कभी कभी सोचती हूं कुछ सार्थक सा लिखने को,तब विचार भी आरामतलबी के अंदाज मे नज़र आते हैं…
तब जीवन की छोटी छोटी चीजें ही, प्रेरणास्रोत बन जाती हैं ….
हमारे दिल्ली शहर को,माना तो दिलवालों का शहर जाता है….
दिखते भी हैं लोग,जिंदादिली से अपना जीवन जीते हुए …
शायद!छोटे छोटे पलों को इकट्ठा करके….
चिंताओं और व्यस्तता को ,धूल के समान झाड़कर…
खुद मे स्फूर्ति भरने के अंदाज मे इंसान ,घर से बाहर निकलता है…..
1 comment
कभी कभी मुझे भी यही महसूस होता है,
इतना समय निकल जाने के बाद भी पराया ही लगता है।
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