Short StoriesSpirituality संकटमोचन वीर हनुमान स्वीकारो हमारा प्रणाम by 2974shikhat March 30, 2018 by 2974shikhat March 30, 2018 संकट के समय ध्यान में आते हैं हमेशा “संकटमोचन हनुमान”……. हनुमान जयंती के अवसर पर क्यूं न स्मरण किया जाये “पवन पुत्र” का नाम और काम…… “महावीर विक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी” बाल मन का कौतूहल और चंचलता बाल हनुमान में भी दिखता है……. निर्भीकता व अनुसंधान की जिज्ञासा से पवन सुत का बाल रूप भी सजता है……. आकाश में दिखते हुए लाल रंग के “भास्कर” बाल हनुमान को आकर्षक लगे….. लाल रंग का फल समझ हनुमान जी अपने मुंह में लिये फिरते दिखे……. “बाल समय रवि भक्षी लियो तब तीनहुं लोक भयो अंधियारो, ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सो जाता न टारो” Image Source : Google Free छा गया तीनों लोक में धुप्प अंधेरा…… बाल हनुमान की चंचलता और जिज्ञासा ने देवताओं के चैन को भी हर लिया…… दंड स्वरूप इंद्र के वार से निस्तेज हुए…… प्रतिशोध के कारण पवन देव ने वायु के वेग को रोक दिया….. तीनों लोक में त्राहि त्राहि मच गया….. पौराणिक कहानियों के अनुसार….. हनुमान जी की बालपन की चंचलता ने देवताओं के बीच में भी द्वन्द करा दिया….. ब्रह्मा जी के स्पर्श से चैतन्य हुए….. सभी देवताओं के आशिर्वाद से परमशक्तिशाली बने….. अपनी शक्ति को हमेशा भगवान की कृपा माना….. इसीलिए अभिमान को कभी नही स्वीकारा…… “शिवावतार” और “रुद्रावतार” भी इन्हें माना जाता है….. अनेक गुणों की खान….. राजदूत,नीतिज्ञ और विद्वान….. रक्षक,गायक,नर्तक,वक्ता और बलवान…… वाल्मीकि रामायण में हनुमान जी का संवाद कौशल हमेशा यह कहता है……. सामर्थ्य ही केवल जीत का होता नही है आधार…… विनम्रता और बुद्धि से भी किये जा सकते हैं सुगमता से सारे कार्य…… पवन सुत की आराधना संकटों को हरने के लिए सारा लोक करता है…… भगवान राम के लौकिक जीवन के संकट को हरने का श्रेय भी संकट मोचन को मिलता है…… महावीर हनुमान का चरित्र दृढ़ता से यह बात कहता है कि…. आराधना सिर्फ दिखावे के लिए नही की जाती……. सच्ची आराधना और प्रार्थना मन की शक्ति को बढ़ाती है….. और यही मन की शक्ति विशाल समुद्र को भी सहजता से पार कराती है…… आराधना और प्रार्थना हमेशा मन को शक्तिशाली बनाने की मूलभूत जरूरत है…… Image Source : Google Free वाल्मीकि रामायण के अनेक प्रसंग हनुमान जी के निपुण मनोवैज्ञानिक होने की बात बोलते हैं…… “इंद्रियजीत” होने के कारण “इंद्रजीत” को भी पराजित करते हैं…… “संगीत पारिजात”हनुमान जी के संगीत सिद्धांत पर आधारित है…… वाल्मीकि रामायण से पहले ही हनुमान जी ने शिला पर रामायण लिखी थी…… “हनुमन्नाटक” के नाम से हनुमान जी की रामायण प्रसिद्ध है….. पवनपुत्र का चरित्र उत्तम है….. “मंदबुद्धि जानके क्षमा करो गुणखान संकटमोचन क्षमहु मम दास स्नेही कल्याण” AsthabhaktiDutyExpressionHanuman JayantiinspirationPrayerRamcharitmanas 0 comment 0 FacebookTwitterPinterestEmail 2974shikhat previous post मानव स्वभाव और रिश्ते नातों की डोर next post शहर हैदराबाद, नफ़ासत,जायके और इतिहास के साथ You may also like समझो तो पंक्षी न समझो तो प्रकृति October 26, 2024 पुस्तकालय August 10, 2024 लोकगाथा के साथ सोन और नर्मदा नदी (भाग... April 23, 2024 लोक गाथा के साथ सोन और नर्मदा नदी April 3, 2024 बातें गुलाबी जाड़ा के साथ December 13, 2023 जय चंद्रयान 3 August 24, 2023 प्रकृति का सौम्य या रौद्र रूप और सावन... August 5, 2023 कहानी मोती की January 12, 2023 HAPPY NEW YEAR सुस्वागतम नववर्ष January 10, 2023 ठहरो बच्चू जी August 5, 2022