आधुनिकता के साथ भागता हुआ महानगर और नगर ! जहाँ जीवन में सुख सुविधाओं के आकर्षण में, अनजान राहों पर आँखे बंद कर भागता हुआ दिख जाता है I वहीँ दूसरी तरफ जीवन का संघर्ष ! गावों और कस्बों के अलावा, रोशनी से जगमगाते हुए शहरों में फुटपाथों और झुग्गी झोपड़ियों में आसानी से दिख जाता है I मेरी यह कहानी गावं के गरीब परिवार के जीवन के संघर्षों पर आधारित है I जहाँ भारतीय समाज की सड़ी गली सी, सोच ! पुरुष समाज का खुद को सबसे ऊपर समझना की झलक, आसानी से दिखती हैI हमे यह सोचने पर मजबूर कर जाती है की, सरकारी फाइलों मे महिलाओं और लड़कियों को सक्षम और सशक्त बनाने वाली योजनाएं सही दिशा में जा रही हैं या नहीं ?
Choolhe Ki Roti
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