Life And Its Stories
  • Motivation
  • Mythology
  • Political Satire
  • Spirituality
Life And Its Stories
  • Travel
  • Women’s Rights
  • Daily Life
  • Nature
  • Short Stories
  • Poems
  • Audio Stories
  • Video Stories
  • About Me
  • Contact
  • Motivation
  • Mythology
  • Political Satire
  • Spirituality
Life And Its Stories
  • Travel
  • Women’s Rights
  • Daily Life
  • Nature
Daily LifeShort Stories

जुबाँ समाज की

by 2974shikhat August 21, 2018
by 2974shikhat August 21, 2018

कुछ लिखने का इरादा था….

समाज की आवाज को, पढ़ने के लिये थम गयी….

समाचार पत्रों की तरफ नज़र फिर गयी….

हर जगह,आवाज ही आवाज महसूस हो रही थी…

समाचार पत्र हो, या रेडियो,या हो

दृश्य माध्यम के रूप मे टेलीविजन…..

जुबाँ का हर जगह इस्तेमाल

भरपूर होता है…..

ये जुबाँ भी हर जगह

अपनी आतुरता दिखाती है….

कहीं कहीं ही शांत होकर

आराम तलबी के अंदाज मे नज़र आती है….

बात हमारी मानो या न मानो….

जुबां होती है…..

पहले दर्जे की लड़ाकू….

पहले दर्जे की चटोरी…..

बात बात पर फिसलती…..

बात बात पर राज उगलती……

उगलने के बाद मे संभलती…..

सामान्यतौर पर चाटुकारिता को पहचानती…..

हाजिर जवाबी को भी मानती…..

सीधी सादी बात पर अकड़ती…..

समाज मे यहाँ वहाँ जहाँ तहाँ दिखती झगड़ती…..

तमाम तरह के चोंचले….

जुबाँ के माध्यम से ही चले…

Expression

जुबाँ होती है जुझारू…..

रणभूमि मे तो उतारो…..

क्या कतरनी जैसी चलती है…..

सामने वाले के शब्दों को

मैदान मे उतरने से पहले ही कतरती है……

इसका तो बस एक ही फलसफा….

अपना दिल और दिमाग फूल सा हल्का…

दूसरे के दिलोदिमाग पर मनो कचड़ा…..

जुबाँ की अपनी ही चाल है…..

सामान्यतौर पर जुबाँ के कारण ही

अधिकांशत: समाज का यह हाल है…..

किसी का चेहरा इसी के कारण खिला…..

किसी का चेहरा इसी के कारण बुझा…..

कोई विस्मय के साथ खड़ा…

किसी ने जुबाँ को बहला फुसला लिया…..

अपना सच्चा दोस्त बना लिया….

किसी ने जुबाँ के द्वारा ही, अपना दायरा बढ़ा लिया…..

किसी ने इसी के कारण खुद को, निश्चित दायरे मे समेट लिया….

बड़े बड़े काम कर जाती…..

कहीं अराजकता फैलाती…..

तो कहीं शांति की बात कह जाती….

जब आती स्वाद की बारी…

चटोरेपन की बेकरारी…..

इसी ने ली शरीर और स्वास्थ को

बिगाड़ने व सुधारने की जिम्मेदारी……

जुबाँ और दिमाग का जब तक

नकारात्मक या सकारात्मक मेल है…..

समाज का बनना और बिगड़ना….

सच मानो तो…..

काफी हद तक….

जुबाँ का ही खेल है…..

AdaptationConversationExpressionHuman behaviorLanguagesocietySoundThoughtsWriting
0 comment
0
FacebookTwitterPinterestEmail
2974shikhat

previous post
विराट व्यक्तित्व, अटल जी को “श्रद्धांजलि”
next post
बेटियाँ कोमल एहसास

You may also like

कथा महाशिवरात्रि की

February 25, 2025

माँ अब नही रहीं

February 13, 2025

सैरऔर चिर परिचित चेहरे

February 4, 2025

बदलेगा क्या हमारा शहर ?

January 23, 2025

समझो तो पंक्षी न समझो तो प्रकृति

October 26, 2024

पुस्तकालय

August 10, 2024

लोकगाथा के साथ सोन और नर्मदा नदी (भाग...

April 23, 2024

लोक गाथा के साथ सोन और नर्मदा नदी

April 3, 2024

बातें गुलाबी जाड़ा के साथ

December 13, 2023

जय चंद्रयान 3

August 24, 2023

0 comment

Manisha Kumari August 31, 2018 - 12:48 pm

बिल्कुल सहमत हूं , आपकी बात से।

About Me

About Me

कहानी का दूसरा पहलू मेरी दुनिया में आपका स्वागत है

मेरे विचार, और कल्पनाएं… जीवन की छोटी-छोटी बातें या चीजें, जिनमे सामान्यतौर पर कुछ तो लिखने के लिये छुपा रहता है… एक लेखक की नज़र से देखो तब नज़र आता है … उस समय हमारी कलम बोलती है… कोरे कागज पर सरपट दौड़ती है.. कभी प्रकृति, कभी सकारात्मकता, कभी प्रार्थना तो कभी यात्रा… कहीं बातें करते हुये रसोई के सामान, कहीं सुदूर स्थित दर्शनीय स्थान…

Popular Posts

  • 1

    The story of my Air conditioners

    September 10, 2016
  • 2

    विचार हैं तो लिखना है

    October 4, 2020
  • 3

    उत्तंग ऋषि की गुरुभक्ति (भाग1)

    November 11, 2020
  • PODCAST-जंगल का साथ बहुत सारी बात

    October 13, 2017
  • 5

    “कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत सारी शुभकामनायें”

    August 12, 2020

Related Posts

  • कथा महाशिवरात्रि की

    February 25, 2025
  • माँ अब नही रहीं

    February 13, 2025
  • सैरऔर चिर परिचित चेहरे

    February 4, 2025
  • बदलेगा क्या हमारा शहर ?

    January 23, 2025
  • समझो तो पंक्षी न समझो तो प्रकृति

    October 26, 2024

Keep in touch

Facebook Twitter Instagram Pinterest Youtube Bloglovin Snapchat

Recent Posts

  • The story of my Air conditioners

  • कथा महाशिवरात्रि की

  • माँ अब नही रहीं

  • सैरऔर चिर परिचित चेहरे

  • बदलेगा क्या हमारा शहर ?

  • समझो तो पंक्षी न समझो तो प्रकृति

  • पुस्तकालय

Categories

  • All (211)
  • Audio Stories (24)
  • Daily Life (135)
  • Motivation (47)
  • Mythology (16)
  • Nature (33)
  • Poems (61)
  • Political Satire (2)
  • Short Stories (184)
  • Spirituality (20)
  • Travel (25)
  • Women's Rights (8)
  • Facebook
  • Twitter
  • Instagram

@2019-2020 - All Right Reserved Life and It's Stories. Designed and Developed by Intelligize Digital India