“माना कि,दिल्ली शहर
दिलवालों का शहर कहलाता है…
यह “शहर ए दिल्ली”है जो
मौसम की बेरुखी के बावजूद थमता
नज़र नही आता…
सर्द मौसम के आते ही….
पहले धूल मिट्टी की चादर मे…
फिर कुहरे के लबादे से
लिपट जाता है….
हर उत्सव को उत्साह के साथ
मनाता है….
अब यूँ ही नही, दिलवालों का शहर
कहलाता है”…
दिल्ली शहर की अपनी ही ,विशेषतायें और कमियाँ हैं….
लंबे समय से दिल्ली मे रहने के कारण, और अपने विचारों को कागज पर उतारने की आदत
के कारण ही ,घर से बाहर निकलते ही मेरे अंदर की लेखिका जाग जाती है…..
इस शहर को समझने की कोशिश करते हुये ही, कुछ न कुछ लिखवा देती है…
आज की रचना के लिए सच मानिये …
या सरल शब्दों मे अगर, दिल्ली शहर को समझना है,तो….
मानव स्वभाव और दिल्ली शहर की, तुलना कर लीजिये…..
बिना आलोचनात्मक नजरिये को,अपनाते हुए….
दिल्ली शहर मे आकर खुद को सफल समझने वाले लोंग….
संघर्ष करते हुए लोगों को सलाह देते हुए,अंग्रेजी के एक शब्द का प्रयोग बहुधा करते हैं…..”कम्फर्ट जोन”….
“कम्फर्ट जोन” से बाहर निकलने के लिये प्रयास करना…
मेरे विचार से हर व्यक्ति की कम्फर्ट जोन की अपनी सीमा होती है कि,कहाँ “कम्फर्ट जोन” खत्म होता है, और कहाँ व्यक्ति का अपना खुद का दायरा शुरू होता है…..
स्वच्छंद जीवन और स्वतंत्र जीवन मे अंतर होता है ……
लेकिन ,दिल्ली शहर के इतिहास को, अगर बारीकी से पढ़ो तो “शेरदिल” शहर समझ मे आता है….
हमेशा अपने “कम्फर्ट जोन” से बाहर निकलने के लिये, संघर्ष करता नज़र आता है…..
यह बात मै नही कहती “शहर ए दिल्ली” का इतिहास कहता है……
दिल्ली शहर की ऐतिहासिक इमारतें हों या रास्ते, सभी शहर की कहानी को बोल जाते हैं…..
सामान्यतौर पर मुझे ,इस शहर की चैतन्यता भाती है…..
इंसान मोबाइल फोन और, इंटरनेट की दुनिया मे सिमटा हुआ भी,चलता फिरता आगे बढ़ता दिखता है….
अभी कुछ दिन पहले की ही तो बात है,हमारा शहर उत्साह से भरा नज़र आ रहा था…..
कहीं क्रिसमस का उत्साह था तो ,कहीं पुराने साल के साथ हँसी खुशी से जनमानस, अपना समय व्यतीत करता नज़र आ रह था…..
नये साल के स्वागत का नशा, हर तरफ दिख रहा था….
जुट गया था सारा शहर ,अपने तरीके से ,नये साल के स्वागत की तैयारी में….
शहर के चौराहे हों,रेस्टोरेंट हों,क्लब,बार,होटल,दिल्ली शहर को जोड़ते हुए राजमार्ग हों,पुरानी दिल्ली के बाजार हों,खाने पीने की चीजों के स्टाल हों,आराधना के स्थान हों…..सब उत्साह से लबरेज दिख रहे थे
कहने का मतलब, जब खुश होने का समय आता है तो यह शहर, अपनी खुशी को पूरी तरह से ,अपने अलग ही अंदाज मे बयाँ करता है…
कहीं वाद्ययंत्रों का मधुर स्वर या,संगीत की मधुर स्वर लहरी मन को भा रही थी….
कहीं कानफोड़ू संगीत के साथ, थिरकते हुये कदमों ने, नये साल का आगाज किया ….
पुराने साल मे हमने कई बार ,दिल्ली शहर की सड़कों का सफर किया…..
अपने विचारों को कविता या, कहानियों के रूप मे लिपिबद्ध किया…..
नववर्ष के आने के उत्साह को हमने “शहर ए दिल्ली” की आबोहवा मे महसूस किया…..
नये साल मे आज एक बार फिर से,दिल्ली शहर के रास्तों के साथ थी, विचारों की श्रृंखला भी हमारे साथ थी……
सुबह सुबह की कड़क सर्दी, धुन्ध के बीच मे अपने गंतव्य की दूरी के बीच मे दिल्ली शहर को फिर से महसूस किया….
मौसम हमारे दिल्ली शहर मे, अपनी ज्यादती हमेशा ही दिखाता है….
सर्दी के मौसम मे ठंडी हवा और धुंध के साथ इंसान, कपड़ों के लबादे ओढ़े नज़र आता है…
मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति ,ज्यादा कपड़ों के कारण और मोटा नज़र आता है…
फिगर के प्रति जागरूक लोंग ज्यादा परेशान नज़र आते हैं…
ये मोटे मोटे स्वेटर और जैकेट ही तो होते हैं, जो उनकी मेहनत पर पानी फेर जाते हैं….
कोई सर्द मौसम के साथ खुश, तो कोई दुखी नज़र आता है…..
कोई बहती हुई शीत लहर को कोसता,और सर्दी जुकाम से पीड़ित दिख जाता है …..
आकाश को देखा तो सूरज भी बेचैन नज़र आ रहा था….
अपनी अहमियत दिखाने की, पुरजोर कोशिश करता नज़र आ रहा था….
कहीं धूप का छोटा सा टुकड़ा, कहीं सूरज की किरणों का अपना ही नाजनखरा…
कहीं आसमान से लेकर, धरती तक घना कोहरा…..
मानना पड़ेगा दिल्ली शहर को! मौसम की बेरुखी मे भी,शहर के रास्ते चलते फिरते नज़र आते हैं ..
बिना धूम्रपान के मुँह से निकलता हुआ धुँआ,बच्चों का पसंदीदा खेल बन जाता है….
सर्द मौसम मे घर से बाहर निकलते ही सुबह की हवा में,ठेलों और गुमटियों मे पकती हुई चाय की महक,लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींच लेती है
बात “शहर ए दिल्ली” की हर मौसम मे जुदा सी होती है…..
सर्द मौसम मे ऐतिहासिक इमारतें हों ,रेलवे स्टेशन हों,या व्यापारिक प्रतिष्ठान…..
हर इमारत कुहरे की चादर ,और धुंध के पीछे से झाँकती सी दिख जाती है….
ऐसा लग रहा था मानो यह शहर बोल रहा हो!!
खत्म हो गया नववर्ष का इंतजार….
एक बार फिर से अपने पुराने ढर्रे के साथ, दिल्ली शहर अपनी रफ्तार पकड़ता दिखता है…
मौसम की बेरुखी के कारण,ज़रा सा सुस्त और अलसाये अंदाज मे, अपने सक्रिय दिन की
शुरुआत मे गति पकड़ता नज़र आता है ….
(सभी चित्र internet से )
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फिगर के प्रति जागरूक लोंग ज्यादा परेशान नज़र आते हैं.हा हा हा।
हाँ ये सच्चाई है दिल्ली शहर की…जिसे हमने अपने आसपास महसूस किया है😊