हम सभी के जीवन मे बहुत सारी बातें ऐसी होती है…जो हमारे जीवन का आधार होती हैं..उन अनुभवो के आधार पर आप अपना जीवन Positive रखने का प्रयास करते है… बचपन की धुन्धली यादें हमेशा हमे तरोताजा करती हैं…भाई बहनो और परिवार केअन्य सदस्यों के साथ
कीbonding जीवन के हर पड़ाव पर हमारे साथ होती है …The bonds among siblings take us far in life.
आज के समय मे तो गांव भी इतने सरल नहीं रह गये लेकिन फिर भी महानगरो की तुलना मे तो काफी सरलता है वहाँ की आबोहवा मे …
हमारे आँगन मे एक शहतूत का पेड़ होता था झाड़नुमा उसके आसपास आम और जामुन के पेड़………हमारे आँगन के शहतूत का स्वाद आज भी मेरी जीभ मे है ……. बचपन की दादी के घर की सारी मस्ती याद आती है तो …..उस आँगन और जगह-जगह लगी चोटो की भी याद दिलाती है….
सामान्यतौर पर गाँव मे घरो मे दो तरह के खुले परिसर होते हैं ……एक तो आँगन होता है और एक अहाता होता है…. जो बाहरी परिसर होता है वहाँ दुनिया जहान की राजनीतिक बाते पूरे जोश के साथ परवान चढ़ती भी थी और उतरती भी थी ……
अंदर वाले आँगन मे एक कुआँ होता था……उसके अंदर झाँकने पर ऐसा लगता था कि वो आपको अपने अंदर खींच लेगा …..अंदर झाँकने पर Negativity आती थी लेकिन जब बाल्टी में पानी ऊपर आता था तो Positivity आती थी…..पता नहीं पानी के जितने भी स्रोत होते है वो चाहे नदी हो तालाब ,समुद्र ,कुआँ या झील सारे मुझे सूर्य की रोशनी मे Positivity से भरे हुये दिखायी देते हैं लेकिन रात में भयावह दिखते हैं……
आज भी अगर किसी कुएँ के अंदर झाँकती हूँ तो वही वाला एहसास होता है…… बच्चों का कुएँ के पास जाना वर्जित होता था……हम भाई बहनो मे से कइयो ने कई थप्पड़ खाये हुये हैं कुएँ मे झाँकने को लेकर ….
अंदर वाले आँगन मे पानी के लिए हैण्डपंप होता था…..जिसमे से पानी निकालना बच्चों के लिए मनोरंजन के साथ-साथ मजेदार खेल भी होता था …..कितना जमा -जमा कर पाँव रखना पड़ता था, हमे हैण्डपंप वाले इलाके में …..
क्या मजेदार स्केटिंग जमी हुई काई कराती थी …हल्दी प्याज का कटोरा हर समय हमारी दादी तैयार रखती थी…..मुझे आज तक समझ मे नहीं आया हर समय उस जगह पर इतनी फिसलन क्यूँ बनी रहती थी….क्या लोग स्केटिंग करते होंगे जैसे हम उस पर फिसला करते थे…
हमारे पहुँचते ही जोर-जोर से ऐलान हो जाता था…जो शहरी बच्चे गर्मी की छुट्टीयाँ बिताने दादी के घर आये हैं….कृपया वो हैण्डपंप वाले एरिया से दूर रहे,नहीं तो गंभीर चोट लगने की संभावना है…
हमारी दोपहर उन्ही पेड़ों के नीचे गुजरा करती थी….आज सोचो तो चेहरे पर मीठी सी मुस्कान आती है ….गर्मी मे हमारे बिजली के बिल सारी लिमिट पार कर जाते हैं …बिजली का बिल देखकर सिर पकड़ कर बैठना पड़ता है …पता नहीं कितना तापमान हम गर्मी की दोपहर मे झेल जाया करते थे ।sun burn और complexion का ख्याल भी दिमाग मे नहीं होता था .
मेरे छोटे भाई ने सब को ये बात बता दी थी कि मेरे पापा बहुत डरपोक है …क्योंकि हम तो आँधी चलने पर बगीचे मे आम बीनते हैं और शहर मे पापा जल्दी -जल्दी सारे खिड़की दरवाजे बंद करवाते हैं….
घर के अंदर से सख्त हिदायत हाई कमान (दादी) के द्वारा दी जाती थी….कोई बच्चा जामुन के पेड़ पर झूला नहीं डालेगा , क्योंकि जामुन की शाखाएं सबसे कमजोर होती हैं…. वो झूले पर चढ़े बच्चों का बोझ उठाने मे अक्षम होती हैं ….सख्त हिदायत को दरकिनार कर हमने कई बार डाला था झूला जामुन के पेड़ पर …दूसरे भाई या बहन ने बोला और तेज, और तेज हमें पता नहीं इसके बाद झूला कहाँ गया , लेकिन जब आँख खुली तो एक और भाई या बहन के साथ खटिया के ऊपर घायल अवस्था मे पड़े हुए मिले…
दादी के हल्दी प्याज के लेप का सदुपयोग हुआ होता था ,उन्ही की धुली हुई पुरानी साड़ी की पट्टी बांध दी जाती थी …गाल के ऊपर हल्का सा खिंचाव महसूस होता था क्योंकि आँसू सूख चुके होते थे…सूखे हुए आँसू किस दिशा मे बहे होते थे वो रास्ता भी गालों के ऊपर दिखाई देता था…परिवार के सारे सदस्यों की सहानुभूति उस बच्चे के पास तब तक रहती थी जब तक कोई दूसरा बच्चा घायल नहीं होता था…
बाहरी परिसर मे नीम के पेड़ होते थे …बड़ा सा एक कोल्हू भी था , जिससे गन्ने की पेराई (रस निकालना ) होती थी … एक नीम का पेड़ तो बहुत बड़ा था …उसकी शाखाएं बहुत नीची होती थी …बड़ा सम्मानजनक व्यवहार होता था हमारा उस नीम के पेड़ के लिये…कोई घमंड नहीं शाखाओं मे कोई दुर्बलता नही , कड़वेपन की प्रवृत्ति के बाद भी नीम का पेड़ काफी positive रहता था …इतनी सशक्त शाखायें की एक साथ 3या4 झूले का बोझ उठाने मे सक्षम…
अपनी शाखाओं को इतना नीचा रखता था कि हम आसानी से उसपर चढ जाया करते थे …उसकी शाखाओं को देखकर ऐसा लगता था मानो अपने बाजुओं को फैलाकरकह रहा हो…..मेरे पास आओ यहाँ पर सुरक्षित हो तुम सब ….हम आराम से उसकी शाखाओं पर चढ़कर ऊपर तक पहुंच जाते थे…वापस नीचे उतरने मे थोड़ा डर लगता था लेकिन एक या दो बार उसके बाद अभ्यस्त हो जाते थे ..
एक बड़ा सा पेड़ अपने अंदर कितनी सारी चीजों को लेकर रहता है. . .अगर आप बड़े पेड़ को ध्यान से देखेंगे तभी समझ आयेगा…कितने तरह के कीड़े मकोड़ो, चिड़िया, गिलहरियों का आशियाना रहता है पेड़ पर….अपनी छाँव के नीचे कितने प्राणियों को सुरक्षित महसूस कराता है ….हर किसी का जीवन तकलीफों और व्याधियों से भरा होता है …लेकिन हर प्राणी येन केन प्रकारेण अपना जीवन Positivity से जीता है ….
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Thank you for reading this post, दोस्तों