Short StoriesTravel नगर उज्जैन नाम अनेक by 2974shikhat February 26, 2018 by 2974shikhat February 26, 2018 ऐ मंदिरों की नगरी उज्जयिनी! तुम्हें शत् शत् प्रणाम…. क्या लूं, ऐ स्वर्गखण्ड उज्जयिनी! तुम्हारा नाम…… अवंति,कुशस्थली, अवंतिका, कनकश्रृंगा,विशाला प्रतिकल्पा, पद्मावती या सिर्फ उज्जैन ही लेकर बुलाऊं तुम्हारा नाम…. तुम्हारा हर नाम तुम्हारी ऐतिहासिक महत्व की बात कहता जाता है….. कुछ भी लूं मैं तुम्हारा नाम, तुम्हारे नाम लेते ही सर्वप्रथम सामने आते हैं, “साक्षात महाकाल”….. ऐसी मान्यता है कि,भौगोलिक दृष्टिकोण से पृथ्वी भी महाकाल को अपने नाभिस्थल में लेकर बैठी हुई है….. कराते रहते हैं जो तरह-तरह के रूप के साथ अपना साज और श्रृंगार……. शिवपुराण के अनुसार भस्म ही सृष्टि का सार है….. महाकाल श्मसान के साधक हैं….. इसीलिए भस्म आरती से ही कराते हैं अपना प्रथम श्रृंगार…… Image Source : Google Free भव्य और दक्षिणामुखी होने के कारण इनकी पुण्यदायी महत्ता है….. प्रवेश करते ही इस पवित्र नगरी में अद्भुत एहसास होता है…… ज्योर्तिलिंग महाकाल के अलावा आध्यात्मिकता के भाव को जगाती हुई शिप्रा नदी के कल कल का स्वर मन को शांत करता है….. “ग्रीनविच आफ इंडिया” भी तो तुम्हारा ही एक नाम है प्राचीन काल से ही उज्जयिनी,ज्योतिष और खगोल विज्ञान की पहचान है….. Image Source : Google Free सम्राट विक्रमादित्य और विक्रम संवत इसी पुरातन नगरी से जुड़ा है…… विक्रमादित्य के रत्नों में शामिल….. महान खगोलविद वाराहमिहिर के प्रति सम्मान दिखाता हुआ भी यह नगर दिख जाता है…… Image Source : Google Free रत्नों की बात आते ही महाकवि कालिदास अपने महाकाव्य अभिज्ञान शाकुन्तलम और मेघदूत के माध्यम से उज्जयिनी के गौरवशाली वैभव का वर्णन करते नजर आते हैं….. महाकवि कालिदास ने दुनिया के सारे रत्नों को उज्जैन में बताया है….. Image Source : Google Free दूसरी तरफ रचनाकार बाणभट्ट ने उज्जैन को जादू नगरी बताया है….. अविरल बहती हुई शिप्रा नदी शताब्दियों से उज्जैन के इतिहास की साक्षी है….. कितने साम्राज्यों का यहां उदय और पतन होते हुए दिखता है…. इतिहास के पन्नों के अनुसार अशोक के बाद उज्जयिनी ने लंबे समय तक अनेक सम्राटों का उतार चढ़ाव देखा है….. मुगल काल में मुगलों ने उज्जैन नगरी को लूटा और प्राचीन मंदिरों के वैभव को भी नष्ट किया…. सिंधिया वंश ने अट्ठाहरवीं शताब्दी में जाकर महाकालेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार किया…… वैसे तो यह नगरी शैव मत का केन्द्र मानी जाती रही है….. लेकिन यहां पर मिली मुद्रायें वैष्णव मत की बात भी कहती जाती है….. मराठों ने उज्जैन नगर के गौरव और वैभव का विस्तार किया…. सिंहस्थ पर्व की स्थापना और महाकाल मंदिर का फिर से निर्माण किया….. शिप्रा नदी के किनारे स्थित कालियादह पैलेस फारसी वास्तुकला का शानदार नमूना है……. बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार की बात भी यह प्राचीन नगर कहता है……. इतनी पुरानी और आध्यात्मिक नगरी….. श्री चिंतामन गणेश, हरिसिद्ध मंदिर,काल भैरव मंदिर, मंगलनाथ मंदिर जैसे अनेक मंदिरों से सजी हुई रहती है…… पर्यटकों के लिए उज्जैन हमेशा से पसंदीदा शहर रहा है…… इस नगर को आध्यात्मिक नगरी के साथ सांस्कृतिक नगरी का नाम देना भी बनता है…… खाने की तो मत पूछो बात….. मालवी व्यंजन के साथ, आप को यहां मिलेगा…. दक्षिण भारतीय और गुजराती व्यंजनों का स्वाद…… यहां आया हर इंसान भक्ति, आध्यात्म, रोमांच, ज्योतिष खगोल, तंत्रसिद्धि जैसी तमाम विविधताओं को देखकर….. अपने चेहरे को आश्चर्य के भाव से सजाता हुआ दिख जाता है……. Indian society and cultureMahakalSinghastha Kumbh MelaspiritualityTravelUjjain 0 comment 0 FacebookTwitterPinterestEmail 2974shikhat previous post कलम के साथ समाज next post अवनि चतुर्वेदी के साथ बेटियों की हौसलों की उड़ान You may also like समझो तो पंक्षी न समझो तो प्रकृति October 26, 2024 पुस्तकालय August 10, 2024 लोकगाथा के साथ सोन और नर्मदा नदी (भाग... April 23, 2024 लोक गाथा के साथ सोन और नर्मदा नदी April 3, 2024 बातें गुलाबी जाड़ा के साथ December 13, 2023 जय चंद्रयान 3 August 24, 2023 प्रकृति का सौम्य या रौद्र रूप और सावन... August 5, 2023 कहानी मोती की January 12, 2023 HAPPY NEW YEAR सुस्वागतम नववर्ष January 10, 2023 ठहरो बच्चू जी August 5, 2022