सामान्यतौर पर खाने को, दिलोजान से चाहने वाले लोगों का ध्यान….
रसोई के आसपास,तब ज्यादा होता है जब, खाने के स्वाद के साथ-साथ…..
खाना पकाना भी,पसंदीदा काम मे से एक होता है….
कभी कभी तो ऐसा होता है कि,सपने मे भी रसोई नज़र आती है….
रसोई मे उपयोग मे आने वाली चीजें ,कभी बातें करते हुये….
तो कभी,बेतरतीब सी दिख जाती हैं….
कुछ दिन पुरानी ही तो बात है…
साथ मेरे, रसोई के सामानों के जज्बात थे…
बर्तन मे दूध उबल रहा था….
उसमे से दूध उफन रहा था….
बोला मै हूं कमाल का….
पलक झपकते ही उबल जाता हूं….
जरा सा ध्यान इधर या उधर फिरा…..
मै तो बर्तन से उतरकर,फर्श की सैर पर चला…
आपका खीर बनाने का मामला,कल या परसों पर टला….
दालें अपना रोना रो रही थीं…..
बोली हम तो बेनाम हो गये……
अच्छे खासे नाम होते हुए भी….
काली,पीली,हरी,सफेद,लाल,चित्तीदार जैसै नाम ही
हमारी पहचान हो गये…..
अब आप ही बताइये ….
दालों के नाम पर
मुहावरे भी बने हुये हैं….
फिर भी लोग दालों के नाम को भूल रहे हैं….
सब्जी की टोकरी की तरफ नज़र फिरी….
तमाम परतों को ओढ़े हुए, सबसे पहले प्याज दिखी…
बोली,स्वाद हमारा कमाल का होता है….
सब्जियों,दालों और सलाद मे प्याज का इस्तेमाल होता है….
कठोर से कठोर हृदय वालों को भी, रुला देती हूं…..
अपना असर, आँखों मे जलन और,आँसूओं के रूप मे दिखा देती हूं…..
लहसुन,अदरक, टमाटर मिर्च के बीच मे…
सबसे आगे कूदकर
हरी मिर्च खड़ी दिखी….
बोली!प्याज की करना बात,तो हमे भी करना याद….
हम तो जीभ के जरिये, आँखों मे आँसू लाते हैं….
दुबले पतले छरहरे होने के बावजूद….
खाने मे अपनी उपस्थिति की बात से
सारी ज्ञानेंद्रियों को सोते से जगाते हैं…..
चीनी और गुड़ के डिब्बे,उबासियाँ लेते दिख रहे थे…..
उनके स्वाद को हम,मिठाईयों के जरिये ही याद कर रहे थे…
तभी! ज़रा शोख सी आवाज कान मे पड़ी…..
देखा तो, ‘शुगर फ्री’ हमारा रास्ता रोक कर बीच मे खड़ी….
बोली आजकल आप, चीनी और गुड़ से परहेज करती हैं…..
अपनी जीभ के स्वाद के साथ, हमे क्यों नही रखती हैं….
फ्रिज को खोलते ही उसमे से,भनभनाहट की आवाज सुनायी पड़ी….
ऐसा लग रहा था ,वार्ता चरम पर पहुंच कर लड़ी भिड़ी….
न जाने किस बात पर अड़ी….
एक दो तश्तरियाँ और सब्जियाँ,गुस्से मे बाहर ही निकल पड़ी….
फ्रिज अपने आप पर इतरा रहा था…..
घमंड से अपनी उपयोगिता की बात, बतला रहा था…
बोला भूल जाइये ताजे खाने की बात…..
सारा जमाना है,फ्रोजन फूड के साथ….
फ्रीजर से लेकर सारा रेफ्रिजरेटर,भरा हुआ दिख जायेगा….
इंसान एक दिन पकायेगा…..
चार दिन बासी खाना खायेगा…..
हम तो लोगो की जिंदगी मे
पूरी तरह शामिल हो गये…..
समय की कमी,सुविधाजनक और,आलस के चलते ही
हमारे भरोसे लोंग सुकून का जीवन जी रहे….
प्रेशर कुकर नींद मे ही, जोर जोर से चिल्ला रहा था.…
अपनी कर्कश सी आवाज से, शोर मचा रहा था....
बोला,समझ मे नही आता हमे आपका इरादा….
गैस पर चढ़ा कर आप, हमे भूल जाती हैं….
इसी कारण दाल और सब्जी जलाती हैं….
मै सोचने लगी,रसोई का संसार भी
कितना विचित्र होता है…..
हमे सोचते विचारते देख
चाय की पत्ती मुस्कुराने लगी….
अपनी महक से हमे जगाने लगी…
बोली,अब आप अपनी कल्पना लोक से बाहर आइये….
जल्दी से अदरक और इलायची को भी जगाइये….
उसके बाद चाय बनाइये……
चाय के प्याले के साथ, अपनी कल्पना लोक की सैर को
आगे बढ़ाइये…..