Soorajkund festival is all about spreading positivity
रहता नही है वहाँ कोई अकेला ।
दिखती है रंगबिरंगी दुकान ।
वो देखो दिख गयी पकवान की दुकान ।
कितनी मस्ती मे है बच्चों का रेला ।
वो देखो सज गयी है चौपाल ।
करने को मनोरंजन तरह तरह की चीजें दिखी ।
वो देखो कच्ची मिट्टी से एक घड़ा बना ।
रहती है जब गीली मिट्टी तभी उसे ढालो ।
होता है बचपन भी गीली मिट्टी के ही जैसा ।
बालपन का हट मुझे तो बड़ा भाता है ।
बचपन मे तो हम सभी मेले मे जाते थे ।
कितने प्यारे-प्यारे रंग चारो तरफ बिखरे ।
रंगो का बड़ा प्यारा सा समागम यहाँ ।
वो देखो दिख गया स्वांग रचाया हुआ इंसान ।
वो देखो वो रहे तरह तरह के झूले।
previous post
0 comment
very beautiful description
Thanx😊
Poetic..very well explained.
Thanx 😊👍
मुझे भी सूरज कुंड जाने का मन है. आपके ब्लॉग ने काफी झलक दिखला दी. बहुत अच्छा लग.
धन्यवाद 😊ऐसी जगहों पर तो जाना हमेशा बनता है ,जहाँ हमारी संस्कृति का प्रतिबिम्ब दिखता है ।
Mrs vachaal has become Mrs kawyitri.great going.
Hahaha 😊thanx Manisha
Good
Thanx 😊