हम सभी का सपना होता है कि हमारा अपना घर हो I घर में सुख सुविधा का सामान हमारी आर्थिक क्षमता के हिसाब से हो I अगर आप को अपने घर और, उसमे रखे हुए सामान से प्यार और जुड़ाव है I तब आप उन वस्तुओं को निर्जीव वस्तुयें न मानकर, जीवित प्राणी समझेंगेI और तभी आप ये समझ पायेंगे कि भावनायें, केवल सजीव वस्तुओं मे ही नहीं होती, बल्कि निर्जीव वस्तु मे भी होती है I
“So, what I am trying to say is that there is life even in so called “lifeless forms”.
निर्जीव कही जाने वाली चीजें भी अपनी खुशी अपना गुस्सा प्रकट करती हैंIइसके लिये आपको उनके व्यवहार को सूक्ष्म तरीके से देखना होगा Iइनमे भी Positivity और Negativity दोनो विद्यमान रहते हैं I सौतिया डाह (जलन) के बारे मे जानते हैं क्या आप ?ज्यादातर यह शब्द पुराने समय मे , मनुष्यों और जानवरों में स्त्रीलिंग समुदाय में ज्यादा प्रचलित था I
लेकिन अब समाज में पुलिंग समुदाय मे भी यह भाव, प्रमुखता से दिखाई देता है I इसी तरह के समाचार से हमारे News paper भरे रहते है। इधर उधर की बात पीछे छोड़िये ,अब ये गुण हमारे घर के कई सामान में भी देखने को मिलता है I
पहले मेरे पास केवल एक ही ए सी हुआ करता था I बहुत सिरचढ़ा और नकचढा ए सी हो गया था I घर का हर सदस्य और मेहमान , उसके पास बैठकर अपनी सारी बातें किया करते थे I महत्वपूर्ण महसूस करता था वो अपने आप को ! धीरे-धीरे अभिमान के आगोश मे समा गया और Negativity का समावेश हो गया उसमे I
उसके इसी व्यवहार के कारण बिजली का बिल बढ़ा हुआ आने लगा I
बीते से बीते साल हमने एक नया ए सी , दूसरे कमरे मे लगवा लिया Iअपनी महत्ता कम होते देख , पहले वाले ए सी ने घेवर खाने वाले उमस वाले मौसम में अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिये I पहले तो इस बात पर गुस्सा हुआ कि, मेरे पास तो एक भी स्टार नहीं है ,और आपने इसे तीन-तीन स्टार के साथ क्यूँ खरीदा ?
उसके बाद रोते -रोते अजीब सी आवाज निकालने लगा I बिल्कुल वैसे ही जैसे छोटे बच्चे करते हैं I एक को महत्व दो तो दूसरा , अपनी ओर ध्यान खींचने की कोशिश करता है I मैने प्यार से पूछा तुम्हारी परेशानी क्या है बताओ तो ? जब तक बताओगे नहीं तुम्हारा इलाज कैसे करवाऊँगी I
सर्विसिंग करवाकर हल्का -फुल्का इलाज करवाने के बाद थोड़ा सही हुआ I लेकिन काम करते समय अभी भी ऐंठा रहता है I उसके स्वभाव की मिठास खत्म हो गयी है I ईर्ष्या के रूप मे Negativity आ गयी है उसमे I
परेशानी तो तब और बढ़ गयी ,जब हमने तीसरा ए सी अपने घर मे लगवाया I अब घर मे टीम भावना प्रबल हो गयी I पहले वाले ए सी ने विद्रोह का स्वर और तीव्र कर दिया। आवाज बढ़ाने के साथ-साथ अपना मूलभूत स्वभाव , ठंडा रखने की प्रवृत्ति को छोड़कर गर्म हवा फेकने लगा I फूट-फूट कर इतना रोया कि , आँसू के रूप मे सारी गैस बहा ले गया I
उसकी देखा देखी बीते साल वाले ए सी ने ज्यादा कुछ नहीं तो , इतना जोर से गुस्सा किया कि अपने प्लग को ही जला दिया I बीते साल वाले ए सी को गुस्सा इस बात पर ज्यादा था कि , मुझे तो आपने 3 स्टार के साथ खरीदा ,और नये वाले ए सी को 5 स्टार के साथ ! ये बात बिलकुल भी उचित नहीं है I
घर में विद्रोह का वातावरण तपती गर्मी मे प्रखर हो गया I देखा देखी ट्यूब लाइट्स को भी ये संक्रामक बीमारी फैल गयी I पहले एक कमरे की ,फिर दूसरे की ,फिर तीसरे की , खराब होने लगी I आखिरकार मै अपना सिर पकड़ कर बैठ गयी I कितना उपद्रव मचाते हो यार तुमलोग , बिजली का बिल तो बढाते ही हो ,अपनी देखभाल पर भी बटुआ हल्का कराते हो I क्यों परेशान करते हो मुझे इतना ?
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खैर नया वाला ए सी पूरी Positivity को लिये हुए , शालीनता के साथ अपने काम मे लगा रहा I उसके ऊपर अभी तक इस विद्रोह का कोई असर नहीं हुआ I स्पलिट ए सी होने के कारण , ऊँचाई पर बैठ कर मुस्कराता रहता है I वैसे गर्मी की तपन कम होते ही , घर मे थोड़ा Friendly वातावरण बन चुका है I सब अपना काम ध्यान पूर्वक कर रहे हैं I
घर का अगर एक सदस्य भी विषम परिस्थिति मे Positive व्यवहार रखता है तो , विषम परिस्थितियाँ भी पार हो जाया करती हैं।
9 comments
A very nice and lucid compilation of your thoughts on ACs and correlating it with our lives. Ups and downs are the part of life and the people who sail through both phases with positive attitude may scale any height.
Keep it up with good writing.
बहुत अच्छा चित्रण।👍
धन्यवाद मनीषा समय समय पर मुझे प्रोत्साहित करने के लिये ☺
आप बङी खूबसुरती से जिंदगी का चित्रण करती हैं।
धन्यवाद 😊आपको मेरी पोस्ट मे खूबसूरती दिखाई दी , असल मे मै अनजाने मे ही सही अपने घर के निर्जीव कहे जाने वाले सामान मे भी जीवन को देखती हूँ , और जीवित समझ कर ही उनको अपनी कल्पना मे जब उतारती हूँ तब शब्द अपने आप तैयार हो जाते हैं😊
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wow, what a wonderful post, wow
Likhna ek kala hai….tuse koi sikhey.God Bless.
Thanks
Bahut sunder abhivyakti di
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