यात्रा के दौरान लेटलतीफ रेल का इंतज़ार करना , प्लेटफार्म पर बैठने पर मजबूर कर जाता है……पसीने से सराबोर करने के बाद
व्यग्रता और उलझन जैसी चीजों को स्वभाव मे लाता है…..रेलवे प्लेटफार्म पर देर तक बैठना ,जबर्दस्ती का सूक्ष्म अवलोकन करा देता है…प्लेटफार्म के कोने – कोने का दर्शन पूरे इत्मीनान के साथ, रेल का इंतज़ार करा देता है….बेअदबी और बेशर्मी भी कहीं कहीं दिखती….आँखें ढीठाई की कहानी कहते हुये भी दिखती…
मैने देखा कोई मुझे घूर रहा था…..
अपने दाँतों को मोतीचूर के लड्डू समझ कर
मुस्कान को बिखेर रहा था……
मैने तिरछी नज़रों से उसकी तरफ देखा……
उसने अपनी बातों का जाल मेरी तरफ फेंका……
बैठने की जगह के पास ही एक कचड़े का डिब्बा खड़ा था….
उसने ढिठाई दिखाते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाया…..
दोस्ताना अंदाज के साथ ज़रा सा मुस्कुराया…..
बोला,हमे देख कर नाक और भवें मत सिकोड़िये….
दूसरी तरफ मुँह को मत मोड़िये….
ज़रा सी दुखी आवाज से अपने आप को नवाज़ा….
एकबार फिर से बातों के सिलसिले कोआगे बढ़ाया….
बोला स्वच्छता अभियान का हिस्सा हूँ….
अब ये मत सोचना कि व्यर्थ मे ही खड़ा हूँ……
बस आज भोर से ही मेरी जगह बदल गयी….
नयी जगह यात्रियों के बैठने के पास की ही मिल गयी…
सुबह से साफ सुथरा खड़ा हूँ….
क्या मै आप को मगरूर दिख रहा हूँ ?
अब आप यहीं पर बैठ कर देखती जाइये…
हो सके तो आप भी मेरी भूख को मिटाइये…
थोड़ी ही देर मे मेरी साफ सुथरी शक्ल बिगड़ती जायेगी…
आधी चीजें मेरे अंदर और आधी मेरे से बाहर फैलती जायेंगी….
कितने लोग दूर से और कितने लोग पास से ही मेरे
अंदर निशाना साधते हैं….
खराब निशाने के कारण सारे प्लेटफार्म को गंदगी
से पाटते हैं…..
पीक को भी हवा का साथ मिलने पर बौछारों के द्वारा
इधर उधर बिखराते हैं….
अब आप ही बताइये इसमे मेरा क्या है कुसूर….
मै तो हमेशा से रहा हूँ बेकसूर….
लोगों की लापरवाही से ही मेरी खूबसूरत सी शक्ल जाती है बिगड़….
फिर भी दिखती है हर समय लोगों की अकड़….
मेरा तो हमेशा से रहता है यात्रियों से विनम्र अनुरोध…..
साफ सफाई रखने के दौरान मत दिखाया करिये क्रोध…..
अपने छोटे से प्रयास से रेल और रेलवे प्लेटफार्म को साफ सुथरा
रखने मे अपना सहयोग देती जाइये…..
मेरे साथ स्वच्छता अभियान से खुद भी जुड़िये और लोगों
को भी जोड़ती जाइये…..
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Nicely described
Thanks 😊
Ek ek dibba sabhi Bus or Railway ke dibbe me bhi hona chaiye.