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Soorajkund festival is all about spreading positivity 

by 2974shikhat February 6, 2017
by 2974shikhat February 6, 2017

“The Soorajkund festival is a great place to spread positivity by colour and fun”

कल मै भी गयी थी सूरजकुण्ड हस्त शिल्प मेले  में, इसी मेले के बहाने से मैने सूरजकुण्ड को भी देखा ।

राजा अनंगपाल सिंह तोमर के नगर अनंगपुर मे स्थित इस कुण्ड में ,अब पानी का अभाव है  लेकिन फिर भी क्या मायावी दिखता है सूरजकुण्ड ।
सुना था कि राजा अनंगपाल खुद यहाँ, सूर्य भगवान की आराधना करने आया करते थे
हजारों साल पुराना इतिहास है इस कुण्ड का।
मेला परिसर मे घुसते ही भारी भीड़ का सामना करना पड़ा । एकबार मन किया वापस लौट चलूं , फिर मन ने कहा चलो देख ही लेते हैं मेला । बचपन मे अपने परिवार के सदस्यों के साथ , प्रयाग मे माघ मेले का आनंद लिया करती थी ।
बचपन की बातें आपके मन मस्तिष्क मे एक अमिट छाप छोड़ देती है, मै भी इस मेले को उसी मेले से जोड़ रही थी । मेला परिसर मे घुसते ही हाथ के बाँयी तरफ बड़े बड़े झूले लगे हुये दिखायी दिये ।

Spread Positivity

रंगबिरंगी झालर , कागज को काटकर बनायी गयी आकृतियां , जिन्हें पेड़ या खंबों के सहारे लटकाया गया था । इन सभी चीजों ने मन को उत्साहित करना शुरू कर दिया । तभी दिख गये राणा प्रताप के  वंशज बंजारे गड़िया लोहार जाति के लोग । उनकी रंगबिरंगी बैलगाड़ी लोगों को आकर्षित कर रही थी। जिसके सामने खटिया पर बैठे बच्चे सामने रखा हुआ हुक्का कुछ अलग ही कहानी बताते हैं । इस जाति के लोगों का चित्तौड़ के प्रति समर्पण ,उनका अगाध प्रेम और प्रतिज्ञा उन्हे औरो से अलग बताती है ।

Spread Positivity

जगह जगह बज रहे नगाड़ों का शोर  ,मन को खुश कर रहा था । चौपाल पर होने वाली सांस्कृतिक गतिविधियाँ लोगों को उत्साहित कर रही थी । कई बच्चे अपने माँ-बाप से बिछड़ रहे थे । छोटे बच्चे कितने मासूम होते हैं न ,उन्हें पता भी नही होता जिन अनजानो की ऊंगली पकड़ कर वो आगे बढ़ रहे हैं , पता नही वो कैसे हैं ।
तभी एक नन्हे बच्चे ने मेरे
हाथ को भी कस कर पकड़ लिया ।

ये सब सोचते-सोचते शायद कविता बन गयी

कितना प्यारा होता है मेला ।

                         बड़ा मजेदार होता है मेले का रेला ।

                रहता नही है वहाँ कोई अकेला ।
होता नहीं है वहाँ ज्यादा झमेला ।

                दिखती है रंगबिरंगी दुकान ।
मिलते हैं तरह तरह के सामान ।

                वो देखो दिख गयी पकवान की दुकान ।
अरे ! तू क्या ढूँढ रहा है इंसान ।

                 कितनी मस्ती मे है बच्चों का रेला ।
चाहिये होता है उन्हें भी घूमना अकेला ।

                 वो देखो सज गयी है चौपाल ।
चलती है वही से तो बदलाव की बयार ।

                 करने को मनोरंजन तरह तरह की चीजें दिखी ।
देखते ही देखते कुछ और भी दुकानें सजी ।

Spread Positivity

वो देखो कच्ची मिट्टी से एक घड़ा बना ।
बड़ी अच्छी सी बात हमे सिखा गया ।

                  रहती है जब गीली मिट्टी तभी उसे ढालो ।
अच्छे इंसान को  भी ऐसे ही बना लो ।

                 होता है बचपन भी गीली मिट्टी के ही जैसा ।
बच्चों को जैसा ढालोगे बनेगा वो भी वैसा ।

                 बालपन का हट मुझे तो बड़ा भाता है ।
कुछ भी  कहो इसी बहाने कान्हा जी की याद दिलाता है ।

                  बचपन मे तो हम सभी मेले मे जाते थे ।
आज मेले मे जाकर , वापस बचपन को लाते हैं ।

                  कितने प्यारे-प्यारे रंग चारो तरफ बिखरे ।
इन्हे देखकर हमारे चेहरे तो खिले ।

                  रंगो का बड़ा प्यारा सा समागम यहाँ ।
दिखता है मौसम का मतवालापन भी यहाँ ।

                   वो देखो दिख गया स्वांग रचाया हुआ इंसान ।
हम सब के भीतर भी तो है स्वांग सजाया हुआ इंसान ।

                  वो देखो वो रहे तरह तरह के झूले।
आओ चलो जरा हम भी तो झूले ।

मेला देखने के बाद हमारी उत्सुकता ,हमे सूरजकुंड को देखने के लिए प्रेरित करने लगी। कुंड के पास पहुंचकर कुछ देर सीढ़ियों पर बैठने के बाद हमने वापस लौटने का निर्णय लिया। राजा अनंगपाल सिंह तोमर के समय के सूरजकुंड में अब जल का अभाव हैc
सारे रास्ते मन उत्साह से भरा रहा ,सही में इस तरह की जगह चाहे वो मेले के रंग हो या सूरजकुण्ड ,मन को Positivity से भर देते हैं ।बाहर निकल कर थोड़ा घूमने की जरूरत होती है ।
Incredible IndiaIndian society and cultureSoorajkund MelaSpreadPositivity
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2974shikhat

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0 comment

suman mishra February 7, 2017 - 3:35 am

very beautiful description

Mrs. Vachaal February 7, 2017 - 11:20 am

Thanx😊

Delhi Nomad February 7, 2017 - 3:43 pm

Poetic..very well explained.

Mrs. Vachaal February 7, 2017 - 5:46 pm

Thanx 😊👍

Rekha Sahay February 11, 2017 - 4:35 am

मुझे भी सूरज कुंड जाने का मन है. आपके ब्लॉग ने काफी झलक दिखला दी. बहुत अच्छा लग.

Mrs. Vachaal February 11, 2017 - 4:41 am

धन्यवाद 😊ऐसी जगहों पर तो जाना हमेशा बनता है ,जहाँ हमारी संस्कृति का प्रतिबिम्ब दिखता है ।

Manisha February 13, 2017 - 2:05 pm

Mrs vachaal has become Mrs kawyitri.great going.

Mrs. Vachaal February 13, 2017 - 2:26 pm

Hahaha 😊thanx Manisha

UK mishra February 15, 2017 - 3:28 pm

Good

Mrs. Vachaal February 15, 2017 - 6:07 pm

Thanx 😊

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कहानी का दूसरा पहलू मेरी दुनिया में आपका स्वागत है

मेरे विचार, और कल्पनाएं… जीवन की छोटी-छोटी बातें या चीजें, जिनमे सामान्यतौर पर कुछ तो लिखने के लिये छुपा रहता है… एक लेखक की नज़र से देखो तब नज़र आता है … उस समय हमारी कलम बोलती है… कोरे कागज पर सरपट दौड़ती है.. कभी प्रकृति, कभी सकारात्मकता, कभी प्रार्थना तो कभी यात्रा… कहीं बातें करते हुये रसोई के सामान, कहीं सुदूर स्थित दर्शनीय स्थान…

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