पढ़ाई – लिखाई कामकाज के लिए निश्चित समय के लिए घर से बाहर निकलने वाले लोगों के लिए ,जरूरी होता है न लंच बॉक्स।
घर का पका हुआ खाना ,लम्बे समय तक शरीर को स्वस्थ रखने के लिए निश्चित रूप से जरूरी होता है।
अधिकतर घरों की रसोई में सुबह-सुबह, लंच बॉक्स को भरने की कोशिश में मचता दिखता है उत्पात। व्यवस्थित तरीके से खाना पकाती हुई रसोई से भी जल्दीबाजी झलक जाती है ,जब दीवार पर टँगी हुई घड़ी मिनटों की सुई को आहिस्ता-आहिस्ता आगे सरकाती है।
कहीं बच्चों की फरमाइशें , स्वास्थवर्धक खाने को पीछे छोड़ सामने हाज़िर। कभी बेहतर खानपान के साथ पोषण की बात सबसे आगे। कभी लंच टाइम में डिब्बों के संसार में , दबदबा कायम रखना भी होता है सबसे बड़ी बात।
सारे बर्तनों के बीच मे लंच बॉक्स अपने आप को, व्यवस्थित तरीके से रखने की बात को गर्व से कहता है। व्यवस्थित तरीके से रखने में की गयी लापरवाही , दूसरे दिन की चिड़चिड़ाहट के रूप में सामने आती है।
स्कूल जाना शुरू करने वाले बच्चों के अभिवावक, रंग- बिरंगे लंच बॉक्स की खरीददारी में जुट जाते है। दूसरी तरफ व्यापारिक प्रतिष्ठान ,दुकान ,ऑफिस हर जगह लंच बॉक्स मुस्कुराता हुआ नज़र आ जाता है।
व्यक्ति भी बेसब्री से लंच टाइम का इंतज़ार करता हुआ दिख जाता है। बच्चों को जल्दी जल्दी बॉक्स खाली कर खेलकूद में जुटना है। वयस्कों को लंच बॉक्स के साथ कुछ मीठी , कुछ तीखी ,कुछ चटपटी बातों में शामिल होना है।
आपसी मेल मिलाप का दायरा बढ़ाना है लंच बॉक्स सामने आता है। बच्चों में व्यहवारिक ,सामाजिक ज्ञान बढ़ाना है ,स्कूल में भी लंच बॉक्स दिख जाता है। शेयर एंड केयर का अनूठा गुण , बालमन के भीतर डालने का प्रयास व्यहवारिक ज्ञान में दिखता है।