आकाश का और बदलती ऋतु का
हमेशा दिखता है अद्भुत खेल……
कभी आकाश में कुहरे का, तो कभी
बादलों का डेरा होता है…..
तो कभी शीतल हवा,तो कभी गर्म हवा ने
घेरा होता है……
दिख रहा था तरह-तरह के रंगों के साथ आकाश……
कभी नारंगी, कभी गुलाबी तो कभी
श्यामल से रंग का साथ……
परिंदों का भी चलता रहता है, आकाश में
तरह-तरह का खेल…..
ऐसा लग रहा था कि पार्क में खेलते हुए
नन्हे बच्चों के कारण ही, आकाश में भी
चहलकदमी बढ़ रही थी…..
धरा पर तो दिख रहे थे, तरह-तरह के खेल……
कहीं झूलों का साथ, कहीं बच्चों का आपसी विवाद….
तो कहीं दिख रहे थे फुटबॉल खेलते हुए नन्हे नन्हे पैर….
वहीं कुछ बच्चों के हाथों में थी विभिन्न आकार की गेंद…..
परिंदों के खेल और बच्चों के खेलों में काफी कुछ
समानता दिख रही थी……
परिंदों के खेलों के प्रकार का मैं अध्ययन करने
में तल्लीनता के साथ जुट गई…..
जल्दी ही उनके खेलों के बीच में
छुपम छुपाई, पकड़म पकड़ाई या
रिंगा रिंगा रोजेस जैसे जाने पहचाने से
खेल दिख गये….
पवन की गति के साथ कुछ परिंदे
अपने पंखों को फड़फड़ाना छोड़ कर……
हवा की गति के साथ खेलते हुए दिख रहे थे…..
दूसरी तरफ नन्हे परिंदे अपने पंखों को तीव्रता के
साथ फड़फड़ाते हुए, खेलने के फितूर में
एकाग्रता के साथ जुटे दिख रहे थे……
धीरे-धीरे दिनकर बादलों के पीछे छिपे रहा था…..
आकाश से परिंदों का झुंड पंखों को फैलाकर….
अपने अपने घोंसलों की तरफ आता हुआ दिख रहा था……
धीरे-धीरे आकाश की चहल-पहल थम गई….
लेकिन धरा पर बच्चों की उछल-कूद बढ़ गई……
रात होते ही आकाश में तारों की फ़ौज दिखी….
आकाश फिर से जीवंतता से भर गया……
क्योंकि तारों ने बच्चों के साथ प्रतिस्पर्धा के लिए
खुद को तैयार कर लिया….
धरा पर उछलते कूदते मस्ती करते हुए बच्चे…..
तारों के साथ साथ चंद्रमा को भी भा रहे थे……
इसी कारण चांद अपनी किरणों के साथ चमक रहा था…..
तारे रह रहकर जोर से टिमटिमा रहे थे….
पवन भी तारों का साथ देती हुई लग रही थी…..
अपनी गति के कारण, बादलों को आकाश में ठहरने
नही दे रही थी……
रात के आकाश की जगमगाहट और धरा पर खेलते हुए
बच्चों की खिलखिलाहट……
मन को सुकून और शांति से भर रही थी……
(सभी चित्र इन्टरनेट से)