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Daily LifeShort Stories

Spreading Positivity in the pall of darkness

by 2974shikhat January 30, 2017
by 2974shikhat January 30, 2017

Image Source : Google Free

“To me the greatest duty to mankind is of spreading positivity”

कैसा खामोश सा दिन था वो, कितना सोया सोया सा कितना खोया खोया सा …

आदत के मुताबिक उठ कर बाहर निकली , आकाश की तरफ देखा …

आज भी गायब थे सूर्य भगवान….सर्दी और बरसात के मौसम मे आकाश का, रहता है यही हाल …

ऐसा लग रहा था जैसे ,सामान्यतौर पर आफिस मे लोग अपना बैग टेबल पर रखकर… अपनी उपस्थिति दिखा देते हैं …

फिर निकल लेते हैं तफरीह के इरादे से…

आकाश की तरफ देखा ,फिर जमीन की तरफ देखा …..

आकाश और जमीन के बीच में, धुन्ध फैली हुयी थी …..

यह सब देखकर ऐसा लगा, मानो आज बादलों ने चारों तरफ शांति और सद्भावना की प्रतीक सफेद चादरें ही फैला दी हैं…

घना सफेद कुहरा चारो तरफ दिख रहा था…

आमने-सामने, अगल बगल कुछ साफ नही दिख रहा था…

कुहरे के अंदर सबकुछ छुप सा गया था , हवा मे आज ज्यादा ही ठिठुरन थी …..

सारा दिन ऐसे ही धुन्ध के साथ बीत गया ….

शाम होते ही मन कर गया बाहर निकलने का….

पांव मे स्पोर्ट्स शूज डालकर और जैकेट पहनकर ,निकल पड़ी मै एक लंबी सैर पर …

आज पूरे दिन छत पर और बालकनी मे, कबूतरों को एक लाइन मे बैठे हुये ही देखा , रोज से थोड़ा मोटे नजर आ रहे थे …

अपने पंखों को फुलाकर सर्दी से बचाव किया जा रहा था …

आज तो उन कबूतरों से, ज्यादा उड़ान भी नहीं भरी जा रही थी …

सिर्फ कभी अपनी गर्दन को ऊपर फिर नीचे ….कभी दाँयें फिर बाँये…..

बस ऐसे ही हल्की फुल्की एक्सरसाइज की जा रही थी ….

अब ऐसे मे तो मोटापा बढ़ना लाजमी है…..

चलते-चलते दिख ही गयी, सड़क के किनारे चाय की गुमटी ….

इलायची और अदरक की महक सारे वातावरण मे फैलती जा रही थी …

तभी दिख गये ठिठुरती हुयी सर्दी और हल्की सी बरसात मे, छोटा सा गर्म कोना ढूँढते हुये मासूम से दिखने वाले जानवर….

कितने आलस मे पड़े हुये थे ….अपने कान को नीचे किये हुये…. ऐसा लग रहा था…..अपनी ऊर्जा को बचा कर रखने का इरादा था उनका …

ऐसा लग रहा था, सारे आलसी पशु पक्षियों का जमावड़ा, हमारे ही इलाके मे हो गया है …

तभी देखा युवाओं का समूह चला आ रहा है…. मस्ती मे बातें करते हुये,बढ़ी हुयी दाढ़ी बेतरतीब फैले हुये बाल ,जो सामान्य से ज्यादा ही लंबे थे …..

शायद कबूतरों के समान ही ,सर्दी से बचने के लिये इन्होंने अपने लंबे बालो को फैला लिया होगा …तुरंत ही हमारे अंदर की माँ जाग उठी…

बेटियों के लंबे बालों की, तरह-तरह की चुटिया बनाते -बनाते…. किसी के भी फैले हुये बालों को देखकर….,

मै सोच मे पड़ जाती हूँ कि, इस समय इस ड्रेस के साथ कौन सी चुटिया अच्छी लगेगी….

फिश फ्लेट्स , फ्रैन्च नाट्स ,साधारण गुथ ,पोनीटेल उनके साथ किस रंग की रबर बैंड !! …..

या हेयर बैन्ड लगाकर , बालों को आँखों से थोड़ा पीछे करना सही रहेगा …

कम से कम आँखों को, सहज रूप से देखने का रास्ता तो मिल जायेगा…

नहीं तो नगर निगम वालों के द्वारा फुटफाथ की सफाई तो, नाममात्र की ही होती है…

ऐसे लोग जो बिना नीचे देखे चलते हैं….. अनजाने मे ही अपने जूतों से फुटपाथ की सफाई भी करते चलते हैं ….

बाजार मे नये साल वाली रौनक और जोश अब ठंडा पड़ चुका है….

लेकिन सामान्य दिनो वाली रौनक अब भी दिखायी पड़ रही है …

फुटपाथ पर सामान बेचते हुये दुकानदार …सबसे ज्यादा बातूनी दिखायी पड़ते हैं ….

उनको आदत सी पड़ गयी है ,मोलभाव करने वालों से निपटने की ..

बचपन मे सोचा करती थी ,ये दुकान वाले कितने अमीर होते हैं…

जो चीजें खरीदने हम इनके पास आते हैं, और थोड़ी सी मात्रा मे लेकर जाते हैं…

वो तो इनके पास भरी पड़ी रहती है …

सब्जी वाले के पास सब्जी ही सब्जी …मूंगफली वाले के पास मूंगफली ही मूंगफली …….तब बड़ों की समझायी हुयी बातें समझ मे नही आती थी …

दिख गयी तभी गोलगप्पों की दुकान. …

जब खुद पर नियंत्रण करना बड़ा मुश्किल हो रहा हो ,और आपका मन बार बार धक्का दे तो , गोलगप्पों को आँखों से देखकर ही संतोष करना चाहिये …..

दुकान के पास खड़े हो कर 1से50 नहीं तो 30तक की गिनती करो, और खिसक लो दुकान के सामने से ….

सबसे अच्छा उपाय है, मन पर नियंत्रण करने का … हर समय इसका कहना मानने की जरूरत बिल्कुल नही. …

फालतू की ईटिंग हैबिट डालता है, बाद मे अफसोस भी कराता है ….या तो खाने के बाद आत्मग्लानि न हो, तब तो सही बात है ….

खाओ और खाने के बाद दुखी हो तो, शरीर को और लगता है…. रिजल्ट वेट मशीन ढीठता के साथ बताती है …..

वापस आते समय बैटरी वाले रिक्शे मे बैठने का मन करने लगा ….

क्या राजसी एहसास होता है रिक्शे मे बैठने पर….

जो मँहगी से मँहगी गाड़ियों मे बैठने पर भी नही होता होगा …

चेहरे को छू कर जाती हुयी ठंडी ठंडी हवा ….

अगल बगल चमचमाती हुयी गाड़ियों के बीच मे तो धुन्ध कहीं खो गयी थी …

Spreading positivity

Image Source : Google Free

मेरे विचार से जरूरी नहीं की, हर कोई अपनी खुशियों के पल को ज्यादा पैसा खर्च कर के ही खोजे …..

कभी-कभी छोटी-छोटी सी चीजें भी मन को प्रसन्न कर देती हैं ….कुहरे या बारिश का बहाना बनाकर घर मे रहने से अच्छा है बाहर निकलना …

बाहर निकलते ही उत्साह सा महसूस होता है ……

बाहर की चहल पहल सोये हुये और खोये हुये दिन को भी Positivity से भर देती है …..

AdaptationBe HappyEncouragementExpressionpositivitySelf motivation
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0 comment

UK mishra February 3, 2017 - 3:05 pm

Nice..

Mrs. Vachaal February 3, 2017 - 3:11 pm

Thanx sir😊

Arpit Raha February 28, 2017 - 1:56 am

Good one..

Mrs. Vachaal February 28, 2017 - 2:32 am

Thanx😊

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कहानी का दूसरा पहलू मेरी दुनिया में आपका स्वागत है

मेरे विचार, और कल्पनाएं… जीवन की छोटी-छोटी बातें या चीजें, जिनमे सामान्यतौर पर कुछ तो लिखने के लिये छुपा रहता है… एक लेखक की नज़र से देखो तब नज़र आता है … उस समय हमारी कलम बोलती है… कोरे कागज पर सरपट दौड़ती है.. कभी प्रकृति, कभी सकारात्मकता, कभी प्रार्थना तो कभी यात्रा… कहीं बातें करते हुये रसोई के सामान, कहीं सुदूर स्थित दर्शनीय स्थान…

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