Daily LifeMotivation ज़रा सी जुदा सी बात महिला लेखकों की रचनाओं के साथ by 2974shikhat June 10, 2019 by 2974shikhat June 10, 2019 Image Source : Google Free लेखकों की रचनाओं को पढ़ते- पढ़ते…. दिमाग मे समा गई, सीधी सादी सी बात….. महिला लेखकों की रचनाएँ होती है न ज़रा सी जुदा …. लिखने की विषयवस्तु ! तमाम बातों से जुड़ी होती हैं …. परिवार और समाज के बीच से शुभचिंतक सलाह मशवरा देते जाते हैं …. व्यस्तता वाली दिनचर्या के बीच मे…. महिला लेखकों का, उत्साह वर्धन करते जाते हैं…. घर गृहस्थी के जरूरी कामधाम बच्चों का पालन पोषण महत्वपूर्ण सी है बात…. अनेक जिम्मेदारियों के साथ कैसे हो सकती है,महिला लेखक सफल ? आधुनिक तकनीकि के माध्यम से … कैसे कर सकती है, ‘स्व सुधार’ के साथ लेखन को बेहतर ? देश और काल की जरूरत के मुताबिक तकनीकि ज्ञान जरूरी होता है …. आज का युवा और किशोर वर्ग, इसी ज्ञान से सुलझता…. तो लेखक वर्ग इसी मे, उलझता सा दिखता है …. सलाह मशवरे सोशल मीडिया के पास जाकर विश्राम करते हैं …. उनकी उपयोगिता की बात को बार बार करते हैं…. लेखकों को लेखन की गुणवत्ता के साथ… सोशल मीडिया के साथ भी सामंजस्य बिठाना पड़ता है….. जरूरी मुद्दो को, कागज पर उतारना पड़ता है…. हम भी इसी तरह के सलाह मशवरे के बीच मे…. विचारों की श्रृंखला के साथ,जुड़ रहे थे… कड़ाही मे सब्जी,कुकर मे दाल,पतीले मे चावल के साथ … चकले पर रोटी को ,उसका सही आकार दे रहे थे…. दिमाग ! सोशल मीडिया, आधुनिक तकनीकि के साथ-साथ…. खाने के स्वाद को, बरकरार रखने की बात पर केंद्रित था….. इन्हीं के बीच मे समय समय पर कलम ! कागज पर सरक रही थी …. रसोई मे खाना पकाते पकाते ..,. विचारों मे कहीं रास्ते थे,कहीं अंधड़ था ,… कहीं शांत व शीतल सा सरोवर था … कभी कोई कविता फिसल रही थी … कहीं शायरी की पंक्तियाँ निकल रही थीं … अचानक से विचारों मे, उथल पुथल सी मच गई ….. कविता और शायरी को पीछे हटा कहानी ! बीच मे ही निकल गई …. एकाग्र मस्तिष्क के साथ, ‘घ्राण इंद्रियाँ‘ सक्रिय लगी….. दाल और सब्जी के जलने की बात सामने दिखी…. कविता,शायरी,कहानी के साथ… खाने के स्वाद के बिगड़ने की बात भी दिमाग मे समा गई …. कहानी लेखन अपनी अंतिम पंक्ति के साथ कागज पर दिख रहा था…. इसी बीच दिमाग मे धड़धड़ाता हुआ लेख ! विषय के साथ प्रवेश कर रहा था….. कहानी लेखन समाप्त होते ही लेख ! कागज पर उतरने के लिए बेसब्र लग रहा था…. हमने विचारों से बाहर निकलकर… आराम करने की ठानी… दिमाग और मन की अब, कुछ समय के लिए नही चलेगी मनमानी …. घर की जरूरत के तमाम काम सामने दिख रहे थे…. बोलने लगे ,जब आप अपने लेखन के साथ होती हैं…. जरूरी कामों को बीच मे ही लटका देती हैं… मै सोचने लगी अधिकांशतौर पर…. महिला लेखकों की रचनायें कभी तो… दैनिक जीवन की आपाधापी के बीच से निकलती हैं… कभी सुकून के पलों से निकलती हैं… इसीलिए शायद ! भांति-भांति की जिम्मेदारियों को निभाती हुई महिला लेखकों की रचनायें ! ज़रा सी जुदा सी होती हैं…. AdaptationDutyEncouragementHard workHuman behaviorinspirationKitchenLearning and teachingPen and paperStruggleSuccessThoughtsWill powerWomen writer 0 comment 0 FacebookTwitterPinterestEmail 2974shikhat previous post विश्व पर्यावरण दिवस और ,वायु प्रदूषण की बात next post रेगुलेटर या नियंत्रक! You may also like पुस्तकालय August 10, 2024 बातें गुलाबी जाड़ा के साथ December 13, 2023 जय चंद्रयान 3 August 24, 2023 HAPPY NEW YEAR सुस्वागतम नववर्ष January 10, 2023 ठहरो बच्चू जी August 5, 2022 कथा सब्जियों और पोषण की अंदाज जुदा सा April 21, 2022 मान मनुहार और तक़रार March 31, 2022 होली का त्यौहार और उड़ता गुलाल March 19, 2022 नयी उमंग नया उत्साह, फिर आया नया साल January 24, 2022 Happy birthday to you,says the world December 2, 2021