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लोकगाथा के साथ सोन और नर्मदा नदी (भाग -२)

by 2974shikhat April 23, 2024
by 2974shikhat April 23, 2024

सोन नदी पर किये हुए रिसर्च से सम्बंधित किताब में, लोकगाथाओं से जुड़ते हुए सोन और नर्मदा के विवाद में विंध्य वर्णन भी आता है। इस विवाद में फंसे कुछ और पर्वत और उनकी श्रृंखलायें भी आती हैं।


बात विंध्य वर्णन की करो तो वाल्मीकि रामायण में भी कहा गया है कि – सुस्वाद फलों से युक्त बड़े वृक्षों वाला यह वन था जिसमे रामचंद्र जी ने अपना वनवास का समय बिताया था।
अनेक प्रकार के मृगों से भरा हुआ हिंसक जानवरों को अपने साथ लिए हुए ,अनेक प्रकार के पक्षियों और कीटों से गुंजायमान रहता था।

“लोकगाथा में प्रसिद्ध है कि केहेंजुआ पर्वत सोन – नर्मदा के विवाह के समय का नाई था।
जब नर्मदा पर क्रोध करके सोन मैकल से कूद कर विपरीत दिशा में चला तो, उसे मनाने चला पुरोहित कैमूर और उसके साथ चले जोहिला नाइन और नाई केहेंजुआ।
कुछ दूर तक जोहिला मनाती अवश्य रही ,लेकिन जब सोन ने उसकी एक न सुनी तो कन्या पक्ष का साथ छोड़कर वह सोन की हो गयी – दशरथ घाट पर। तब सोन को मनाने आगे बढ़ा केहेंजुआ पहाड़।
मार्कण्डेय आश्रम के पास अचानक पहाड़ को सामने खड़ा हुआ देखकर सोन आश्चर्य में पड़ गया। इसलिए तत्काल कोई और चारा न देखकर उसने अपनी राह बदल दी और तनिक उत्तरोन्मुख होते हुए ,पूरब की तरफ बढ़ चला।
अब केहेंजुआ सोन के साथ साथ चलने लगा। उधर दूर से कैमूर भी सारी स्थिति पर अपनी नजरें गड़ाये हुये पूरब को बढ़ता जा रहा था।

देवराजनगर के पास केहेंजुआ ने सोन की राह रोकी तो सोन ने उसे परे धकेल दिया और आगे बढ़ चला।
देवलोंद घाट पर केहेंजुआ ने फिर राह रोकने की कोशिश की तो सोन ने उसे फाड़ दिया। केहेंजुआ ने फिर भी सोन का पिंड न छोड़ा और भँवरसेन घाट पर सोन के सामने आ कर खड़ा हो गया।

सोन ने इसबार भी केहेंजुआ को अति वेग से चीर दिया। इसप्रकार तीन – तीन बार ठुकराये जाने पर सोन का साथ छोड़कर केहेंजुआ दाहिने तट से पूरब की ओर बढ़ चला।


लोकगाथा में नाई का रूप धारण किये हुए यह केहेंजुआ पहाड़ है विंध्याचल के कैमूर का ही एक अंग “

iIndian Society and CultureKaimur RangeLok GathaMaikal HillsNarmada riverSon River
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