संकट के समय ध्यान में आते हैं हमेशा
“संकटमोचन हनुमान”…….
हनुमान जयंती के अवसर पर क्यूं न स्मरण
किया जाये “पवन पुत्र” का नाम और काम……
“महावीर विक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी”
बाल मन का कौतूहल और चंचलता
बाल हनुमान में भी दिखता है…….
निर्भीकता व अनुसंधान की जिज्ञासा से
पवन सुत का बाल रूप भी सजता है…….
आकाश में दिखते हुए लाल रंग के “भास्कर”
बाल हनुमान को आकर्षक लगे…..
लाल रंग का फल समझ हनुमान जी
अपने मुंह में लिये फिरते दिखे…….
“बाल समय रवि भक्षी लियो तब
तीनहुं लोक भयो अंधियारो,
ताहि सों त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सो जाता न टारो”

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