( चित्र दैनिक जागरण के द्वारा )
रोज के समाचार पढ़ने के दौरान कभी-कभी कोई खबर ऐसी होती है ,जो हमारी आत्मा को झझकोर देती है,न चाहते हुए भी इस तरह की खबरों से हम अपने आप को अलग नही कर पाते ।पता नही कितने परिवार दहशतगर्दी के तले खाक हो जाते हैं…..
मेरे ये शब्द शहीदों के साथ हमेशा खड़े होने को समर्पित हैं……
इन आँसूओं का जिम्मेदार कौन?
इन दहशतगर्दों का मददगार कौन?
सुबकता हुआ बचपन और
करुण क्रंदन हमेशा शोर मचा देता है….
बहते हुए अविरल आँसू
पत्थर दिलों को भी तोड़ देते हैं….
आत्मा को झझकोर कर
गहराई से सोचने पर, मजबूर कर देते हैं….
देश की सुरक्षा मे,शहीद होने से गर्व होता है…..
वर्दीधारियों को मारना, दहशतगर्दों के लिए
पर्व होता है….
समाज की सुरक्षा मे, लगे पुलिस अधिकारी हो….
या सीमा पर, तैनात वर्दीधारी हो..
हर किसी का होता है,अपना प्यारा सा परिवार….
सभी को चाहिये होता है, प्यार के साथ-साथ
ढेर सारा दुलार…
दहशतगर्दों की भीड़ मे,इंसानियत पता नही कहाँ खो गयी….
मानवीय संवेदनायें ,जाने किस कोने मे जाकर सो गयी…
दूसरी तरफ नेताओं और,समाज सुधारको को बचाने की
कोशिश मे जाने,कितनो की बलि चढ़ी…..
शहीदों के परिवार की, मुसीबतें हजार गुना बढ़ी…..
बेटियों को चाहिये होता है, हमेशा पिता का साथ….
जुड़े होते हैं पिता के साथ, हमेशा उनके गहरे जज्बात….
पिता का साया मासूमों के, सिर से हटाने वाले इंसानो….
भगवान ने नर्क मे भी न छोड़ा होगा,दहशतगर्दों के लिए कोई स्थान….
दूसरी तरफ,सरकारी तंत्र के भरोसे,कारागारों मे क्यूँ
पालते हो सपोलो को….
दहशत गर्द हो या बलात्कारी…
इनके लिए जेल की रोटी, इतनी आसान क्यूँ हुआ करती….
मासूमियत और बचपन को,तेज हवाओं के थपेड़ों मे डालते हो….
हमेशा अपने आप को,दहशतगर्दी के शोलों मे तापते हो…..
धर्मान्धता के साथ जुड़ी हुई, दहशतगर्दी किस काम की
धर्म पंथ और जात ये सारी बातें, कत्ल होती हुई मासूमियत
के सामने बस नाम की…..
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बड़ा दर्दनाक है यह सब .
दर्दनाक है, लेकिन यथार्थ है,इस तरह की घटनायें मन को परेशान करती हैं।
हाँ , बिलकुल .