” Let us spread positivity before 2017 starts”
साँपों को देखा है आपने सरकते हुये तेजी से ओझल हो जाया करते हैं आँखों के सामने से , लेकिन अपनी लकीरों को रेत के ऊपर छोड़ जाते हैं । ठीक वैसे ही समय होता है , सरकता चला जाता है कई सारी चीजों को अपने से जोड़ता चला जाता है लेकिन कई सारी खट्टी मीठी यादों घटनाओं , दुर्घटनाओं को पीछे छोड़ता चला जाता है । कई सारी घटनायें ऐसी होती हैं जो दुर्घटनायें होने से बच जाती हैं और आपका विश्वास भगवान के ऊपर बढा देती है ।
मेरी ये post भी धुन्धली यादों की ही एक कड़ी है ….
देखा करती थी मै रोज उसे दैनिक यात्री थी वो शायद, रोज ट्रेन से कुछ दूरी का सफर तय कर के कहीं जाया करती थी नौकरी करने। हम सहेलियाँ भी उसी रास्ते से कालेज जाया करते थे । हम चार या पाँच सहेलियों का छोटा सा group हुआ करता था ।
उस समय mobile phone ने नया-नया पांव जमाना शुरू ही किया था, इसलिये बातें आमने-सामने ही ज्यादा हुआ करती थी । हम friends की बातें कभी खत्म ही नही हुआ करती थी ।
ये बातें सभी को हमेशा घर मे समझायी जाती थी कि, कृपया रास्ते मे या कालेज मे आप लोग बातें कम करेंगे । लेकिन इस तरह के सुझाव सभी के सिर के ऊपर से निकल जाया करते थे ।
रेलवे प्रशासन ने हर गांव कस्बो शहरों महानगरों मे रेलवे लाइन पार करने के लिये foot over bridge बनाये हुये हैं ,लेकिन हम लोगों को आदत न थी foot over bridge पर चढ़कर रेलवे लाइन पार करने की ।इतना समय कौन बर्बाद करे , इतनी देर मे तो रेलवे लाइन पार कर के अपने destination पर पहुँच जायेंगे ।
4 या 5 km की दूरी भी बातें करते-करते आसानी से पार कर जाया करते थे ।
कभी वो लड़की हमसे आगे हुआ करती थी कभी हम उसके आगे , मुस्करा कर औपचारिकता पूरी कर के आगे निकल जाया करते थे । उस दिन बे मौसम की बारिश का दिन था । बैग के अलावा हांथ मे छाता भी था ।सब कुछ संभालते हुये destination तक पहुँचने की जल्दी भी थी । लेकिन फिर भी हमारी बातें चल रही थी ।
सामान्यतौर पर किसी भी शहर मे Railway colony का कोई न कोई हिस्सा ऐसा होता है जो थोड़ा सा डरावना होता है । उस हिस्से से कोई न कोई हादसे जुड़े होते हैं जिनके बारे मे अधकचरी सी बातें उस शहर के लोगों को मालूम होती हैं । किसी न किसी मालगाड़ी का कोई पुराना सा डिब्बा पड़ा होता है । जिसको बंजारो की तरह रहने वाले लोग अपना आशियाना बना लेते हैं ।
सामान्यतौर पर मौसम का मिजाज खुशनुमा होते ही लफंगो की टोली निकल पड़ती है मस्ती करने के लिये, जैसे लड़कियों को तो कोई अधिकार ही नहीं होता मौसम का मजा लेने का ,बिल्कुल मच्छरों की तरह भिन -भिन करते हुये ।
चार या पाँच लड़को का समूह था मस्ती मे चला आ रहा था । उस लड़की के पास जाकर उसको कुछ तो ऐसा बोला जिससे वोअसहज महसूस कर रही थी। वैसे भी वो अकेले ही अपना सफर पूरा करती थी । देखते ही देखते उन लड़को की बदमाशियाँ बढ़ गयी । हमसे अच्छी खासी दूरी पर थी वो लेकिन थोड़ा पीछे थी शायद ,इसीलिये पहले उसकी तरफ ध्यान नही दिया ।
हम सभी एक साथ उसकी मदद के लिये दौड़े । हम सब को अपनी तरफ आता देख कर उसको सहारा मिला और लड़के भी U turn लेकर के भाग गये । उसकी आँखो के साथ-साथ शब्दों मे भी धन्यवाद था । हमने बोला छोड़ो न यार धन्यवाद किस बात का , चलो तुम भी हमारे साथ ही चला करो । अकेले -अकेले क्यूँ चलती हो कम से कम कुछ दूर तो हमारा साथ रहेगा ।
दिन बीतते गये वो हमारे साथ -साथ हमारी बातों मे भी शामिल हो गयी ।
उस दिन हम तीन ही थे सावन का महीना था ,उमस वाली गर्मी के साथ-साथ सूर्य भगवान भी बहुत ज्यादा खुश दिख रहे थे इसलिए हमने छाता लगाया हुआ था । मै और मेरी friend ने अपना छाता share किया हुआ था ।
रेलवे लाइन पार करने का समय आ गया था । हमारी बातें चल रही थी घर मे सबको ये पता था कि हम foot over bridge से ही railway line cross करते हैं । दूर से देखा तो train आ रही थी ,देख कर ऐसा लग रहा था कि platform no 2 पर जा रही है ,हमें तो platform no 1पर जाना था ।
हम निश्चिंत हो कर railway line पार करने लगे ,लेकिन station पर आती हुयी train की गति का हमे अंदाजा भी नही होता है । हमने देखा भी नही कि कब उस train की दिशा platform no 2 से platform no 1 की हो गयी । उस लड़की ने हम दोनो को इतनी जोर से धक्का दिया कि हम railway track के दूसरी तरफ, जब तक कुछ समझ पाते और संभल पाते कि क्या हुआ ,तब तक train platform पर पहुँच चुकी थी ।
शायद कुछ मिनट तक हम चुपचाप जिस जगह पर गिरे थे, वहीं बैठे रहे हमारे दिल और दिमाग मे “आँखो के आगे अँधेरा छा जाना “, “दिन मे तारे दिखाई देना” , “जान बची तो लाखो पाये ” ,”जाको राखे साइयाँ मार सके न कोय “जैसे बहुत सारे मुहावरो के वाक्यों मे प्रयोग चल रहे थे , लेकिन मुंह से एक भी शब्द नही निकल रहे थे थोड़ी देर के बाद उठ कर लंबी लंबी साँसे लिये भगवान जी का शुक्रिया अदा किया समझ मे नही आ रहा था कि अभी जो हुआ वो क्या था । आगे कालेज जाने का फिर मन नही किया ।घर वापस पहुँच कर तबियत खराब होने का बहाना बनाकर सो गये । घर मे किसी को कुछ भी नही बताया । फिर याद आया उस लड़की को धन्यावाद तो बोला ही नही आखिर उसकी बदौलत ही तो जिंदा हैं ।
छोटे शहरों मे बातें छुपती नही है , हर समय दो चार परिचित लोग अगल बगल होते ही हैं । ये बात भी घर मे सभी को किसी तीसरे के द्वारा पता चल ही गयी । उसी दिन शाम को सख्त हिदायत मिली कि, अब से foot over bridge से ही railway line पार करनी है ।
अगले दिन कालेज जाने के लिये हम सभी फिर से निकले लेकिन मुँह बिल्कुल शांत था सोच समझ कर अपना काम कर रहा था । शायद उसे आराम की तलब हो रही थी ।रास्ते मे फिर से वो लड़की मिली हमदोनो ने एक साथ उसे धन्यवाद बोला ।
हमारे ही चिरपरिचित अंदाज मे उसने हमे जवाब दिया अरे छोड़ो न यार ! दोस्ती मे धन्यवाद किस बात का और ठहाकों के साथ हम अपने destination की तरफ चल दिये ।
जीवन का महत्व तब मालूम पड़ता है जब हमारे सामने अचानक से मौत आ कर खड़ी होती है तब समझ मे आता है कि अरे !हम तो अकेले नही हैं हमारे साथ हमारा परिवार हमारे शुभचिंतक भी हैं । अगर हमारे साथ कुछ बुरा होता है तो उसका असर सब पर पड़ेगा , और अगर आप बच गये हैं तो भगवान का शुक्रिया करना तो बनता है ।
इसीलिये हम सभी को अपने जीवन का महत्व समझते हुये Positive attitude रखना चाहिये अपने लिये भी और दूसरों के जीवन के लिये भी …..