November 23, 2017
रास्तों के मकड़जाल मे राही को देखा ……
डगमगाता हुआ सा चला जा रहा था…..
राह मे आगे बढ़ा जा रहा था….
पथरीले से रास्ते को अपनाया था…..
काँटों और कंकड़ों को पैरों मे चुभोया था…
रास्ता था अनजाना सा ज़रा सा डरावना सा….
काली घटाओं ने आकाश को घेरा था…
तूफानों का हवा मे बसेरा था…
दिमाग को कुछ बूझ नही रहा था….
राही को कोई रास्ता सूझ न रहा था….
इन्हीं मुश्किल राहों पर हो गया राही का
ठोकरों से सामना…..