Short StoriesWomen's Rights स्त्री जीवन स्वप्न और संघर्ष की पहचान by 2974shikhat September 18, 2018 by 2974shikhat September 18, 2018 Image Source : Google Free आदत के मुताबिक रोज की खबरों का साथ था….. हाथ मे अखबार था….. तरह तरह की खबरें,आँखों के सामने से गुजर रही थीं…. स्त्रियों के प्रति अपराध….. उपलब्धियों की बात….. देश विदेश की राजनीति की बात ….. कानून और व्यवस्था की भी बात…… कहीं तो छलक गये किसी के जज्बात…… कुछ भूले बिसरों को भी कर लिया याद….. संपादकीय मे अलग-अलग विषयों पर लेखकों के विचार….. अचानक से एक विषय पर, निगाह फिर गयी….. मै भी उसी विषय वस्तु पर विचारों की श्रृंखला को लिये हुये ठहर गयी….. “स्त्री लेखन स्वप्न और संघर्ष” एक ऐसा विषय जो,स्त्रियों की तरफ तीक्ष्ण नजरों से देखता हुआ सा, दिख रहा था….. मुझे भी कुछ लिखने के लिये ,मजबूर कर रहा था…… मेरे विचार से अगर इस विषय को दो भागों मे विभक्त करो तो…. पूरे स्त्री समाज का चेहरा, इस विषय मे दिखता है…. इस विषय के साथ अगर, सफर पर चलो तो…. कहीं स्त्रियों के प्रति अपराध के तले यह दबा हुआ दिखता है….. कहीं अपने सम्मान और वजूद को खोजता हुआ दिखता है…. कहीं अपने सपनों को पूरा करने की चाह मे खुद को धक्का मारते हुये दिखता है…. “स्त्री लेखन”और “स्वप्न और संघर्ष”को अलग करके देखिये….. “स्वप्न और संघर्ष” के साथ हर स्त्री का जीवन दिखता है…. महत्वपूर्ण बात यह है कि,किस स्त्री का स्वप्न कितनी ऊँचाइयाँ भरता है….. ‘स्वप्न’के साथ ‘संघर्ष’तो हमेशा ही जुड़ा हुआ दिखता है….. कलम को सम्मानपूर्वक अपने हाथों मे पकड़ने वाली स्त्री हो या….. अन्य क्षेत्र मे अपनी दक्षता को सिद्ध करने वाली….. अपवादों को अगर एक तरफ रखिये तो परिवार,समाज के साथ….. स्त्री का खुद का ‘हौसला’ और ‘आत्मविश्वास’….. ‘स्वप्न’और ‘संघर्ष’के दो पलड़ों पर संतुलन बनाता हुआ दिखता है….. जिसने अपने ‘हौसले’और,’आत्मविश्वास’के बल पर….. परिवार और समाज को अपने पक्ष मे कर के सफलता की राह पा लिया….. वहाँ ‘संघर्ष’ के साथ,’स्वप्न’ पूरा होता हुआ दिखता है. …. सच मानिये तो, “स्त्री लेखन”को अगर पढिये …. तो उनकी रचनाओं मे “स्वप्न और संघर्ष”,दोनो ही झलकता है…….. ExpressionHard workHuman behaviorinspirationLearning and teachingPen and paperprogressSelf confidenceStruggleSuccessWill powerWomenwriter 0 comment 0 FacebookTwitterPinterestEmail 2974shikhat previous post “नीरवता” next post रोजमर्रा के जीवन का साथ,छोटी छोटी बात You may also like समझो तो पंक्षी न समझो तो प्रकृति October 26, 2024 पुस्तकालय August 10, 2024 लोकगाथा के साथ सोन और नर्मदा नदी (भाग... April 23, 2024 लोक गाथा के साथ सोन और नर्मदा नदी April 3, 2024 बातें गुलाबी जाड़ा के साथ December 13, 2023 जय चंद्रयान 3 August 24, 2023 प्रकृति का सौम्य या रौद्र रूप और सावन... August 5, 2023 कहानी मोती की January 12, 2023 HAPPY NEW YEAR सुस्वागतम नववर्ष January 10, 2023 ठहरो बच्चू जी August 5, 2022 0 comment rajanisingh885721172 September 18, 2018 - 3:07 pm Mind blowing post
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