहीहीही !! ये उचित नही है…..अपनी इस आवाज को कायरता मत समझिये ….
अपने आत्मविश्वास पर भरोसा करिये .. भगवान पर भरोसा करिये ..अपने संस्कारों पर भरोसा करिये..
भगवान शिव आपका साथ कभी नही छोड़ने वाले अगर आप सही हैं तो….क्षण भर के लिए आने वाला नकारात्मक विचार ! अगर समय सही नही है तो ,सब कुछ समाप्त कर देता है ….सुनियोजित छल हमेशा दुखदायी होता है, क्योंकि ये हमेशा विश्वासघात करता है….दूसरे के विश्वास को तोडने से बड़ा पाप ! दुनिया मे कोई नही होता है….
अगर इस तरह का पाप हमने या आपने किया है, तो कृपया कर के परमात्मा की शरण मे जायें ….वो ही इस समस्या का समाधान करेंगे….अपनी गलतियों के लिए हमारा क्षमा मांगना, कायरता नही है ….न तो ये कृत्य, आपको तुच्छ बनाता है….
भगवान कृष्ण का “छलिया रूप””विश्व उत्थान” के लिए था ….
आप या हम उनके छलिया रूप को, अपने निहित स्वार्थ के लिए, उपयोग मे लाकर… भगवान “पीताम्बर” को सामने नही ला सकते….या उनके माध्यम से, अपने किये गए गलत कार्यो को, उचित नही ठहरा सकते ….
आत्मविश्वास और अभिमान मे, झीनी सी एक परत होती है …
उस झीनी सी परत को बनाये रखना ही, हमारे लिए हमेशा सही होता है….नही तो पता नही कब हमारा आत्मविश्वास, नकारात्मकता के कारण, अभिमान मे परिवर्तित हो जाय …जहाँ किसी व्यक्ति के मन मे अभिमान आया, वहीं से उसकी बुद्धि और विवेक ने साथ छोड़ा…इसीलिए हमेशा सकारात्मक रहे, खुश रहे …
भगवान शिव का आशीर्वाद हमेशा साथ रहे ….