August 29,2017
आइये सुनाती हूँ जीवन की कहानी…
मनुष्यों मे भी ज्यादातर है यह हमारी
नारी शक्ति की जानी पहचानी….
कभी लगती है ये कहानी बड़ी अपनी सी
कभी उसकी कहानी , कभी किसी तीसरे की
दुखी आत्मा की कहानी…..
करनी थी कल कहीं जाने की तैयारी….
सोचा खोलते हैं अपनी आलमारी पुरानी….
उत्साह से भरे हुए मन को लेकर उत्सुकता के साथ
आलमारी खोल कर खड़ी हो गई…..
लालची नजरों से सुन्दर सुन्दर कपड़ों को निहार रही थी…
कपड़े मुझे देखकर बगले झाँक रहे थे…
मेरी तरफ कनखियों से ही ताक रहे थे…
कुछ कपड़ों ने अपनी मायूसी को दिखाया….
कुछ ने अपनी कैंची सी जुबान को चलाया…..
बोलने लगे इतने दिनों के बाद आपने दर्शन क्यूँ दिखाया…
ज़रा सा व्यंग भरी मुस्कान को अपने चेहरे पर फैलाया....
लेकिन कुछ कपड़ों की आँखों मे आँसूओं का तालाब दिख रहा था…
कुछ की आँखों से तो आँसूओं का सैलाब बह रहा था....
कुछ तो कूद कर मेरे हाथ मे आ गये…
बोले हमे पहन कर दिखाइये तभी तो आपको पहचानेंगे…
ऐसे कैसे हम आपको अपना मानेंगे ?
हमने सोचा इनकी चुनौती को स्वीकारते हैं….
इनकी कुटिल मुस्कान को अभी का अभी इनके चेहरों से उतारते हैं….
सारी आलमारी हो गई खाली….
दिल हो गया मेरा टनों भारी..
आखिरकार हमने अपनी हार मानी…
सारे कपड़े हंसी उड़ा रहे थे….
कोई पलंग के ऊपर कोई जमीन पर
पड़े पड़े ही अपने दाँतों को दिखा रहे थे...
अश्रु पूरित नजरों से अपने पसंदीदा कपड़ों की तरफ देखा…
दुखी मन से अपने मन के भावों को उड़ेला…
दे दिया अपने होकर भी तुम लोगों ने धोखा…
रखा था हमने तुम्हें इतना सँभाल कर
धोखा देने का आखिर तुम लोगों ने कैसे सोचा…
कपड़ों ने बड़ी जोर से ठहाके लगाये…
बोले झूठी हैं आप सबसे बड़ी…
हमारे ऊपर तलवार लेकर क्यूँ खड़ी….
हमने कभी भी नही दिया आपको धोखा….
ज़रा सा करिये न हमारे ऊपर भी भरोसा….
आपकी जीभ को आदत है खाने का स्वाद लेने का चोखा...
ये सब आपकी जीभ की ही कारस्तानी है…
बस उसी ने आपका मोटापा बढ़ाने की ठानी है…
जाइये अपना गुस्सा अपनी जीभ पर उतारिये…..
हमे धोखेबाज कहने से पहले !
खुद को दर्पण मे तो निहारिये…
आइना जीभ की कारस्तानी दिखा देगा…..
आपको उसकी मनमानी दिखा देगा…
वजन नापने की मशीन, ठहाके लगा रही थी…
ठहाके लगा लगा कर के, अपने पास बुला रही थी...
सहानुभूति दिखाते हुए बोलने लगी….
सबसे पहले अपनी जीभ को नियंत्रण मे लाइये….
फिर हमारे पास अपनी मुस्कान के साथ आइये….
अब इन आँसूओं को अपने से दूर भगाइये…
भरे हुए दिल से मैने अपने कपड़ों को समेटा….
वापस से उन्हें तहों के बीच मे लपेटा…
सोचा चलो कुछ इन कपड़ों की भी शांत दिमाग से सुनते हैं…
अपने विचारों को एक बार फिर से गुनते हैं…..
किसी और को देने से पहले वजन कम करने की
जंग मे उतरने की बात पर एक बार फिर से
ध्यान पूर्वक सोचते हैं…..
2 comments
सही👌
😊
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